सुरेंदर मिन्हास की रिपोर्ट
बिलासपुर, हिमाचल। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आये एक कांग्रेसी नेता से पत्रकार ने पूछा कि “आप कांग्रेस छोड़कर भाजपा में क्यूँ आये?” तो उसका बहुत ही तार्किक और मार्मिक उत्तर ……
कांग्रेस में रहकर मुझे और मेरे परिवार को यह लगने लगा था कि मैं हिन्दू हूँ कि नही हूँ ? हम अपने त्यौहार उस उमंग और उत्साह से नही मना पा रहे थे जैसे कालोनी के दूसरे लोग मना रहे थे ।
जिस दिन कोर्ट से राम मंदिर के पक्ष में फैसला आया उस दिन पूरी कालोनी के लोग उत्साह से जश्न मना रहे थे तो मेरा परिवार दरवाजा बंद कर घर के अंदर बैठे थे।
राम नवमी पर ज़ब पूरा देश उमंग में रहता हे तो हम मायूस घर पर बैठे रहते थे।
करोना काल में ज़ब पूरी कालोनी दिए जलाकर और बर्तन बजा कर करोना से मुक्ति की प्रार्थना कर रहे थे तब भी मेरा परिवार खिड़कियों से उन्हें निहार रहा था।
पाकिस्तान पर भारत की एयर स्ट्राइक पर ज़ब पूरा भारत गौरवान्वित महसूस कर रहा था तब भी हम घुटघुट कर कमरों में बंद थे। धारा 370 हटने पर पूरी कालोनी जश्न मना रही थी तो में और मेरे बच्चे ड्राइंग रूम में बंद थे।
और सबसे ज्यादा आहत करने वाली बात तो पिछली 22 तारीख को ज़ब पूरा भारत तो छोड़ पूरी दुनिया राम मय होकर राम मंदिर के उद्धघाटन समारोह में शिरकत कर रही थी तो में और मेरा परिवार अत्यंत मायूसी में उन्हें निहार रहे थे। पर कांग्रेसी होने के नाते उनके साथ शिरकत नही कर सकते थे।
जिस अभिषेक मनु सिंघवी ने राम मंदिर के विरोध में केस लड़ा उसे राज्यसभा का उम्मीदवार बना दिया।
ऐसे पिछले दस साल में अनगिनत मोके आये ज़ब हमें अपने आप से पूछना पड़ता था कि हम हिन्दू हे क़ी नही हे?
‘कांग्रेसी विचारधारा हमें धीरे धीरे धर्म विरोधी तो बना ही रही थी, कहीं ना कहीं हम देश विरोधी भी बनते जा रहे थे। क्योंकि हमें हर उस अच्छे कार्य का विरोध करना था जो मोदी सरकार कर रही थी।’
बस मेरे कांग्रेस छोड़ने का सिर्फ यही कारण हे। अब लगता है हम फिर से हिन्दू हो गए हे । अब में भी अपने कालोनी वासियों के साथ अपने हर त्यौहार को पूरे हर्ष उल्हास के साथ मनाऊगा !
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."