शाश्वत की रिपोर्ट
देश की टॉप IIT में से एक IIT-BHU में गैंगरेप की घटना हुई। घटना के दस घंटे के भीतर BHU के छात्र लामबंद हो गए और हजारों की संख्या में धरने पर बैठ गए। मामला पुलिस तक पहुंचा। अब पुलिस पर दबाव था कि वो इस मामले को जल्द से जल्द सॉल्व करे।
लगातार चल रहे धरने और सोशल मीडिया पर बढ़ते के बीच पुलिस को एक क्लू मिलता है। वो यह कि BHU मुख्यद्वार के CCTV फुटेज में एक लड़का दिखा है जिसका हावभाव गैंगरेप के एक आरोपी से मिलता- जुलता है। बस फिर क्या CCTV फुटेज में दिखे लड़के को उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स की टीम उठाकर थाने ले आती है।
इसके बाद शुरू होता है पुलिस का टॉर्चर। जुर्म कुबूल कराने के लिए वो सब हथकंडे अपनाती है, लेकिन लड़का गैंगरेप में शामिल होने की बात नहीं स्वीकारता। पीड़ित लड़की से लड़के की शिनाख्त कराई जाती है। पीड़िता साफतौर से मना कर देती है वो लड़का दोषी नहीं। इसके बाद भी पुलिस उस लड़के को हिरासत में रखती है।
इधर लड़के के पिता-भाई सुबूत जुटाते हैं, उसके निर्दोष होने की दलील पेश करते हैं। फिर 72 घंटे बाद चुपके से उस लड़के को छोड़ दिया जाता है। आपको लग रहा होगा कि यह बात अब यहीं खत्म हो गई। कुछ दिन जेल की प्रताड़ना को याद करने के बाद लड़का और उसके परिवार के लोग नॉर्मल लाइफ जी रहे होंगे।
मगर कहां… इस पूरा मामले में समाज के ठेकेदारों का काम तो रह ही गया। उनकी एंट्री का वक्त अब आया है।
दरअसल इन सब के बीच उस लड़के के इंस्टाग्राम अकाउंट का स्क्रीनशॉट वायरल हो गया। और, कथित रूप से एक लड़की को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ रहे समाज के ठेकेदारों ने उसके परिवार की महिलाओं को अगला निशाना चुन लिया।
IIT में पढ़ने वाले देश के कुछ ‘स्मार्ट ब्रेन’ समेत कुछ और लोग 72 घंटे के भीतर लड़के की मां-बहन को सोशल मीडिया पर गालियां देने लगते हैं। लड़के की बहन को वर्चुअल रेप की धमकियां मिलने लगती हैं।
अब जब असली आरोपी गिरफ्तार हो गए हैं तब एक निर्दोष परिवार अपनी गलती पूछता हुआ समाज की तरफ टकटकी लगाए हुए है। उस परिवार की औरतें आज घर के बाहर निकल नहीं पा रही हैं। पुरुष सदस्यों से भी कैरेक्टर सर्टिफिकेट मांगे जा रहे हैं।
BHU में टूरिज्म एंड ट्रेवल मैनेजमेंट पढ़ने वाले हर्ष ही वो शख्स हैं, जिन्हें घटना वाली रात BHU गेट के CCTV में देखकर आरोपी मान लिया गया था। मैं उनसे मिलने बनारस पहुंचा हूं। तीन मंजिल मकान में हर्ष जॉइंट फैमिली में रहते हैं। मुझे गेट पर लेने उनके साथ उनकी मां, चाची और परिवार के कुछ सदस्य पहुंचे।
सवाल पूछने के पहले ही हर्ष कहने लगते हैं, ‘मेरा कोई कसूर नहीं। पापा का ट्रांसपोर्ट का बिजनेस है। पढ़ाई के साथ-साथ मैं उनकी थोड़ी बहुत मदद भी करता हूंI उस दिन मेरे तीन ट्रक BHU में आने थे। पापा ने मुझसे कहा कि ट्रकों को BHU मेन गेट के बगल में खड़ा करवा दो। रात में कैंपस के अंदर एंट्री नहीं हो सकती है। सुबह 5 बजे ट्रक अंदर कर लिया जाएगा। मैं ड्राइवर को रास्ता दिखाने कैंपस के गेट तक गया था। तब तकरीबन रात के 12 बज रहे थे। पापा का काम कर मैं घर आ गया।’
पुलिस को आप पर शक क्यों हुआ?
