दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश की राजनीति में रविवार का दिन खास रहने वाला है। यूपी के दो लड़के सात साल बाद फिर एक साथ एक ही मंच पर नजर आने वाले हैं।
यहां बात हो रही है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की। दोनों ही नेता भारत जोड़ो न्याय यात्रा के लिए साथ में दिखने वाले हैं। आगरा में ये मंच सजने जा रहा है और सात साल बाद फिर यूपी के दो लड़के पूरे राज्य को बड़ा सियासी संदेश देने का काम करेंगे।
यहां ये समझना जरूरी है कि अखिलेश यादव ने काफी समय लिया इस बात का फैसला करने में कि उन्हें कांग्रेस की यात्रा में शामिल होना भी है या नहीं। इसका कारण ये था कि सीट शेयरिंग को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी, कांग्रेस लगातार सपा की सभी डीलों को असवीकार करती जा रही थी।
एक वक्त तो ऐसा भी आ गया था कि यूपी में भी इंडिया गठबंधन बिखरता दिखाई दे रहा था। लेकिन अब उसी यूपी ने इंडिया गठबंधन में जान फूंक दी है और उसी वजह से दूसरे कुछ राज्यों में भी उसकी राह प्रशस्त हुई है।
असल में उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव ने कांग्रेस को 17 सीटें लड़ने को दे दी हैं। इसमें वाराणसी, अमेठी, रायबरेली, गाजियाबाद जैसी कई सीटें शामिल हैं।
अब पिछले लोकसभा चुनाव में तो कांग्रेस को इन सीटों प 10 फीसदी वोट भी नहीं मिल पाया था, लेकिन सपा प्रमुख ने गठबंधन बनाए रखने के लिए ये समझौता कर लिया है।
वैसे अगर आंकड़ों में बात करें तो उत्तर प्रदेश को ये दो लड़कों का साथ ज्यादा पसंद नहीं आता है। इसका एक बड़ा लिटमस टेस्ट तो साल 2017 में ही हो गया था जब विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी की आंधी में सब कुछ धुल गया था।
2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में एनडीए ने राज्य में प्रचंड वापसी करते हुए 325 सीटें जीती थीं, वहीं कांग्रेस और सपा के गठबंधन को महज 54 सीटों के साथ संतोष करना पड़ा था। आलम ये था जिस कांग्रेस ने 100 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा, उसका आंकड़ा सात सीटों से आगे नहीं बढ़ पाया।
उस चुनाव में नारा दिया गया था- यूपी को ये साथ पसंद है। वहीं अखिलेश और राहुल की जोड़ी को लेकर बोला गया- यूपी के दो लड़के। अब दोनों ही नारे जमीन पर फुस हो गए और वो गठबंधन एक सियासी फेलियर बनकर रह गया।
लेकिन इस बात को सात साल बीत चुके हैं। जो अखिलेश यादव पहले हर मंच से कह रहे थे कि उन्हें कांग्रेस के साथ गठबंधन करने में नुकसान हुआ था, अब बीजेपी और पीएम मोदी को हराने के लिए वे फिर साथ आ गए हैं। सभी पुराने विवादों को पीछे छोड़ फिर साथ में काम करने की कसमें खाई गई हैं।
ये अलग बात है कि बीजेपी 80 की 80 सीटें जीतने का दावा कर रही है, उसे भरोसा है कि उसका वोट शेयर भी बढ़ेगा और सीटों की टैली भी रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचेगी।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."