सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
बेसिक शिक्षा विभाग ने 8 जुलाई से शिक्षकों की डिजिटल हाजिरी अनिवार्य कर दी। शिक्षकों ने इस आदेश का विरोध किया। शिक्षकों की इस नाराजगी के बीच राजनीतिक दल भी कूद पड़े। सपा प्रमुख अखिलेश यादव, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और बसपा प्रमुख मायावती शिक्षकों के समर्थन में आ गए। यहां तक कि सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं ने भी इस फैसले पर सवाल उठाए।
अंततः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हस्तक्षेप किया और सरकार ने डिजिटल हाजिरी का फैसला स्थगित कर दिया।
डिजिटल हाजिरी का क्या है मतलब?
बेसिक शिक्षा विभाग ने शिक्षकों और छात्रों की हाजिरी, और मध्याह्न भोजन (MDM) का ब्योरा डिजिटल रूप में दर्ज करने के आदेश दिए। इसके लिए हर स्कूल में दो टैबलेट दिए गए। शिक्षकों को सुबह 7:45 से 8:30 और फिर छुट्टी से पहले 2:15 से 2:30 के बीच फेस रिकग्निशन के जरिए अपनी हाजिरी दर्ज करनी थी। सुबह 8 से 9 बजे के बीच छात्रों की डिजिटल हाजिरी और दोपहर 12 बजे तक MDM का ब्योरा दर्ज करना था।
शिक्षकों का विरोध
शिक्षकों का कहना है कि दूर-दराज के इलाकों में स्थित स्कूलों में समय पर पहुंचना मुश्किल है। यातायात की समस्याएं, बारिश में रास्ते बंद हो जाना और नेटवर्क की समस्याएं मुख्य कारण हैं। तय समय में हाजिरी लगाने में कठिनाई होती है। आकस्मिक स्थितियों में हाजिरी नहीं लगने पर वेतन काटे जाने का डर है। शिक्षकों का मानना है कि विभाग ने उनकी व्यावहारिक समस्याओं को समझे बिना यह व्यवस्था लागू कर दी है।
विभाग का पक्ष
विभाग का कहना है कि डिजिटल हाजिरी से पारदर्शिता बढ़ेगी। इससे शिक्षकों की उपस्थिति का सही आंकलन होगा और छात्रों की पढ़ाई पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। अलग-अलग रजिस्टर बनाने की झंझट से मुक्ति मिलेगी और योजनाओं के लिए सही आंकड़े मिलेंगे। विभागीय उत्पीड़न भी कम होगा।
राजनीतिक दलों का समर्थन
शिक्षकों के विरोध के बाद राजनीतिक दलों ने भी समर्थन किया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने शिक्षकों की समस्याओं को लेकर बयान दिया। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी शिक्षकों की समस्याओं को समझने की अपील की। बसपा प्रमुख मायावती ने इसे सरकार का ध्यान भटकाने वाला कदम बताया। सत्ता पक्ष के MLC देवेंद्र प्रताप सिंह ने भी सरकार को पत्र लिखकर विरोध जताया।
सरकार का हस्तक्षेप
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की गंभीरता को समझते हुए हस्तक्षेप किया। उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि शिक्षकों से बातचीत कर समाधान निकाला जाए। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने अधिकारियों और शिक्षकों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की और डिजिटल हाजिरी का फैसला स्थगित कर दिया। अब सभी पक्षों से बातचीत कर आगे का निर्णय लिया जाएगा।
राजनीति की वजह
प्रदेश में 1.33 लाख प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालय हैं। शिक्षकों, शिक्षामित्रों, अनुदेशकों और शिक्षणेतर कर्मचारियों की कुल संख्या लगभग 6.50 लाख है। ये शिक्षक एक बड़ा वोट बैंक हैं। इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या लगभग 1.68 करोड़ है। शिक्षकों का परिवारों और ग्राम प्रधानों के साथ भी संपर्क होता है। सरकारी अभियानों में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यही वजह है कि सभी राजनीतिक दल शिक्षकों के समर्थन में आकर उन्हें अपने पक्ष में करना चाहते हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."