आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
स्वाति मालीवाल मामले में आम आदमी पार्टी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ रही हैं। हालांकि जब से आम आदमी पार्टी का गठन हुआ है तब से एक पैटर्न बन चुका है कि जो ग्रुप अरविंद केजरीवाल के उदय की शुरुआत में उनके करीब था, वह पूरा ग्रुप उनसे दूर हो चुका है। स्वाति मालीवाल मामले में जिस तरह के आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए हैं, उसके बाद शायद ही स्वाति मालीवाल अब फिर से अरविंद केजरीवाल के साथ आएं।
आईए जानते हैं कुछ उन चेहरों के बारे में जिन्होंने आम आदमी पार्टी के गठन के दौरान अरविंद केजरीवाल के साथ मजबूती से खड़े रहे लेकिन अब उनकी राहें आप से जुदा हो चुकी है।
पहले योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण निशाने पर आए
आम आदमी पार्टी के निशाने पर 2015 में ही प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव आ गए। पार्टी के गठन के 3 साल बाद ही प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को आम आदमी पार्टी से पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण निकाल दिया गया। दोनों नेताओं पर 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया गया था।
हालांकि दोनों नेताओं ने आम आदमी पार्टी को खड़ा करने में काफी अहम भूमिका निभाई थी। प्रशांत भूषण वकील के रूप में सक्रिय रहे तो योगेंद्र यादव लगातार टीवी पर आम आदमी पार्टी क्यों बनी है और यह कैसा काम करेगी, इसको समझाया। दोनों ही नेता अरविंद केजरीवाल के काफी खास थे लेकिन बाद में खूब लड़ाई हुई।
फाउंडर मेंबर शाजिया इल्मी ने दो साल बाद ही छोड़ दी थी पार्टी
आम आदमी पार्टी का गठन तो 2012 में हुआ था लेकिन 2 साल बाद ही पार्टी की फाउंडर मेंबर शाजिया इल्मी ने पार्टी छोड़ दी। शाजिया इल्मी ने पार्टी छोड़ते हुए आरोप लगाया था कि केजरीवाल पार्टी में ही लोकतंत्र लागू नहीं कर पा रहे हैं और मुझे दरनिकार किया जा रहा है।
उन्होंने अरविंद केजरीवाल के करीबियों पर भी निशाना साधा था और कहा था कि अरविंद केजरीवाल को इससे बाहर निकलना चाहिए। अब शाजिया बीजेपी में हैं और पार्टी की प्रवक्ता भी है।
आशुतोष की राहें भी AAP से हो गई जुदा
जब आम आदमी पार्टी का गठन हुआ था, तब पत्रकार रहे आशुतोष ने काफी अहम भूमिका निभाई थी। वह पार्टी के कोर कमेटी के सदस्य भी बन गए लेकिन 2018 में उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। आशुतोष ने कोई आरोप तो नहीं लगाया लेकिन बताया जाता है कि आप मुखिया अरविंद केजरीवाल से उनका मनमुटाव था। आशुतोष टीवी पर आम आदमी पार्टी का मजबूती से पक्ष रखते थे।
आशीष खेतान भी छोड़ चुके हैं AAP
पत्रकार रहे आशीष खेतान ने भी शुरुआत में ही आम आदमी पार्टी ज्वाइन की थी लेकिन 2018 में उन्होंने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने निजी कारणों से इस्तीफा देना बताया था। लेकिन माना जा रहा है कि वह 2019 का लोकसभा चुनाव नई दिल्ली सीट से लड़ना चाहते थे लेकिन पार्टी उन्हें नहीं लड़ाना चाहती थी। ऐसे में आशीष खेतान ने इस्तीफा दे दिया। आशीष खेतान भी अरविंद केजरीवाल के करीबियों में शुमार थे।
कपिल मिश्रा से भी हुई लड़ाई
कभी अरविंद केजरीवाल के करीबी रहे कपिल मिश्रा को मई 2017 में आम आदमी पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। उन्हें दिल्ली में एक 50 करोड़ रुपये की जमीन का सौदा करने का आरोप लगाते हुए निलंबित किया गया था। कपिल मिश्रा कभी अरविंद केजरीवाल के काफी करीबी माने जाते थे और उन्होंने विधानसभा में ही अरविंद केजरीवाल का समर्थन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक गंभीर आरोप भी लगाया था। लेकिन कपिल मिश्रा अब बीजेपी में है और वह जमकर अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते रहते हैं। कपिल मिश्रा दिल्ली बीजेपी के उपाध्यक्ष भी हैं।
नवीन जयहिंद भी हो गए अलग और अब केजरीवाल के कट्टर विरोधी
