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11 January 2025 1:27 am

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बसपा की सिकुड़ती सियासी जमीन, ‘आगे अब सोच-समझकर ही मुस्लिम कैंडिडेट्स को मौका… ‘ चुनाव नतीजों के बाद क्या बोलीं मायावती

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ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

लखनऊ: हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव नतीजों में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को एक भी सीट नहीं मिली है, जिससे पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया है। उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से बसपा के खाते में कोई भी सीट नहीं आई है। चुनाव परिणाम के बाद पहली बार बसपा सुप्रीमो मायावती की प्रतिक्रिया सामने आई है। 

मायावती ने मुस्लिम मतदाताओं के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि पिछले कई चुनावों और इस बार के लोकसभा चुनाव में भी मुस्लिम समाज को उचित प्रतिनिधित्व देने के बावजूद, मुस्लिम समुदाय बसपा को सही से समझ नहीं पा रहा है। मायावती ने आगे कहा कि अब ऐसी स्थिति में, भविष्य में मुस्लिम मतदाताओं को काफी सोच-समझकर ही चुनाव में मौका दिया जाएगा ताकि पार्टी को इस बार की तरह बड़ा नुकसान न हो।

मायावती ने बुधवार को अपने X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर एक दो पेज का लेटर जारी किया है, जिसमें उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त की है। मायावती ने लोकसभा चुनाव की भीषण गर्मी में आयोजित होने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने लिखा है कि बसपा चुनाव आयोग से हमेशा यह मांग करती रही है कि चुनाव बहुत लंबे समय तक नहीं खिंचना चाहिए। इस बार का चुनाव सात चरणों में करीब ढाई महीने तक चला, जो अत्यधिक लंबा था।

उन्होंने कहा कि चुनाव कराते समय आम लोगों के साथ-साथ लाखों सरकारी कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों का ध्यान भी रखना चाहिए। अधिकतम तीन या चार चरणों में चुनाव संपन्न कराया जाना चाहिए। मायावती ने यह भी कहा कि चुनाव की लंबी अवधि के कारण जनजीवन अस्थिर हो गया, जिससे गरीब और मेहनतकश लोगों का उत्साह कम हो गया। इससे वोट प्रतिशत पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

गौरतलब है कि इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में भी बसपा को उत्तर प्रदेश में कोई सीट नहीं मिली थी। 10 साल बाद, 2024 में, यह इतिहास फिर से खुद को दोहराया। इस बार बसपा ने सबसे ज्यादा 35 उम्मीदवारों पर दांव लगाया था, लेकिन फिर भी मुस्लिम वोट सपा और कांग्रेस की ओर चला गया। बसपा का मुस्लिम-दलित फैक्टर पूरी तरह से असफल रहा। इसी कारण चुनाव परिणाम के बाद मायावती ने मुस्लिम समाज के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि उचित प्रतिनिधित्व देने के बावजूद मुस्लिम समाज बसपा को सही से समझ नहीं पा रहा है, और भविष्य में सोच-समझकर ही मुस्लिम मतदाताओं को मौका दिया जाएगा।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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