संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट। आध्यात्म व प्रवचन की आड़ में संतों महात्माओं द्वारा विवादित टिप्पणियां करते हुए खूब वाहवाही लूटी जा रही हैं जिसमें यह सन्त महात्मा कभी राजनीति तो कभी सामाजिक भावनाओं को ठेस पहुंचाते हुए विवादित टिप्पणियां करते हुए नज़र आते हैं लेकिन इन पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है जिसके कारण यह सन्त महात्मा आए दिन विवादित टिप्पणियों के ज़रिए ख़ूब वाहवाही लूटते हैं l
ऐसा ही एक मामला सामने आया है चित्रकूट ज़िले के जगद्गुरु रामभद्राचार्य का l
चित्रकूट ज़िले के जगद्गुरु रामभद्राचार्य का एक वीडियो सोशल मीडया पर इन दिनों जमकर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में वो भगवान राम की उपासना करने की बात करते हुए जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल करते सुनाई पड़ते हैं. इसको लेकर सोशल मीडिया पर उनको गिरफ्तार करने की मांग भी हो रही है. साथ ही लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या ये किसी संत, महात्मा व जगद्गुरु की वाणी है…?
वायरल वीडियो में जगद्गुरु रामभद्राचार्य द्वारा कहा जा रहा है कि “गोस्वामी जी कहते हैं कि जो रामजी को नहीं भजता वो चमार है.”
वायरल वीडियो के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और रामभद्राचार्य की गिरफ्तारी की मांग होने लगी है l
वायरल वीडियो को लेकर लोगों में भारी आक्रोश, सोशल मीडिया पर यूज़र कर रहे टिप्पणी
वायरल वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा साफ़ दिखाई दे रहा है जिसमें लोगों द्वारा कहा जा रहा है कि दलितों के प्रति जातिसूचक शब्द, छुआछूत, घृणा और नफरत रखने वाले ऐसे जातिवादी व्यक्ति पर कठोर कार्रवाई की जाए l
एक यूजर ने कहा, “रामभद्राचार्य को तत्काल गिरफ्तार किया जाना चाहिए.” इसके अलावा एक यूजर ने लिखा, “महाराज आप बुजुर्ग हो और सम्माननीय भी. समाज को जोड़ने का काम कीजिए, तोड़ने का नहीं.”
एक अन्य यूजर ने लिखा, “सच में देश बदल गया है. धर्मगुरु राजनीति कर रहे हैं और राजनेता धर्म गुरु बन गए हैं. मंच पर बैठ कर जाति विशेष को अपमानित कर रहे इस व्यक्ति पर संविधान लागू नहीं होता क्या? और अगर ऐसा है तो गिरफ्तार करो. ये किसी संत की वाणी नहीं है. कार्रवाई होनी चाहिए.”
एक यूजर ने कहा, “ये किसी संत की वाणी है? हिंदू समाज पहले से ही खंड-खंड है. रही सही कसर ये पूरी कर रहे हैं. 800 साल की गुलामी ऐसे ही नहीं आई, क्योंकि एकता कभी बन ही नहीं पाई. लोकतंत्र के बाद सब ठीक हो रह है तो इनको हजम नहीं हो रहा है.”
एक यूजर ने वीडियो शेयर करते हुए कहा, “भगवान का संदेश और ऊंच-नीच को बढ़ावा. अमर्यादित शब्द का भंडार लिए यह मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की कथा सुना रहे हैं, रूढ़िवादी मानसिकता को बढ़ावा क्यों? अध्यात्म के नाम पर जातिसूचक शब्दों का प्रचार करना कितना सही है? जिम्मेदार कौन…? यह आचरण निंदनीय हैं.”
आध्यात्म व प्रवचन की आड़ में सन्त महात्माओं व जगद्गुरुओं द्वारा की जा रही जातिवादी टिप्पणियों की जॉच कराकर शासन प्रशासन को कार्यवाही करने की जरूरत है जिससे समाज में भेदभाव, छुआछूत व जातिवादी मानसिकता रखते हुए एक विशेष समुदाय को अपमानित करने वालों को सबक मिल सके l
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."