अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
मुख्तार अंसारी की मौत हो गई है, यूपी का बाहुबली दुनिया को अलविदा कह गया है। राजनीति में अपराधीकरण की बहार लाने वाला मुख्तार अकेला नहीं था, जैसी देश की राजनीति रही है, कई ऐसे नेता रहे जिन पर जुर्म के गंभीर दाग लगे, जो अभी मिटे नहीं, लेकिन फिर भी उन नेताओं का सियासी ग्राफ बढ़ता चला गया। कई रिपोर्ट बताती हैं कि राजनीति में अपरधीकरण का दौर थमा नहीं है।
एडीआर की एक रिपोर्ट बताती है कि पूरे देश की जितनी भी विधानसभाए हैं, वहां पर 44 फीसदी विधायक ऐसे हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज चल रहे हैं। बड़ी बात ये है कि ये डेटा खुद विधायकों ने ही चुनाव के दौरान जारी किया है, यानी कि डंके की चोट पर अपराधिक मामलों की जानकारी दी गई है, लेकिन फिर भी किसी दल ने उन्हें आगे करने से गुरेज नहीं किया। एडीआर की रिपोर्ट बताती है कि कुल 4001 विधायकों में से 1,136 ऐसे विधायक हैं जिनके ऊपर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। गंभीर का मतलब है हत्या, हत्या का प्रयास या फिर अपहरण जैसे तमाम केस।
उसी रिपोर्ट में राज्य दर राज्य भी एक आंकड़ा जारी किया गया है। वर्तमान में केरल में 135 में से 95 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, यानी कि 70 फीसदी विधायक दागी चल रहे हैं। दूसरे नंबर पर बिहार है जहां पर 242 विधायकों में से 161 पर क्रिमिनल केस दर्ज है, दिल्ली में 70 में से 44 विधायकों पर आपराधिक मामले हैं। इसी तरह महाराष्ट्र में 175, तेलंगाना में 118, तमिलनाडु में 224 विधायकों पर भी आरोप चल रहे हैं। उत्तर प्रदेश में 403 में से 155 विधायक दागी बताए गए हैं।
अगर सांसदों के रिपोर्ट कार्ड की बात करें तो वहां भी आंकड़े उत्साह बढ़ाने वाले बिल्कुल नहीं है। 2004 में 24 फीसदी सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज थे, 2019 में ये आंकड़ा बढ़कर 43 प्रतिशत तक हो गया। 2019 की लोकसभा में तो 159 ऐसे सांसद हैं जिन पर गंभीर मामले दर्ज हैं, यानी कि हत्या या फिर अपहरण से जुड़े हुए।
Author: samachar
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