नौशाद अली की रिपोर्ट
चुनाव के नतीजों के आने के साथ ही राजनीतिक दृष्टिकोण में कई बदलाव आ रहे हैं। बिना बहुमत के भी, एनडीए को सरकार बनाने की क्षमता है, जिसके लिए गठबंधन के साथियों का साथ लेना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
नेताओं के बच्चों की भागीदारी भी राजनीतिक मंच पर नए दिशानिर्देश और नेतृत्व की दिशा में महत्वपूर्ण रोल निभाती है। इससे पता चलता है कि राजनीतिक विचारधारा और परिवार का नाम भी नए प्रभावों में हैं।
लालू यादव की बेटी मीसा भारती और रोहिणी आचार्य के चुनावी प्रयास और सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी की जीत चुनाव और जनमत के प्रति आभास कराते हैं। राजनीतिक दलों द्वारा ऐसे चुनावी रणनीतियों का प्रयोग सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों में संवेदनशीलता को प्रकट करता है।
करण भूषण सिंह कैसरगंज से लगातार तीन बार के सांसद बृजभूषण शरण सिंह के सबसे छोटे बेटे हैं। करण भूषण यूपी कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं। उन्होंने कुछ साल प्रोफेशनली कुश्ती की है। नेशनल लेवल पर फुटबॉल खेल चुके हैं। निशानेबाजी में भी उनकी दिलचस्पी है। करण भूषण के मुताबिक वो 15 साल से एक्टिव राजनीति में हैं।
सपा की ओर से कैसरगंज का चुनाव लड़ रहे भगत राम पहले कांग्रेस पार्टी में थे, लेकिन बाद में कांग्रेस छोड़कर BJP में शामिल हो गए। 2023 में वो BJP छोड़कर सपा में शामिल हो गए। बसपा की ओर से कैसरगंज के चुनावी मैदान में उतरे नरेंद्र पांडे एक बिजनेसमैन हैं। नरेंद्र पांडे के मुताबिक वो साल 2004 से बसपा में सक्रिय रहे हैं।
2019 और 2014 के चुनावी नतीजे
2019 में BJP की तरफ से बृजभूषण शरण सिंह ने 5,81,358 वोटों के साथ जीत हासिल की थी। दूसरे नंबर पर BSP के चंद्रदेव राम यादव थे, जिन्हें 3,19,757 वोट मिले थे। 2014 में भी BJP के बृजभूषण शरण सिंह ने 3,81,500 वोटों के साथ जीत हासिल की थी। दूसरे नंबर पर सपा के विनोद कुमार (पंडित सिंह) थे, जिन्हें 3,03,282 वोट मिले थे।
कैसरगंज सीट पर कांग्रेस, सपा और BJP का अपने-अपने समय पर वर्चस्व रहा है। बृजभूषण शरण सिंह कैसरगंज से लगातार तीन बार के सांसद रहे हैं। उन्होंने एक बार (2009 में) सपा के टिकट पर और पिछले दो बार से BJP की तरफ से कैसरगंज पर जीत हासिल की। लेकिन इस बार BJP ने बृजभूषण शरण सिंह के बेटे पर दांव लगाया है। बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए जाने के बाद से ही ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि उन्हें इस बार पार्टी चुनाव में नहीं उतारेगी।
2024 का चुनाव
बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करण भूषण सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के भगत राम को 1,48,843 वोटों के अंतर से हराया है।
करण भूषण सिंह कैसरगंज से लगातार तीन बार के सांसद बृजभूषण शरण सिंह के सबसे छोटे बेटे हैं। करण भूषण यूपी कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं। उन्होंने कुछ साल प्रोफेशनली कुश्ती की है। नेशनल लेवल पर फुटबॉल खेल चुके हैं। निशानेबाजी में भी उनकी दिलचस्पी है। करण भूषण के मुताबिक वो 15 साल से एक्टिव राजनीति में हैं।
सपा की ओर से कैसरगंज का चुनाव लड़ रहे भगत राम पहले कांग्रेस पार्टी में थे, लेकिन बाद में कांग्रेस छोड़कर BJP में शामिल हो गए। 2023 में वो BJP छोड़कर सपा में शामिल हो गए। बसपा की ओर से कैसरगंज के चुनावी मैदान में उतरे नरेंद्र पांडे एक बिजनेसमैन हैं। नरेंद्र पांडे के मुताबिक वो साल 2004 से बसपा में सक्रिय रहे हैं।
2019 और 2014 के चुनावी नतीजे
2019 में BJP की तरफ से बृजभूषण शरण सिंह ने 5,81,358 वोटों के साथ जीत हासिल की थी। दूसरे नंबर पर BSP के चंद्रदेव राम यादव थे, जिन्हें 3,19,757 वोट मिले थे। 2014 में भी BJP के बृजभूषण शरण सिंह ने 3,81,500 वोटों के साथ जीत हासिल की थी. दूसरे नंबर पर सपा के विनोद कुमार (पंडित सिंह) थे, जिन्हें 3,03,282 वोट मिले थे।
