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November 22, 2024 10:00 pm

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पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत के बयानों से उत्तराखंड भाजपा में मचा भूचाल

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हिमांशु नौरियाल की रिपोर्ट

देहरादून में उत्तराखंड भाजपा कार्यसमिति की मीटिंग के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के बयानों ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। 

इस मीटिंग में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में रावत ने पार्टी नेतृत्व के फैसलों पर सवाल खड़े किए। उन्होंने यह याद दिलाया कि पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उनका टिकट काटकर अनिल बलूनी को पौड़ी लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था।

भाजपा की अंदरूनी राजनीति की ओर इशारा करते हुए तीरथ सिंह रावत ने कहा कि जो आज सत्ता में हैं, वे कल नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा कि जो लोग पहले आगे थे, वे आज पीछे बैठे हैं। 

मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की कार्यशैली पर तंज कसते हुए रावत ने कहा कि जब वे यूपी में एमएलसी चुने गए थे, तब धामी लॉ की पढ़ाई कर रहे थे। उन्होंने धामी के संघर्ष की प्रशंसा की और अपने टिकट कटने और उपचुनावों में पार्टी की खराब प्रदर्शन पर सवाल उठाए।

कार्यसमिति की इस बैठक में रावत के इस खुलकर बोलने पर जोरदार तालियां बजीं। उन्होंने पार्टी नेतृत्व द्वारा थोपे जा रहे नेताओं पर भी टिप्पणी की और कहा कि निर्णय सभी से बात कर और सलाह-मशविरा के बाद ही लिए जाने चाहिए। 

उन्होंने कहा कि जनता अब आगे आ गई है, जबकि नेता पीछे हो गए हैं। रावत ने यह भी कहा कि भाजपा एक नेता आधारित नहीं, बल्कि कार्यकर्ता आधारित पार्टी है, और कार्यकर्ताओं की बात सुनी जानी चाहिए।

माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में पौड़ी से तीरथ सिंह और हरिद्वार से रमेश पोखरियाल निशंक का टिकट कटने के बाद तीरथ सिंह का यह हमला पार्टी में शामिल हुए नए नेताओं, जैसे राजेंद्र भंडारी और करतार सिंह भड़ाना, पर था। यह हमला उन लोगों पर भी था जो ऐसे नए नेताओं की पैरवी कर रहे थे।

लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा राज्यों में कार्यसमिति की मीटिंग कर रही है। इस मीटिंग में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने भी अपने विचार रखे और कहा कि यह पहाड़ का इलाका है, जहां छोटे-मोटे भूकंप के झटके आते रहते हैं, लेकिन हिमालय अपनी जगह स्थिर रहता है।

इस प्रकार, तीरथ सिंह रावत के बयानों ने न केवल पार्टी के अंदरूनी मामलों को उजागर किया बल्कि आगामी चुनावों के लिए भी एक गंभीर संदेश दिया।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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