हर्ष कहते हैं, ‘मुझे यह बात समझ नहीं आई। आप मेरे घर पर CCTV को चेक कर सकते हैं। जब मैं ट्रक लगवाकर घर में एंटर कर रहा था तब रात के 12:57 हो रहे थे। आपको पता है कि मेरे घर का CCTV महीनों से खराब था। इस घटना के दो दिन पहले ही हमने सुधरवाया था। उस वक्त मुझे लगा यही बस अच्छा हुआ है इसलिए मैंने सबूत के तौर पर सोशल मीडिया पर अपने घर की CCTV क्लिप पोस्ट कर लिख दी कि रेप करने वाला मैं नहीं हूं। अब अहसास होता है कि यही मेरी गलती थी।’
इसके बाद क्या हुआ?
‘अगले दिन यानी 2 नवंबर, 2023 की सुबह मैं 11 बजे सोकर उठा था। चाचा ने मुझे अपने साथ चलने को कहा। मैं उनके साथ बिजनेस के काम से सर्किट हाउस चला गया। मैं और चाचा ‘थार’ गाड़ी में थे। काम खत्म कर जब हम दोनों घर लौट रहे थे तो अचानक सफेद इनोवा ने हमें ओवरटेक कर लिया।
पहले तो हमें लगा कि शायद गाड़ी ठुक गई होगी और इन्हें कुछ कहना होगा। अचानक उस गाड़ी में सवार सभी पांच लोग नीचे उतरे और मुझे अपनी गाड़ी में बिठा लिया। पूछने पर कि मैंने क्या किया है, उन्होंने कहा कि चुपचाप चलो थाने में जाकर सब बताते हैं।’
हर्ष से बीच रास्ते में पूछा गया कि तुम्हारे साथी कहां हैं जिन्होंने तुम्हारे साथ रेप किया है। यह सब सुनकर हर्ष घबरा गए। धीमी आवाज मैं उन्होंने कहा कि गलतफहमी हुई है आप सबको। इसके बाद भी उन्हें अपराधी की तरह ‘लंका’ थाने लाया गया।
हर्ष कहते हैं, ‘लंका थाने पर CO यानी सर्कल ऑफिसर प्रवीण सिंह बैठे थे। मुझे देखते ही गालियां बकीं और कहा, ‘यही है ***** इसे अंदर करो।’
मैंने कुल दो बार बोलने की कोशिश की और उन्होंने मुझे उससे भी भद्दी गालियां देकर अपने चेंबर के भीतर के कमरे में बिठा दिया।
पांच मिनट बाद वो अंदर आए, मेरी तस्वीर खींची और उस लड़की को भेजा। लड़की ने दो मिनट के भीतर ही रिप्लाई किया कि ये वो लड़का नहीं है। इतने देर में मेरे पापा CCTV फुटेज लेकर आ गए थे। उन्होंने रिकॉर्डिंग देखा भी नहीं और कहा कि मेरे पास भी बहुत रिकॉर्डिंग है, ये बस जेल जाएगा।’
दस मिनट बाद हर्ष को बिना नंबर प्लेट की गाड़ी में बिठाकर पुलिस लाइन भेज दिया गया।
हर्ष 72 घंटे तक बिना अपराध के जेल में थे
जेल के माहौल के बारे में हर्ष बताते हैं, ‘जेल में एक साड़ी को लपेटकर बनाया गया बिछौना, एक बाल्टी और मग मुझे दिया गया था। वहां वॉशरुम में दरवाजा भी नहीं था। पहले दिन तो मैं रोता रहा। मुझे जेल छूटने के दो घंटे पहले तक नहीं पता था कि जेल में मेरा क्या होगा। जब वो लोग मुझे बिना नंबर प्लेट की गाड़ी में ले जा रहे थे तब मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि मेरा आज एनकाउंटर कर दिया जाएगा।’
मानसिक प्रताड़ना झेल रहे थे कि उसी बीच सोशल मीडिया पर उनका इंस्टाग्राम एकाउंट वायरल हो गया। घर आकर उन्होंने अपना फोन खोला तो वो हैंग हो गया था। उसे ठीक करवाने के बाद फिर जो हुआ उस घटना ने पूरे परिवार को अब तक झकझोर कर रखा है।
क्या हुआ उसके बाद?
