सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
कुशीनगर। प्रभु श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का पर्व श्री कृष्ण जन्माष्टमी यूं तो सनातन धर्म का मुख्य पर्व है , संत हों या गृहस्थ सभी श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाते हैं। प्रभु श्रीकृष्ण का जन्म कारागार में हुआ था इस कारण हर जेल और पुलिस थानों में मनाया जाने वाला बड़ा त्योहार है। उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के थानों और जिला कारागारों में कृष्ण जन्माष्टमी मुख्य उत्सव के रूप में मनाई जाती है। लेकिन इसी प्रदेश में कुशीनगर जिले की पुलिस 30 साल से कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व नही मनाती आ रही है।
कुशीनगर पुलिस की पहली जन्माष्टमी ही अभिशप्त हो गई थी
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का नाम आते ही 30 साल पहले घटित पचरुखिया काण्ड की याद ताजा हो जाती है। यह घटना उस समय पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दी थी, आम जनता हो या पुलिस परिवार सबके दिल दहल गए थे। जन्माष्टमी के दिन ही उस समय आतंक के पर्याय बने जंगल पार्टी के डकैतों ने धोखे से बीच नदी में पुलिस पार्टी पर बमों, गोलियों से अंधाधुंध हमला कर दिया। बीच नदी की धार में जब तक पुलिस कर्मी मोर्चा संभालते तब तक देर हो चुकी थी, और दो इंस्पेक्टर सहित सात पुलिसकर्मी बलिदान हो गए। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन खेला गया यह खूनी खेल और वीर पुलिसकर्मियों का बलिदान पूरे प्रदेश को गमजदा कर दिया, तब से लेकर आज तक कुशीनगर जिले के किसी भी पुलिस थाने और पुलिस लाइन में बलिदानियों की याद में कृष्ण जन्माष्टमी नही मनाई जाती है।
23 अगस्त 1994 श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की वह रात
वर्ष 1994 मे कुशीनगर जनपद, देवरिया जनपद से अलग होकर अस्तित्व मे आया था। नये जिले के सृजन को लेकर आम जनमानस की तरह सरकारी महकमा और पुलिस प्रशासन भी उत्साहित और जश्न के माहौल मे था। बताया जाता है कि 23 अगस्त 1994 को यहा का पुलिस महकमा मे कुशीनगर जनपद बनने के बाद पहली श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पुलिस लाइन मे बडे धूमधाम से मनाने की तैयारी जोरो पर चल रही थी। पुलिस विभाग के आला अफसर से लगायत तमाम पुलिसकर्मी तैयारी मे लगे हुए थे तभी पडरौना कोतवाली पुलिस को सूचना मिली कि जंगल दस्यु बेचू मास्टर व रामप्यारे कुशवाहा उर्फ़ सिपाही अपने साथियों के साथ पचरुखिया गांव मे किसी बडी घटना को अंजाम देने के फिराक मे है। बताया जाता है कि पडरौना कोतवाली के तत्कालीन इंस्पेक्टर योगेन्द्र प्रताप सिंह ने इसकी सूचना उस समय SP कुशीनगर बुद्धचंद को दी। सूचना को गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन एसपी ने कोतवाल को थाने मे मौजूद फोर्स व मिश्रौली डोल मेला मे लगे जवानों को लेकर मौके पर पहुचने का निर्देश दिया। इसके अलावा SP ने तरयासुजान के तेज-तर्रार थानाध्यक्ष अनिल पाण्डेय को इस अभियान मे शामिल होने का आदेश जारी किया।
जंगल दस्युओं को धर पकड़ के लिए SP ने गठित की थी दो टीम
जंगल दस्युओं को पकडने के लिए SP बुद्धचंद ने दो टीम गठित किया। CO पडरौना आरपी सिंह के नेतृत्व मे पहली टीम मे CO हाटा गंगानाथ, पडरौना कोतवाल योगेन्द्र सिंह, आरक्षी मनिराम चौधरी, रामअचल चौधरी, सुरेन्द्र कुशवाहा, विनोद सिंह व तरयासुजान थानाध्यक्ष अनिल पाण्डेय के नेतृत्व मे दुसरी टीम मे एसओ कुबेरस्थान राजेन्द्र यादव, दरोगा अंगद राय, आरक्षी लालजी यादव, खेदन सिंह, विश्वनाथ यादव, परशुराम गुप्ता, अनिल सिंह, नागेन्द्र पाण्डेय आदि शामिल थे जो तकरीबन साढे नौ बजे पचरुखिया घाट पर पहुंचे। यहा पुलिस टीम को जानकारी मिली कि जंगल दस्यु अपने लाव-लश्कर के साथ पचरुखिया गांव मे है। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने भुखल नामक नाविक को बुलाकर उसके डेंगी (छोटी नाव) पर सवार होकर नदी उस पार चलने को कहा।
