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November 22, 2024 10:20 pm

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मध्य प्रदेश में आंधी, छत्तीसगढ़ में चौंकाने वाली जीत और राजस्थान में कांग्रेस से सत्ता की वापसी ; 2024 आम चुनाव का सेमीफाइनल बीजेपी के नाम

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आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट

नई दिल्ली: बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने जाति सर्वेक्षण का कराया, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को लगा जैसे उनके हाथ जादुई चिराग हाथ लग गया। उन्होंने चुनाव मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दमदार चेहरे पर कास्ट सर्वे के हथियार से वार करने का फैसला किया। राहुल ने ‘जितनी आबादी, उतना हक’ का नारा दिया और कांग्रेस पार्टी ने चुनावी घोषणा पत्रों में जाति सर्वेक्षण करवाने की गारंटी देने लगी। उत्तर भारत में जाति आज भी एक कड़वी सच्चाई है। खासकर, राजनीति में जाति की जकड़ तो बहुत मजबूत है। राहुल ने सोचा कि चुनावी वैतरणी में कांग्रेस की नैया का खेवैया क्यों नहीं जाति को ही बनाया जाए। लेकिन अब आए परिणामों ने बता दिया कि जनता अपनी जाति नहीं देखती है जब मोदी का चेहरा नजरों के सामने हो।

उत्तर भारत में कांग्रेस को मिल गया जवाब

उत्तर भारत में अकेले उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं। इसके अलावा, जातीय राजनीति के प्रभाव वाले प्रदेशों बिहार (40), मध्य प्रदेश (29), राजस्थान (25) और हरियाणा (10) की बात करें तो लोकसभा सीटों की संख्या 184 हो जाती है। आम चुनाव में बहुमत का आंकड़ा छूने के लिए जरूरी 273 सीटों के लिहाज से 184 का यह आंकड़ा बड़ा है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव परिणामों ने स्पष्ट कर दिया जनमानस अब भी पीएम मोदी के साथ है। 2019 के लोकसभा चुनाव में इन 184 में 141 सीटें अकेले बीजेपी के खाते में गई थीं। इसके अलावा, गुजरात की 26 में 26, दिल्ली 7 में 7, हिमाचल की 4 में 4 और महाराष्ट्र की 48 में 23 सीटों को जोड़ दें तो बीजेपी को 201 सीटें मिल गई थीं। अगर साथी दलों को मिली सीटों को भी जोड़ दिया जाए तो आंकड़ा और भी आगे चला जाता है। 

मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण का संदेश समझें

जहां तक दक्षिण भारत की बात है तो निश्चित रूप से कर्नाटक के सिवा किसी अन्य प्रदेश में बीजेपी को (28 में 25) और तेलंगाना (17 में 4) में ही सीटें मिली थीं। इस बार कर्नाटक के बाद तेलंगाना में कांग्रेस की बंपर जीत से संकेत मिलता है कि इन दोनों ही प्रदेशों में बीजेपी की सीटें घट सकती हैं जबकि कांग्रेस को फायदा हो सकता है। लेकिन यहां एक पेच है। कांग्रेस को दोनों ही राज्यों में मुस्लिम मतदाताओं की एकजुटता का लाभ मिला है। पहले कर्नाटक और अब तेलंगाना में मुस्लिम वोटों का कांग्रेस की तरफ ध्रुवीकरण उसके ही गठबंधन दलों को असहज करेगा। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (एसपी) प्रमुख अखिलेश यादव मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे के मुद्दे पर कांग्रेस से नाराज हो गए और तभी से उन्होंने कांग्रेस पार्टी और इसके नेताओं के लिए भला-बुरा कहना शुरू कर दिया था।

अब इंडिया गठबंधन का क्या होगा?

दरअसल, अखिलेश यादव हों या ममता बनर्जी, मुस्लिम वोटों पर बहुत हद तक निर्भर रहने वाले क्षत्रप कांग्रेस को संदेह की दृष्टि से ही देखेंगे। अखिलेश की कांग्रेस से तल्खी साफ कहती है कि उन्हें इस बात की चिंता है कि मुस्लिम मतदाता कांग्रेस के पीछे एकजुट होने लगे हैं। कर्नाटक का पैटर्न तेलंगाना में दुहराने से अखिलेश, ममता जैसे नेताओं के माथों पर बल जरूर पड़ेग, कम या ज्यादा। इसलिए, दक्षिण में कांग्रेस की जीत का उत्तर में अलग ही संदेश आने वाला है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सत्ता बीजेपी के हाथों गंवाने और मध्य प्रदेश में बुरी तरह पराजित होने के बाद विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A में कांग्रेस का कद कम होगा, अपनों के बीच ही उसकी पूछ घटेगी। कुल मिलाकर कहें तो कांग्रेस को दक्षिण की जीत से उत्तर में जवाब मिल गया। लोकसभा चुनाव में उत्तर भारत कांग्रेस को कायदे से ना कहने वाला है। दक्षिण में उसे क्षेत्रीय क्षत्रपों से कड़ा सामना है।

कुल जमां नतीजा यही है कि 2024 में कांग्रेस और कमजोर होगी। वह इंडिया गठबंधन जो अब तक अपना संयोजक नहीं चुन सका, उसका आगे का हाल तो समझ ही सकते हैं।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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