हर्ष कहते हैं, ‘मैं जब 72 घंटे बाद जेल से बाहर आया तो मालूम चला कि मेरा फोटो वायरल हो गया है। मेरी बहन, मां को IIT BHU के स्टूडेंट्स गालियां दे रहे हैं। गालियों से मेरे फोन का इनबॉक्स भरा था।
IIT BHU के स्टूडेंट्स ने मेरी बहन की सोशल मीडिया ID ढूंढ निकाली। उस ID पर उसे रेप की धमकियां रोजाना मिलने लगीं। उसे किसी ने मैसेज किया था कि तुम्हारे साथ भी ऐसा (रेप) ही होना चाहिए।
मेरी बहन शादीशुदा है। वो इतना डर गई कि उसने अपना एकाउंट डिलीट कर दिया। इन सबका कोई असर लोगों को नहीं हुआ, लेकिन मेरी बहन पर गहरा हुआ। वो डरी-सहमी रहती है। उसके सामने पूरी जिंदगी है। पूरे परिवार वालों को डर लगा रहता है कि इस एक घटना की वजह बहन की लाइफ न बर्बाद हो जाए।’
हर्ष की मम्मी पूनम सिंह से भी मेरी बातचीत होती है। जब बेटे को पुलिस उठाकर ले गई थी तब उन्होंने तीन दिनों तक बिना खाए उनकी राह देखती रहीं। बच्चों के साथ जो हो रहा है उससे वो बेहद चिंतित हैं।
मेरी तरफ देखकर वो कहती हैं, ‘पता नहीं क्यों अभी भी लोग मेरे बेटे को बेगुनाह नहीं मानते हैं।’
मैं पूनम की तरफ देखता हूं। वो कहने लगती हैं, ‘मेरा बेटा ऐसा नहीं कर सकता है। घटना वाले दिन मैंने खुद हर्ष को रात के एक बजे खाना परोसा है। पीड़ित लड़की खुद कह रही है कि हर्ष दोषी नहीं है। इसके बावजूद लोग राह चलते हमें नीचा दिखने में कोई कसर नहीं छोड़ते। पीठ पीछे तरह-तरह की बातें करते हैं।’
पूनम अपने परिवार की तकलीफ के लिए पुलिस की तरफ से हुई देरी को जिम्मेदार मानती हैं। कहती हैं, ‘पूरा परिवार साठ दिनों तक पुलिस के स्टेटमेंट का इंतजार करते रहा। आरोपियों के पकड़े जाने के बाद भी पुलिस ने हर्ष के बारे में कोई स्टेटमेंट नहीं दिया। पुलिस ने कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की है। मेरा पूरा परिवार सामान्य जीवन जीना चाहता है, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा।’
हर्ष को लेकर लोग अभी भी जजमेंटल बने हुए हैं। हर्ष ने हमें बताया, ‘मोहल्ले के लोगों के साथ भी पहले जैसा रिश्ता नहीं है। सामने कोई कुछ नहीं कहता, पीठ पीछे सब बातें करते हैं। मैं बाहर निकलता हूं तो लोग मुझे ऐसे देखते हैं जैसे मैंने रेप किया है। मैं कहीं चाय की दुकान पर भी खड़ा होता हूं तो लोग मेरे बगल में खड़े होकर जानबूझकर मेरी बातें करते हैं। आप खुद सोचिए हमारे समाज की दोगली सोच के बारे में जो एक स्त्री को न्याय दिलाने तो निकला है, लेकिन दूसरी मां-बहन को अपना हथियार बना रहा है। (साभार)
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."