स्वाति मालीवाल के पूर्व पति नवीन जयहिंद भी पहले AAP में थे और अरविंद केजरीवाल के काफी करीबी थे। वह आम आदमी पार्टी की कोर कमेटी के सदस्य भी थे। इसके अलावा अरविंद केजरीवाल ने उन्हें हरियाणा में पार्टी की कमान भी सौंपी थी। लेकिन बाद में अरविंद केजरीवाल से वह अलग हो गए और अब उनके खिलाफ हमलावर रहते हैं। स्वाति मालीवाल मामला सामने आने के बाद नवीन जयहिंद ने अपनी पूर्व पत्नी की जान को खतरा भी बताया है। स्वाति मालीवाल से नवीन जयहिंद का तलाक 2020 में हुआ था।
शांति भूषण ने दिया था एक करोड़ का चंदा और फिर छोड़ दी पार्टी
देश के मशहूर वकील रहे शांति भूषण ने आम आदमी पार्टी की स्थापना के समय पार्टी को एक करोड़ रुपये का चंदा दिया था। वह पार्टी के फाउंडर मेंबर थे लेकिन 2 साल बाद ही उनका आम आदमी पार्टी से मोहभंग हो गया और उन्होंने अरविंद केजरीवाल से संयोजक पद के इस्तीफे की भी मांग कर डाली थी।
शांति भूषण ने किरण बेदी को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद का सबसे उपयुक्त उम्मीदवार बताया था। बाद में उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी।
कट्टर समर्थक से कट्टर विरोधी बन गए कुमार विश्वास
जब आम आदमी पार्टी की स्थापना हुई थी, उस दौरान एक चेहरा जो सबसे अधिक छाया था वह था कुमार विश्वास का। अगर अरविंद केजरीवाल पूरे देश में लोकप्रिय हो रहे थे तो कुमार विश्वास भी उनके पीछे-पीछे लगे थे और लगातार अपने भाषणों के माध्यम से आम आदमी पार्टी की नीतियों को जनता तक पहुंचाते थे। वह टीवी पर भी पार्टी का पक्ष रखते थे। 2017 तक चीजें ठीक चलती रही।
हालांकि 2018 से आम आदमी पार्टी और कुमार विश्वास की राहें जुदा हो गई। बताया जाता है कि जब आम आदमी पार्टी ने दिल्ली से सुशील गुप्ता, एनडी गुप्ता और संजय सिंह को राज्यसभा में भेजा और उन्हें नहीं भेजा, उसके बाद से ही वह पार्टी से नाराज हो गए।
हालांकि कुमार विश्वास कहते हैं कि उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक पर सीएम केजरीवाल से सवाल ना उठाने के लिए कहा था लेकिन वह माने नहीं। अब कुमार विश्वास लगातार अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते रहते हैं। हालांकि उन्होंने पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया है, ना ही आम आदमी पार्टी ने उन्हें निकाला है।
धर्मवीर गांधी को भी किया गया सस्पेंड
2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने पंजाब में चार सीटों पर जीत हासिल कर ली थी। पार्टी की स्थापना हुए 2 साल ही हुए थे। पटियाला लोकसभा सीट से पार्टी की उम्मीदवार धर्मवीर गांधी ने कांग्रेस की दिग्गज नेता रहीं परनीत कौर को हरा दिया था, लेकिन 1 साल बाद ही यानी 2015 में पार्टी ने धर्मवीर गांधी को सस्पेंड कर दिया।
इस तरह से अरविंद केजरीवाल के एक और करीबी को पार्टी से निकाल दिया गया। बाद में धर्मवीर गांधी ने अपनी पार्टी बनाई और 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा और उन्हें डेढ़ लाख के ऊपर वोट मिले। अब धर्मवीर गांधी कांग्रेस ज्वाइन कर चुके हैं और 2024 का लोकसभा चुनाव पटियाला से लड़ रहे हैं।
अन्ना हजारे भी नहीं हैं समर्थन में
इंडिया अगेंस्ट करप्शन के सूत्रधार अन्ना हजारे भी अरविंद केजरीवाल से नाता तोड़ चुके हैं। जब दिल्ली शराब घोटाले मामले में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई तो अन्ना हजारे का भी बयान सामने आया था। उन्होंने साफ कहा था कि मैंने अरविंद केजरीवाल को यह सब काम करने से मना किया था, लेकिन वह माने नहीं।
कई और नाम शामिल
ऊपर दिए गए नामों के अलावा ऐसे कई और नाम है, जिन्होंने अरविंद केजरीवाल का शुरुआत में साथ दिया लेकिन अब वह पार्टी से अलग हो चुके हैं। कइयों ने अरविंद केजरीवाल पर पार्टी के अंदर तानाशाही का आरोप भी लगाया। हालांकि आम आदमी पार्टी को राजनीतिक सफलता मिलती रही। पार्टी ने पहले दिल्ली में सरकार बनाई और अब पार्टी पंजाब में सत्ता में है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."