वल्लभ लखेश्री
केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के अति पिछड़े और महादलितों को आरक्षण के भीतर आरक्षण देने का समर्थन किया और वकील कपिल सिंबल ने इस आरक्षण को उप वर्गीकृत करने के पक्ष में जो दलिलें सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष रखी वह बहुत ही सारगर्भित, प्रासंगिक एवं तार्किक है ।
सरकार की सामाजिक सरोकार की यह मन्शा मिल का पत्थर साबित हो सकती है। यदि सरकार इसे मूर्त रूप देने में गंभीर है और संवैधानिक पेंचों में यह मसला लटकता हो तो आरक्षित वर्ग की आधे से अधिक आबादी को मानवीय संवेदनाओं का ध्यान में रखते हुए संवैधानिक संशोधन द्वारा भी सम्भव है ।
आरक्षित वर्ग एससी में एक दो ही नहीं बल्कि सैकड़ो जातियां उपजातियां आज भी आजादी की पूर्व की दशा में जीवन गुजर कर रही है। जो सिविर लाइन नरक, मृत चमड़ों की खींचतान, बिना छत बिना आंगन भीख मांग कर या भूखे रहकर अपनी जिंदगी बसर कर रही है ।
तो दूसरी तरफ एसटी वर्ग की भी ऐसी पचासों जातियां उपजातियां हैं जो जंगलों में अर्धनग्न अवस्था में जीवन की सांस काटने के लिए घास फूस की रोटियां खाकर दिन गुजर रहे हैं। जिन्हें आजादी, अधिकार, संविधान और आरक्षण कोई वास्ता नहीं है यदि अस्पृश्यता को ही आरक्षण का पैरामीटर मान लिया जाए तो भी आरक्षित वर्ग की दर्जनों क्रिमिनल एवं उच्च जातियां अति पिछड़ी जातियों के साथ में जातिय भेदभाव करती आ रही है ।दूसरी तरफ आरक्षण सुविधा सीमित दायरे में सिमटती जा रही है ।ऐसी दशा में अवसरों की समानता की अवधारणा को फलीभूत करने के लिए अति दलित अति पिछड़े एससी एसटी जातियों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में इस श्रेणी के आरक्षण में से उप वर्गीकृत करना मानवीय आधार बहुत ही प्रासंगिक है। ऐसा करके आरक्षित वर्ग की आधी से अधिक आबादी को पाषाण युग की यातनाओं और पीड़ा से उबारा जा सकता है। जिसमें सरकार की मंशा एक नई रोशनी को इंगित करती है।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में इस तरह की 23याचिकाओं पर जिरह चल रही है ।जिसमें आरक्षित वर्ग में भी अति दलित महा पिछड़े वर्ग के लोगों के एससी एसटी आरक्षण में से अलग आरक्षण देने की मांग है सरकार की मंशा है कि उन सबके को उठाने के लिए आरक्षित वर्ग के आरक्षण में से ही उनकी अति पिछड़े लोगों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में अलग आरक्षण दिया जाए जिसे मैं हृदय से समर्थन करता हूं। क्योंकि आरक्षण का असली लाभ कुछ एक जातियां तक ही सीमित हो गया है वही जाती है उनकी मलाई का मजा ले रही है।
(लेखक वल्लभ लखेश्री, प्रदेश महासचिव अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति संगठन ऑल इंडिया परिसंघ। दलित चिंतक एवं लेखक)
Author: samachar
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