सुरेंद्र मिन्हास की रिपोर्ट
ऊना: हिमाचल प्रदेश के ऊना की ग्राम पंचायत जलग्रां टब्बा के रक्कड़ वार्ड पांच के ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है। दरअसल ग्राम पंचायत के इस वार्ड के बीचों-बीच से होकर गुजरने वाली रेलवे लाइन के कारण यह क्षेत्र दो भागों में बंट गया है।
इस पार रहने वाले लोगों की जमीन उस पार है तो उस पार के लोगों की जमीन और स्कूल इस पार है। जबकि रेलवे के भारी ट्रैफिक के बीच लाइन पर से होकर गुजरने वाले बच्चे और आम लोगों के लिए हर वक्त खतरा बना रहता है। यदि सड़क मार्ग से होकर लोग आना चाहे तो उन्हें 150 मीटर की दूरी 12 किलोमीटर की दूरी तय करने को मजबूर होना पड़ता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मसले को लेकर उन्होंने कई बार अधिकारियों और नेताओं के दरबार में भी दस्तक दी। हालांकि रेलवे द्वारा भी यहां पर पुल बनाने की बात कही गई और इस पुल निर्माण को लेकर तीन बार सर्वेक्षण भी हुए। लेकिन अभी तक पुल का नहीं बन पाना लोगों के लिए भारी समस्या का कारण बना हुआ है।
लोगों को खेतों से अपनी फसले तक उठाने में भारी भरकम खर्च से गुजरना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन से भी लगातार इस मसले को उठाया गया लेकिन आज तक कोई भी प्रभावी कदम नहीं उठाया जा सका जिसके चलते उनके पास अब इस चुनाव का बहिष्कार करने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं है।
बच्चों के लिए बना खतरा
स्थानीय आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि छोटे बच्चों को आंगनवाड़ी से घर लाना और घर से आंगनवाड़ी भेजना बहुत ज्यादा जिम्मेदारी का काम होता है। लेकिन यदि इस तरह के माहौल में रेलवे लाइन पार करके बच्चों को घर से लाना या छोड़ना पड़े तो वह और भी खतरनाक साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्र का काम छोड़कर उन्हें और उनकी सहायता को बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान देना पड़ता है।
गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को अस्पताल पहुंचाना भी मुश्किल
उधर आशा वर्कर ने बताया कि पुल नहीं होने के चलते इस कच्चे और खतरनाक रास्ते से रेलवे लाइन पर से गुजरते हुए गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को अस्पताल पहुंचाना भी बहुत टेढ़ी खीर बन चुका है।
उन्होंने कहा कि कई बार हाई रिस्क प्रेगनेंसी में महिलाओं को लगातार अस्पताल पहुंचाना पड़ता है लेकिन उन्हें अस्पताल की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए एंबुलेंस तक नहीं पहुंच पाती। स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं को लेकर काफी एहतियात बरती जाती है और उन्हें कई सुविधाएं प्रदान करने की बात भी कही गई है लेकिन यहां इन परिस्थितियों में वह सभी सुहूलियत बेमानी साबित हो जाती हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."