चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
लखनऊ में उत्तर प्रदेश की एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (एटीएस) को एक महत्वपूर्ण सफलता मिली है। यूपी एटीएस ने एक ऐसे गैंग के सक्रिय सदस्य को गिरफ्तार किया है, जो अवैध टेलीफोन एक्सचेंज चलाकर देश की सुरक्षा को खतरे में डालने और राजस्व का नुकसान पहुंचाने का काम कर रहा था। गिरफ्तार आरोपी की पहचान जौनपुर निवासी अशरफ अली के रूप में हुई है, जो अपने घर से यह अवैध गतिविधि चला रहा था।
उसके पास से 64 प्री-एक्टिवेटेड सिम, 4G राउटर, एडॉप्टर, सिम बॉक्स, 5 मोबाइल फोन और एक लैपटॉप बरामद किया गया है।
एटीएस को सूचना मिली थी कि इंटरनेशनल कॉल्स को लोकल कॉल्स में बदलने के लिए एक अवैध टेलीफोन एक्सचेंज का इस्तेमाल किया जा रहा है, खासकर मध्य पूर्व देशों से आने वाली कॉल्स के लिए।
इस जानकारी के आधार पर एटीएस ने जौनपुर में जांच की और अशरफ अली को गिरफ्तार किया। इंटरनेशनल गेटवे को बाईपास करके कॉलर की पहचान करना मुश्किल हो जाता है, जिससे हवाला, रेडिकलाइजेशन और टेरर फंडिंग जैसी गतिविधियों का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, इस तरह की गतिविधियों से राजस्व का नुकसान भी होता है।
अशरफ अली की गिरफ्तारी से पता चला कि उसने 1997 से 2012 तक मुंबई में कपड़े की फेरी लगाई थी, जहां उसकी मुलाकात भिवंडी निवासी जहांगीर से हुई थी।
जहांगीर ने उसे सऊदी अरब के मो. अली से संपर्क कराया, जिसने अशरफ को सिम बॉक्स के व्यवसाय के बारे में बताया। मो. अली ने अशरफ को इस काम के फायदे के बारे में बताते हुए उसे घर से पैसे कमाने का मौका दिया और इसके लिए आवश्यक उपकरण जैसे सिम बॉक्स और अन्य उपकरण कोरियर के जरिए भेजे। एनीडेस्क सॉफ्टवेयर की मदद से इस सिम बॉक्स को कॉन्फ़िगर किया गया।
अशरफ अली ने बताया कि मो. अली हर महीने उसके बैंक खाते में पैसे भेजता था और कभी-कभी लोकल व्यक्ति के जरिए भी पैसे प्राप्त होते थे। इस काम से अशरफ हर महीने लगभग एक लाख रुपये कमाता था।
उसने खुलासा किया कि कैसे इंटरनेट के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय कॉल्स को लोकल कॉल्स में बदला जाता था, जिससे कॉल प्राप्त करने वाले को कॉलर के असली नंबर की जगह सिम बॉक्स का नंबर दिखाई देता था। इसके कारण असली कॉलर की पहचान नहीं हो पाती थी।
Author: samachar
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