पहली टीम वापस आ गई, दुसरी टीम पर डकैतों ने किया हमला
भुखल ने दो बार में डेंगी से पुलिस कर्मियों को पचरुखिया घाट के बांसी नदी के उस पार पहुंचाया, लेकिन बदमाशों का कोई सुराग नहीं मिलने पर पहली खेप में शामिल सीओ समेत अन्य पुलिस कर्मी नदी के इस पार वापस आ गए जबकि दूसरे खेप में तरयासुजान थानाध्यक्ष अनिल पाण्डेय के साथ डेंगी पर सवार होकर चली पुलिस टीम की नाव जैसे ही बीच मझधार मे पहुची बदमाशों ने पहले बम फेका फिर ताबड़तोड़ फायर झोंक दिया। इस दौरान जंगल दस्युओं की गोली से नाविक भुखल व सिपाही विश्वनाथ यादव घायल हो गए। नाविक को गोली लगने के बाद डेंगी अनियंत्रित होकर नदी मे पलट गई। इससे नाव पर सवार सभी पुलिसकर्मी नदी में जा गिरे। पुलिसकर्मी खुद को संभाल पाते इससे पहले बदमाशों ने पुलिस टीम पर ताबड़तोड़ 40 राउंड फायर किया।
दो इंस्पेक्टर सहित सात पुलिसकर्मी हुए शहीद
घटना की सूचना सीओ सदर आरपी सिंह ने वायरलेस के जरिए एसपी बुद्धचंद को दी। इसके बाद मौके पर पहुंची फोर्स द्वारा डेंगी (छोटी नाव) पर सवार पुलिसकर्मियों की खोजबीन शुरू की गयी जिसमें एसओ तरयासुजान अनिल पांडेय, एसओ कुबेरस्थान राजेंद्र यादव, तरयासुजान थाने के आरक्षी नागेंद्र पांडेय, पडरौना कोतवाली के आरक्षी खेदन सिंह, विश्वनाथ यादव व परशुराम गुप्त शहीद हो गये तथा नाविक भुखल भी मारा गया। इस कांड में दरोगा अंगद राय, आरक्षी लालजी यादव, श्यामा शंकर राय व अनिल सिंह घायल हो गये थे।
नही मिली अनिल पाण्डेय की AK 47
घटनास्थल पर पुलिस के हथियार व कारतूस बरामद तो हुए, लेकिन अनिल पांडेय की AK 47 आज तक नहीं मिली। बताया जाता है कि तत्कालीन DGP ने भी घटना स्थल का दौरा कर मुठभेड़ की जानकारी ली थी। इसके बाद से ही कुशीनगर पुलिस पिछले 30 वर्षो से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी नहीं मनाती है।
SP पर लगे थे गंभीर आरोप
इस घटना में कोतवाल योगेंद्र सिंह ने कुबेरस्थान थाने में अज्ञात बदमाशों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराया था। घटना के बाद तत्कालीन डीजीपी ने भी घटनास्थल का दौरा कर मुठभेड़ की जानकारी ली थी। घटना को लेकर SP बुद्धचंद पर गंभीर आरोप लगे थे, विडंबना रही की न तो इस आरोप की जांच हुई और न ही SP पर किसी तरह की कारवाई ही हुई।
जंगल पार्टी के डकैतों के लिए काल बन गए थे दावा शेरपा IPS
कुशीनगर जिला उस समय जंगल पार्टी के डकैतों के आतंक से कराह रहा था। अपहरण, हत्या, बलात्कार जैसी घटनाओं से जनमानस खौफ में जी रहा था। इसी बीच दावा शेरपा IPS कुशीनगर के SP बनकर आए और जिले का चार्ज संभाले। अपनी तैनाती के दौरान दावा शेरपा ने बिहार पुलिस, कुशीनगर से सटे नेपाल के जिलों की पुलिस से जबरदस्त कोऑर्डिनेशन कर जंगल पार्टी के डकैतों के विरुद्ध जबरदस्त ऑपरेशन शुरू किया। बिहार,नेपाल, यूपी के जिलों में जंगल पार्टी के डकैतों और उनके संरक्षकों के ताबड़तोड़ एनकाउंटर से जंगल पार्टी के डकैतों में SP दावा शेरपा का खौफ इस कदर चढ़ गया की वे जिंदगी से पनाह मांगने लगे। उस दौर में दावा शेरपा की कुशीनगर में छवि “रोबिन हुड” जैसी बन चुकी थी। बता दें की दावा शेरपा , गोरखपुर जोन के ADG भी रह चुके हैं।
SP कुशीनगर
SP कुशीनगर धवल जायसवाल ने बताया कि अपने कर्तव्य पथ पर वीर पुलिसकर्मियों ने अपना बलिदान दिया। इन बलिदानियों के प्रति कुशीनगर पुलिस परिवार सदैव ऋणी रहेगा। उनकी याद में इस जन्माष्टमी पर भी पुलिस लाइन व थानों में किसी तरह का कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं होंगा।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."