ठाकुर धर्म सिंह ब्रजवासी की रिपोर्ट
आगरा: उत्तर प्रदेश में दलित आंदोलन कई भागों में बंटता नजर आ रहा है। एक तरफ 4 बार की मुख्यमंत्री मायावती (Mayawati News) हैं तो दूसरी ओर आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के चंद्रशेखर (Chandra Shekhar News) खड़े हैं। दलित युवाओं में जोश भरने वाले चंद्रशेखर की लोकप्रियता मायावती के लिए चुनौती बन रही है। यही वजह है रविवार को आगरा में हुई जनसभा में युवाओं, बुजुर्गों के साथ-साथ महिलाओं की भीड़ भी अच्छी खासी रही। एनबीटी ऑनलाइन से बात करते हुए दलित महिलाओं ने बताया कि मायावती ने जनता से मुंह मोड़ लिया है, जबकि चंद्रशेखर बिना किसी जाति भेदभाव के अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं। यही वजह है कि अबकी बार वे बीएसपी के बजाए चंद्रशेखर की पार्टी को वोट देना चाहती हैं।
रविवार को आगरा के जीआईसी मैदान में चंद्रशेखर आजाद ने संविधान बचाओ संकल्प सभा की। चंद्रशेखर ने दलितों के साथ हुई घटनाओं पर प्रदेश सरकार को घेरा। हाथरस कांड में मुख्यमंत्री के वायदे पर सवाल खड़े किए। चंद्रशेखर ने कहा कि संविधान के तहत सभी को स्वाभिमान और सम्मान से जीने का अधिकार है, लेकिन देश में गैर बराबरी की स्थिति बनी हुई है, जब तक ये दूर नहीं होगी संविधान की नहीं बचेगा। उन्होंने कहा कि संविधान को बचाने के लिए जान की बाजी तक लगा दी जाएगी। जनसभा के बाद वे शहीद कैप्टन शुभम गुप्ता के घर सांत्वना देने पहुंचे थे।
‘बुजुर्ग हो गईं हैं मायावती’
जनसभा में शामिल होने आईं 19 वर्षीय रजनी ने बताया कि अब मायावती बुजुर्ग हो गई हैं। वे किसी आंदोलन में भाग नहीं लेती हैं। जहां उन्हें जाना चाहिए वहां चंद्रशेखर जाते हैं। शाहगंज की संगीता देवी कहती है कि चंद्रशेखर अन्याय खिलाफ लड़ते हैं। गली-कूचों तक पहुंच जाते हैं, जबकि बहन जी अपने घर से बाहर नहीं निकलती हैं। कौशांबी से आए रामप्रकाश ने बताया कि वे चंद्रशेखर को अपने जिले में आमंत्रण देने के लिए आए हैं। 450 किमी दूरी तय करके वे एकदिन पहले से पहुंच गए थे,लेकिन उनकी मुलाकात नहीं हो सकी। एत्मादपुर के संजीव एडवोकेट कहते हैं कि बहन जी की रीति और नीति अब खराब हो चुकी है। वे घर बैठी हैं और चंद्रशेखर अन्याय खिलाफ मौके पर पहुंच रहे हैं। अभिषेक जाटव कहते हैं कि बहन जी को अब भाई के संघर्ष में साथ देना चाहिए।
वोटरों को साधते रहे चंद्रशेखर
भीम आर्मी के चीफ और आजाद समाज पार्टी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद दलित वोटरों में सेंधमारी का प्रयास कर रहे हैं।
बहुजन समाज पार्टी को आगामी चुनावों में नुकसान पहुंचा सकते हैं। संविधान बचाओ जनसभाओं में चंद्रशेखर अपने लिए राजनैतिक सपोर्ट मांग रहे हैं। चंद्रशेखर ने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि अगर वे उन्हें चुनकर विधानसभा या संसद में नहीं भेजेंगे तो वे उनके लिए संघर्ष कैसे करेंगे। उन्होंने सरकार में बैठे दलित नेताओं पर जमकर कटाक्ष किया। बिखरते दलित वोट बैंक को जैसे मायावती एकत्रित करने का प्रयास करती हैं, ठीक उसी तरह से चंद्रशेखर दलितों की संवेदनाओं को अपने प्रति जाग्रत करत हुए नजर आए।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."