दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
भाजपा के सांसद बृजभूषण शरण सिंह की जगह बेटे करण भूषण को टिकट मिलते ही तय हो गया था कि चुनाव में पिता की प्रतिष्ठा दांव पर है। बेबाक अंदाज में बृजभूषण ने कहा था कि मेरा टिकट नहीं कटा है, उस पिता से ज्यादा सौभाग्यशाली कौन होगा, जिसका बेटा उसके सामने विरासत संभाले। करण भूषण की जीत के बाद अब यह तो तय हो गया है कि स्थानीय राजनीति में बृजभूषण का दबदबा कायम है।
करण भूषण सिंह ने पहली बार कैसरगंज में जीत दर्ज की, इस सीट से बृजभूषण लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। उनके समर्थक यह बैनर पोस्टर पर भी लिखते हैं कि दबदबा तो है…यह तो भगवान का दिया है।
लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद से ही कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह के टिकट को लेकर ऊहापोह था। नामांकन की अंतिम तिथि से एक दिन पहले भाजपा ने उनकी जगह छोटे बेटे करण भूषण सिंह को प्रत्याशी बनाया।
बेटे को टिकट मिलने के बाद दांव पर थी प्रतिष्ठा
बृजभूषण बेफिक्र थे, उन्होंने टिकट तय होने से पहले ही 165 से अधिक नुक्कड़ सभाएं कर रखी थीं। बेटे को टिकट मिलने के बाद उनकी प्रतिष्ठा प्रत्यक्ष रूप से दांव पर थी। हर किसी की निगाहें कैसरगंज सीट के चुनाव परिणाम पर टिकी रही। चुनाव में जीत से बृजभूषण शरण सिंह का राजनीति में कद बढ़ा है।
बृजभूषण शरण सिंह पहली बार 1991 में गोंडा से आठवीं लोकसभा के लिए चुने गए थे। वह छह बार के सांसद हैं। पांच बार भाजपा और एक बार समाजवादी पार्टी से चुनाव जीते हैं। बृजभूषण शरण सिंह के बड़े बेटे प्रतीक भूषण सिंह गोंडा सदर सीट से विधायक हैं। उनकी पत्नी 1998 में गोंडा लोकसभा सीट से सांसद चुनी गई थीं। वह जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं।
Author: samachar
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