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November 22, 2024 1:55 pm

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आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद महाराज से मिले RSS प्रमुख मोहन भागवत ; वीडियो ?में देखिए धर्म गुरु और राजनेता की दिलचस्प बातें

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ठाकुर धर्म सिंह ब्रजवासी की रिपोर्ट

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख डॉ. मोहन भागवत वृंदावन में आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंदजी महाराज (Premanand Ji Maharaj) से मिलने पहुंचे। दोनों की मुलाकात की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। 

वीडियो में दिख रहा है कि मोहन भागवत पीला दुपट्टा ओढ़ाकर प्रेमानंदजी महाराज का स्वागत करते हैं।

संघ प्रमुख ने कहा कि आपकी बातें वीडियो में सुनी थी, तो लगा कि एक बार दर्शन कर लेना चाहिए. उन्होंने आगे कहा, “चाह गई, चिंता मिटी…मनवा बेपरवाह” आप जैसे लोग कम देखने को मिलते हैं। 

इसके बाद प्रेमानंदजी महाराज (Premanand Ji Maharaj) कहते हैं कि अपने लोगों का जन्म सिर्फ सेवा के लिए हुआ है… व्यवहारिकी और आध्यात्म की सेवा। यह दोनों सेवाएं अति अनिवार्य हैं। हम भारत के लोगों को परम सुखी करना चाहते हैं, तो सिर्फ वस्तु और सेवा से नहीं कर सकते हैं। उनका बौद्धिक स्तर सुधरना चाहिए। 

प्रेमानंदजी महाराज आगे कहते हैं कि आज हमारे समाज का बौद्धिक स्तर गिरता चला जा रहा है। यह बहुत चिंता का विषय है। हम सुविधाएं दे देंगे, विविध प्रकार की भोग सामग्रियां दे देंगे, पर उनके हृदय की मलीनता है, हिंसात्मक प्रवृत्ति है, अपवित्र बुद्धि है…ये जब तक ठीक नहीं होगी, तब चीजें नहीं बदलेंगी। 

नई पीढ़ी से कोई MP-MLA बनेगा पर…

प्रेमानंदजी महाराज ने कहा कि हमारी जो नई पीढ़ी है, वही राष्ट्र की रक्षा करने वाले हैं। अभी जो विद्यार्थी हैं, उन्हीं में कोई एमएलए बनता है, कोई एमपी बनता है, कोई मुख्यमंत्री बनता है, कोई राष्ट्रपति अथवा प्रधानमंत्री बनता है। हमारी शिक्षा सिर्फ आधुनिकता का स्वरूप लेती जाए, यह ठीक नहीं है। व्यभिचार, व्यसन और हिंसात्मक प्रवृत्ति… नई पीढ़ी में इन तीन चीजों को देखकर बहुत असंतोष होता है।

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प्रेमानंदजी महाराज ने कहा कि हमारे जीवन का लक्ष्य क्या है? हमें जितना भगवान राम, भगवान कृष्ण प्रिय हैं… उतना ही भारत देश भी प्रिय है। जिस तरीके से राम भक्त और कृष्ण भक्त हैं, उसी तरीके से भारत का हर भक्त वंदनीय है, लेकिन अब जो मानसिकता बन रही है, वह हमारे धर्म और देश के लिए लाभदायक नहीं है। 

आरएसएस प्रमुख ने क्या जवाब दिया?

डॉ. मोहन भागवत (Dr Mohan Bhagwat) ने कहा कि मैंने 3 दिन पहले नोएडा में एक संबोधन के दौरान यही बातें रखी थीं। आप लोगों से जो सुनता हूं, वही बोलता हूं और वही करता हूं। प्रयास तो हम हमेशा करेंगे, निराशा कभी नहीं होंगे क्योंकि जीना इसी के साथ है और मरना इसी के साथ। हां… होगा क्या, इसकी चिंता तो मन में आती है। 

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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