आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
बांदा चित्रकूट लोकसभा में बसपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी पर दांव खेलते हुए जिला पंचायत सदस्य मयंक द्विवेदी को टिकट देकर भाजपा व इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों की नींद उड़ा दी। पूर्व मुख्यमंत्री के निर्देश पर नरैनी विधानसभा क्षेत्र से बसपा के विधायक रहे पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी के पुत्र मयंक द्विवेदी (Mayank Dwivedi) को प्रत्याशी बनाया गया है। घोषित प्रत्याशी वर्तमान समय जिला पंचायत सदस्य हैं।
बांदा चित्रकूट सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने अपने वर्तमान सांसद आरके सिंह पटेल को पुनः चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस सपा गठबंधन ने पूर्व मंत्री शिव शंकर सिंह पटेल को टिकट दिया है। दोनों ही प्रत्याशी कुर्मी बिरादरी से आते हैं। अब तक किसी राजनीतिक दल द्वारा ब्राह्मण प्रत्याशी को टिकट न दिए जाने से ब्राह्मणों में आक्रोश व्याप्त था।
इसी वजह से भाजपा के भैरव प्रसाद मिश्र के बसपा से चुनाव लड़ने की संभावना व्यक्त की जा रही थी। लेकिन बहुजन समाज पार्टी ने अपनी पार्टी के ही पूर्व विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी के बेटे मयंक द्विवेदी पर विश्वास जताते हुए उन्हें टिकट दे दिया है।
बांदा चित्रकूट संसदीय सीट पर ब्राह्मण बना कुर्मी के बीच हमेशा लड़ाई होती रही है। पिछले चुनाव में भी कोई ब्राह्मण प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं था। इस बार बसपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी उतार कर ब्राह्मण वर्ग में अपनी पैठ बनाने की कोशिश की है।
मयंक द्विवेदी की प्रोफाइल
जनपद के अतर्रा कस्बे में जन्मे मयंक द्विवेदी स्नातक हैं। इन्होंने 2016-17 से राजनीति में कदम रखा। इनकी ही मेहनत के कारण इनकी पत्नी श्रीमती विनितका द्विवेदी वार्ड नंबर 23 से जिला पंचायत सदस्य चुनी गई। जबकि 2023 में मयंक द्विवेदी वार्ड नंबर 22 से खुद जिला पंचायत सदस्य चुने गए।
इनके पिता पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी बहुजन समाज पार्टी से सन 2007 में नरैनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। मयंक द्विवेदी ग्राम पछौंहा तहसील नरैनी के मूल निवासी हैं। जबकि अतर्रा के अत्री नगर में वर्तमान निवास है। राजनीति इन्हें विरासत में मिली है।
बांदा-चित्रकूट लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र (48) में नाम वापसी के बाद 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में बच गए हैं। इन प्रत्याशियों में 10 स्नातक और परास्नातक है जबकि दो प्रत्याशी सिर्फ साक्षर हैं।
समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी श्रीमती कृष्णा देवी पटेल ने संस्कृत से मध्यमा और बिशारद किया है। इनमें भाजपा समेत चार ऐसे प्रत्याशी हैं, जिनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इनमें सबसे अमीर उम्मीदवार भाजपा के आरके सिंह पटेल हैं, जिनके पास 8 करोड़ की संपत्ति है।
10 प्रत्याशी स्नातक
बांदा-चित्रकूट लोकसभा में जो 12 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें से 10 प्रत्याशी मयंक द्विवेदी (बसपा), आरके सिंह पटेल (भाजपा), प्रमोद कुमार (अपना दल कमेरावादी), बाबूलाल (लोग पार्टी), गुलाबचंद वर्मा (राष्ट्रीय उदय पार्टी), रामचंद्र सरस (सीपीआई), दिनेश कुमार पटेल (सरदार पटेल सिद्धांत पार्टी) और राम सिंह गौर (भारतीय भारतीय शक्ति चेतना पार्टी) स्नातक हैं। सपा प्रत्याशी श्रीमती कृष्णा देवी पटेल ने संस्कृत से मध्यमा और बिशारद की शिक्षा ली है। इसे स्नातक के समकक्ष माना जाता है।
इन प्रत्याशियों में दो प्रत्याशी ऐसे भी हैं जो बड़े राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों से ज्यादा पढ़े लिखे हैं। इनमें सीपीआई के रामचंद्र सरस न केवल स्नातक हैं बल्कि वह आयुर्वेदाचार्य भी हैं। इसी प्रकार स्वतंत्र जनता पार्टी के सुरेंद्र सिंह परास्नातक (एम काम) है। इसी तरह दो ऐसे प्रत्याशी हैं जो सिर्फ साक्षर हैं। इनमें निर्दलीय रामचरण कक्षा 7 और पंचा उर्फ पंचम लाल सिर्फ साक्षर है। इन्होंने प्रौढ शिक्षा हासिल कर नाम लिखना व हिसाब किताब करना सीखा है।
भाजपा के आरके सिंह पटेल सबसे ज्यादा अमीर
इनमें सबसे ज्यादा अमीर प्रत्याशियों में भाजपा के आर के सिंह पटेल हैं। दो बार सांसद और एक बार के विधायक आर के सिंह पटेल के पास साढे आठ करोड़ की संपत्ति है। इसके बाद बहुजन समाज पार्टी के मयंक द्विवेदी हैं जिनके पास साढे चार करोड़ की संपत्ति है। पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी के पुत्र मयंक द्विवेदी एक बार जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। वहीं समाजवादी पार्टी की श्रीमती कृष्णा देवी पटेल के पास ढाई करोड़ की संपत्ति है।
श्रीमती कृष्णा देवी पटेल एक बार जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं और पूर्व मंत्री शिव शंकर सिंह पटेल की पत्नी है। इनके अलावा दो प्रत्याशियों के पास 50 हजार से कम की संपत्ति है। जो करोड़पति प्रत्याशियों के सामने ताल ठोंक रहे हैं। कम संपत्ति होने के बावजूद इनके हौसले बुलंद है। इनका कहना है कि चुनाव पैसे से नहीं अपने कामों के दम पर जीता जाता है। वह गरीबी और गरीबों के दर्द को समझते हैं।
इन पर अपराधिक मामले
चुनाव लड़ रहे इन प्रत्याशियों में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी आरके सिंह पटेल पर एक अपराधी मुकदमा है। इस मुकदमे में उन्हें एक साल की सजा हुई थी लेकिन एमपी एमएलए कोर्ट में अपील के बाद सजा पर रोक लगी है। इसी तरह बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी मयंक द्विवेदी पर दो अपराधिक मुकदमे दर्ज हुए लेकिन इनमें पुलिस की फाइनल रिपोर्ट लगी है। प्रत्याशी ने अपने शपथ पत्र में इस बात का उल्लेख किया है।
समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी कृष्णा देवी पटेल पर कोई आपराधिक मुकदमा नहीं है जबकि दो अन्य प्रत्याशियों पर भी अपराधिक मामले दर्ज हैं। सभी प्रत्याशियों की तस्वीर साफ हो चुकी है अब इनमें से कौन बाजी मारेगा आने वाली 20 मई को मतदाता करेंगे।
प्रत्याशियों के शिक्षा के मामले में अधिवक्ता सुरेश चंद्र गुप्ता कहते हैं की संसद में कानून बनते हैं। इसलिए जो प्रत्याशी चुना जाए, उसे पढ़ा लिखा होना चाहिए।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."