दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
8 फरवरी 2024… यूपी की कानपुर पुलिस के पास एक नर्स की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होती है। नाम बताया जाता है शालिनी तिवारी। पुलिस शालिनी के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगाती है, तो उसकी लास्ट लोकेशन अयोध्या में मिलती है। पुलिस की टीमें शालिनी की तलाश में अयोध्या पहुंच जाती हैं।
अभी तफ्तीश को 10 दिन ही बीते थे कि 18 फरवरी को कानपुर से करीब 230 किलोमीटर दूर एटा के कुएं में एक युवती की लाश मिलती है। उसे कत्ल करने के बाद उसके चेहरे को पत्थर से कूचा गया था। लाश की शिनाख्त नहीं हो पाती और एटा पुलिस अज्ञात शव के तौर उसका पंचनामा करा देती है।
इधर कानपुर पुलिस शालिनी की तलाश में अयोध्या का चप्पा-चप्पा खंगाल रही थी। काफी खोजने के बाद भी जब उसका कोई सुराग नहीं मिलता तो पुलिस शालिनी की कॉल डिटेल निकलवाती है। इसमें पुलिस की नजर पड़ती है एक ऐसे नंबर पर, जिससे शालिनी की हर दिन लंबी बातें होती थीं। तफ्तीश में पता चलता है कि ये नंबर यूपी पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल मनोज कुमार का है। मनोज की ड्यूटी फिलहाल कानपुर की पुलिस लाइन में थी। उसे थाने बुलाकर पूछताछ होती है।
शुरुआत में मनोज अंजान बनता है, लेकिन जब पुलिस सख्ती से पूछती है, तो सामने आती है शालिनी के कत्ल की वो कहानी, जो हर किसी के रोंगटे खड़े कर देती है।
शालिनी और मनोज की कहानी?
शालिनी तिवारी कानपुर के ही बर्रा नेशनल हॉस्पिटल में नर्स थी। करीब दो-तीन साल पहले शालिनी की एक सहेली का एक्सीडेंट होता है। वो पुलिस को फोन करती है तो मौके पर पहुंचता है हेड कॉन्स्टेबल मनोज कुमार। यहां शालिनी से उसकी बातचीत होती है और यही बातचीत आगे चलकर प्रेम संबंधों में बदल जाती है।
कुछ दिन बाद शालिनी अपने घर से दूर एक किराए के कमरे में रहने लगती है। दोनों के प्रेम संबंधों को धीरे-धीरे करीब तीन साल बीत जाते हैं और एक दिन शालिनी मनोज से शादी करने के लिए कहती है।
सुनसान सड़क, शालिनी और वो साजिश
मनोज पहले से शादीशुदा था। उसके दो बच्चे भी थे। शुरुआत में वो शालिनी को समझाता है, लेकिन जब बात नहीं बनती, तो उसके दिमाग में जन्म लेती है एक खतरनाक साजिश। वो 8 फरवरी का दिन था, जब मनोज ने शालिनी को मिलने के लिए बुलाया। शालिनी पहुंची तो मनोज की बोलेरो गाड़ी में उसका एक दोस्त राहुल भी था। शालिनी को शक होता है और वो गाड़ी में बैठने से मना कर देती है। अब मनोज और राहुल जबरदस्ती उसे बिठाते हैं और गाड़ी हाईवे की तरफ मुड़ जाती है। एक सुनसान जगह पर मनोज गाड़ी रोकता है और गमछे से शालिनी का गला घोंटकर उसका कत्ल कर देता है।
अयोध्या में कैसे दिखी शालिनी की लास्ट लोकेशन
अब बारी थी लाश को ठिकाने लगाने की। मनोज और राहुल गाड़ी में लाश डालकर यहां से एटा पहुंचते हैं और शालिनी का चेहरा पत्थर से कुचलकर उसे एक सूखे कुएं में फेंक देते हैं। शालिनी के मोबाइल को मनोज कानपुर में ही स्विच ऑफ कर चुका था। अब वो इस मोबाइल को राहुल को देता है और उसे अयोध्या के लिए रवाना कर देता है।
राहुल अयोध्या जाकर शालिनी का मोबाइल ऑन करता है और उसे एक नाले में फेंक देता है। इसके बाद मनोज कानपुर पुलिस लाइन लौट आता है। दोनों की ये साजिश कामयाब भी हो गई थी, क्योंकि लास्ट लोकेशन के आधार पर पुलिस तो शालिनी को अयोध्या में तलाश रही थी।
एटा तक वर्दी में गया मनोज, ताकि पकड़ा ना जाए
हालांकि, मुजरिम कितना ही शातिर क्यों ना हो, एक ना एक दिन कानून के शिकंजे में फंस ही जाता है। कॉल डिटेल के जरिए मनोज की साजिश का पर्दाफाश हो गया और अब वो अपने उस दोस्त राहुल के साथ पुलिस की गिरफ्त में है। जो लाश 18 फरवरी 2024 को एटा के कुएं में मिली, वो शालिनी की ही थी।
लाश को ठिकाने लगाते वक्त भी मनोज ने अपने शातिर दिमाग का इस्तेमाल किया। वो कानपुर से एटा तक पुलिस की वर्दी में ही गया, ताकि रास्ते में कोई उसकी गाड़ी चेक ना करे।
Author: samachar
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