कैसरगंज सीट पर कांग्रेस, सपा और BJP का अपने-अपने समय पर वर्चस्व रहा है। बृजभूषण शरण सिंह कैसरगंज से लगातार तीन बार के सांसद रहे हैं। उन्होंने एक बार (2009 में) सपा के टिकट पर और पिछले दो बार से BJP की तरफ से कैसरगंज पर जीत हासिल की। लेकिन इस बार BJP ने बृजभूषण शरण सिंह के बेटे पर दांव लगाया। बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए जाने के बाद से ही ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि उन्हें इस बार पार्टी चुनाव में नहीं उतारेगी।
मीडिया से बात करते हुए पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने अपने बेटे की जीत को लेकर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि सबसे पहले मैं देवीपाटन मंडल की जनता को बधाई देना चाहता हूं क्योंकि देवीपाटन मंडल राम जन्मभूमि आंदोलन से हमेशा जुड़ा रहा है। इस समय भी देवीपाटन मंडल की जनता ने चार में तीन सीट बीजेपी को देकर के यह साबित कर दिया है कि वह राम के भक्त हैं और अयोध्या से जुड़े रहे हैं।
मेरी पत्नी सांसद, मेरा बड़ा बेटा विधायक, मेरा छोटा बेटा सांसद यह सब देवीपाटन मंडल की जनता का आशीर्वाद है। वहीं, अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा न चलने और भाजपा प्रत्याशी की हार पर कहा कि हम राम के भक्त हैं। देवीपाटन मंडल से ज्यादा किसी का भी अयोध्या से लगाव नहीं है। देवीपाटन मंडल का सम्बंध हनुमान जी से है राम जी से है भगवान शिव जी से है।
बृजभूषण शरण सिंह ने अपने बेटे के बारे में बोलते हुए कहा कि मैं उनको राजनीतिक रूप से सलाह दे दी है। करण भूषण सिंह एक ऐसे प्रत्याशी हैं जो एक दिन भी घर पर आराम नहीं करते हैं। वोट पड़ने से लेकर कल मतगणना तक वह चल ही रहे हैं। आज भी उनका जनता के बीच कार्यक्रम है। जनता और नेता के बीच में गैप नहीं होना चाहिए, जिसको वह भलीभांति निभा रहे हैं। देश में ऐसा कोई सांसद नहीं होगा जो लगातार अपने क्षेत्र में चल रहा हो। वह कोई उत्सव भी नहीं मना रहे हैं।
बोले- जीत का अंतर समीक्षा का विषय
2019 और 2024 में जीत हार के अंतर के सवाल पर बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि मैं कहूं कि अगर बनारस में क्यों कम हो गया लखनऊ में क्यों कम हो गया तो आखिर कम तो हुआ है। इसकी समीक्षा होगी क्यों कम हुआ है, लेकिन जहां 37 सीट समाजवादी पार्टी जीत रही है वहीं तीन सीट देवीपाटन मंडल से अकेले भारतीय जनता पार्टी जीती है यह भी एक समीक्षा का विषय है।
विपक्ष को नहीं पता था इतनी सीट मिलेंगी
बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि देश के अगला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही होंगे और कोई विकल्प नहीं है। विपक्ष को मालूम ही नहीं था कि हमारी इतनी सीट निकलेगी, जितनी विपक्ष को मिली हैं। लेकिन मोदी का विकल्प अभी नहीं है न भारतीय जनता पार्टी का विकल्प है। वहीं विपक्ष पर निशाना चाहते हुए कहा कि अभी उनका नेता ही स्पष्ट नहीं है। नेता चयन में ही इनकी पार्टी में विवाद हो जाएगा।
ऑस्ट्रेलिया में पढ़ चुके हैं करण
करण का जन्म 13 दिसंबर 1990 को हुआ था। उन्होंने डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी से बीबीए और कानून की पढ़ाई की है। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में बिजनेस मैनेजमेंट में डिप्लोमा भी लिया है। करण सिंह के बड़े भाई प्रतीक भूषण गोंडा की सदर सीट से दो बार विधायक हैं। हालांकि करण पहली बार सक्रिय राजनीति में कदम रख रहे हैं। वह पिछले कुछ समय से पिता के साथ कैसरगंज में चुनाव प्रचार कर रहे हैं।
करण भूषण सिंह का खेल से नाता
34 साल के करण का खेलों से खास नाता है। पिता की तरह करण भूषण सिंह भी रेसलिंग से जुड़े हुए हैं। उन्होंने इसी साल उत्तर प्रदेश रेसलिंग का चुनाव जीता था और अध्यक्ष बने थे। इस चुनाव के बाद देश के टॉप पहलवानों ने करण भूषण का विरोध किया था।
नेशनल शूटर रहे हैं करण भूषण सिंह
इस चुनाव से पहले करण यूपी रेसलिंग फेडरेशन एसोसिएशन के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। रेसलिंग के अलावा करण का शूटिंग से भी गहरा नाता है। करण ट्रैप शूटिंग में राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज रहे हैं। वह उत्तर प्रदेश की स्टेट चैंपियनशिप में गोल्ड मेडलिस्ट भी रह चुके हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."