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November 22, 2024 4:52 am

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पहाड़ी से भरभराकर गिरा मलबा, 3 श्रद्धालुओं की मौत, कई के दबे होने की आशंका

24 पाठकों ने अब तक पढा

हिमांशु नौरियाल की रिपोर्ट

उत्तराखंड के पहाड़ों में मॉनसून के दौरान जीवन की कठिनाइयाँ बढ़ जाती हैं। रविवार की सुबह गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर एक बड़ा हादसा हुआ। चीड़वासा के पास पहाड़ी से अचानक मलबा गिरने लगा, जिसकी चपेट में आकर तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई और छह लोग घायल हो गए। मलबे में कुछ अन्य तीर्थयात्री दबे होने की आशंका जताई जा रही है। राहत और बचाव कार्य में एनडीआरएफ समेत कई एजेंसियां लगी हुई हैं।

हादसा सुबह साढ़े सात बजे हुआ जब पहाड़ी से मलबा और पत्थर गिरने लगे। मलबे की चपेट में आने से तीन तीर्थयात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई। बड़े पत्थरों के गिरने से घटनास्थल पर खून से लथपथ शव देख कर अन्य लोग भी घबरा गए। सूचना मिलने पर गौरीकुंड पुलिस, डीडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य प्रशासनिक टीमें मौके पर पहुंचीं और बचाव कार्य शुरू किया। घायलों को तुरंत गौरीकुंड अस्पताल भेजा गया।

मृतकों में किशोर अरुण पराते (31) निवासी खापा, जिला नागपुर, महाराष्ट्र; सुनील महादेव काले (24) निवासी गौन्डी, जिला जालना, महाराष्ट्र; और अनुराग सिंह (22) निवासी खैड़ी घंडियाल्का, जिला रुद्रप्रयाग शामिल हैं। घायलों में चेला भाई चौधरी (23) निवासी गुजरात, जगदीश (45) निवासी गुजरात, अभिषेक चौहान (18) निवासी जालना, महाराष्ट्र, धनेश्वर पाण्डे (27) निवासी खापा, महाराष्ट्र, और हरदाना भाई पटेल निवासी गुजरात शामिल हैं।

इससे पहले बीते 10 जुलाई को जोशीमठ में भूस्खलन हुआ था। जिसके चलते बदरीनाथ नेशनल हाईवे बंद कर दिया गया था। राहत की बात थी कि इस दौरान जान-माल का नुकसान नहीं हुआ। हालांकि, चार धाम यात्रियों पर जाने वाले श्रद्धालुओं को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। बता दें कि इस समय केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है। केदारनाथ यात्रा 10 मई से शुरू हुई थी। अब तक 10 लाख से अधिक श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए केदारनाथ आ चुके हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, जिस दिन केदारनाथ के कपाट खुले थे। उसी दिन ही लगभग 20 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस हादसे पर शोक व्यक्त किया है और राहत एवं बचाव कार्य की लगातार निगरानी रख रहे हैं। 

उन्होंने बताया कि मौसम विभाग ने भारी बारिश की चेतावनी जारी की है, जिसके चलते पहाड़ों पर पत्थरों के गिरने, भूस्खलन, और नदियों के उफान की आशंका है। पिछले साल अगस्त में भी गौरीकुंड में भूस्खलन के कारण तीन दुकानें ध्वस्त हो गई थीं और कई लोग मारे गए थे या लापता हो गए थे।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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