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22 February 2025 3:04 pm

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यूएई में यूपी की महिला शहजादी के फांसी की खबरें गलत, मामला अभी विचाराधीन

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सुशील कुमार मिश्रा की रिपोर्ट

बांदा। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में विभिन्न आरोपों के तहत जेल में बंद उत्तर प्रदेश की रहने वाली भारतीय नागरिक शहजादी को 24 घंटे के भीतर फांसी दिए जाने की खबरें पूरी तरह गलत हैं। भारतीय दूतावास ने मामले पर नजर रखते हुए यह स्पष्ट किया है कि शहजादी के मामले में ‘समीक्षा याचिका’ दायर की गई है और यह अभी भी विचाराधीन है। सूत्रों के मुताबिक, यूएई प्रशासन से इस बात की पुष्टि की गई है कि फांसी की कोई तत्काल योजना नहीं है।

शहजादी के परिवार की अपील और दूतावास की सक्रियता

शहजादी उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की रहने वाली है। सितंबर 2024 की शुरुआत में उसके पिता शब्बीर खान ने बताया था कि उनकी बेटी काफी समय से यूएई की जेल में बंद है। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी ने उन्हें फोन करके बताया था कि उसे 20 सितंबर के बाद कभी भी फांसी दी जा सकती है। इस डर से उन्होंने भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ई-मेल के जरिए अपील की थी कि उनकी बेटी की जान बचाई जाए।

हालांकि, सोमवार को सूत्रों ने इन खबरों को गलत बताते हुए कहा कि शहजादी को 24 घंटे के भीतर फांसी नहीं दी जाएगी। भारतीय दूतावास ने भी इस मामले की गंभीरता को देखते हुए यूएई अधिकारियों से लगातार संपर्क बनाए रखा है और मामले की बारीकी से निगरानी कर रहा है।

क्या है पूरा मामला?

शहजादी के पिता शब्बीर खान ने बताया कि उनकी बेटी निर्दोष है और उसे झूठे मामले में फंसाया गया है। उन्होंने पूरी घटना की जानकारी देते हुए बताया कि जब शहजादी छोटी थी, तब वह किचन में एक हादसे में आग से बुरी तरह झुलस गई थी। उसके चेहरे पर गंभीर जलने के निशान थे। साल 2020 में उसकी पहचान सोशल मीडिया के माध्यम से आगरा के रहने वाले उजैर नाम के व्यक्ति से हुई।

उजैर ने शहजादी को भरोसा दिलाया कि वह उसका चेहरा ठीक कराने में मदद करेगा। 2021 में वह उसे इलाज कराने के बहाने आगरा ले गया और फिर लग्जरी जीवन का लालच देकर उसे अबू धाबी ले गया। अबू धाबी पहुंचने के बाद उजैर ने उसे अपने रिश्तेदार दंपति फैज और नादिया के हवाले कर दिया।

कुछ समय बाद इस दंपति के चार महीने के बच्चे की मौत हो गई। शहजादी और उसके पिता का कहना है कि बच्चे की मौत गलत इलाज के कारण हुई थी, लेकिन फैज और नादिया ने इस मौत का सारा इल्जाम शहजादी पर मढ़ दिया। इसके बाद शहजादी के खिलाफ मुकदमा चला और अबू धाबी की अदालत ने उसे मौत की सजा सुना दी।

परिवार की गुहार – ‘मेरी बेटी बेगुनाह’

शहजादी के पिता का कहना है कि उनकी बेटी को एक साजिश के तहत फंसाया गया है। उनका दावा है कि उसने कोई अपराध नहीं किया और अब वह यूएई की जेल में अपनी जिंदगी और न्याय के लिए संघर्ष कर रही है।

शब्बीर खान ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि भारतीय दूतावास और सरकार को उनकी बेटी को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा, “मेरी बेटी निर्दोष है, उसे बचाने के लिए सरकार को आगे आना चाहिए। वह पहले ही बहुत कुछ झेल चुकी है, अब उसे न्याय मिलना चाहिए।”

भारतीय दूतावास की पहल और कानूनी प्रक्रिया

भारतीय दूतावास ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और यूएई प्रशासन से लगातार संपर्क में है। अधिकारियों का कहना है कि शहजादी के वकीलों ने ‘समीक्षा याचिका’ दायर कर दी है और मामला अभी कोर्ट में लंबित है। इसका मतलब यह है कि सजा पर अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है और कानूनी प्रक्रिया जारी है।

भारतीय अधिकारियों ने भी जनता से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और न ही बिना पुष्टि के किसी भी तरह की खबरों को फैलाएं।

क्या हो सकता है आगे?

अब यह मामला पूरी तरह से कानूनी प्रक्रिया पर निर्भर है। अगर भारतीय दूतावास, सरकार और शहजादी के वकील ठोस तर्क और साक्ष्य पेश कर पाते हैं, तो सजा को कम किया जा सकता है या पूरी तरह से रद्द किया जा सकता है।

भारत सरकार की ओर से भी इस मामले पर जल्द ही कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया आ सकती है। शहजादी के परिवार और उनके समर्थन में आए लोगों को उम्मीद है कि भारतीय प्रशासन इस मामले में ठोस कदम उठाएगा और एक निर्दोष महिला को बचाने में सफल होगा।

शहजादी की 24 घंटे में फांसी की खबरें पूरी तरह से गलत हैं। भारतीय दूतावास इस मामले की बारीकी से निगरानी कर रहा है और कानूनी प्रक्रिया जारी है। अब सबकी नजरें कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं। शहजादी के परिवार को उम्मीद है कि न्याय मिलेगा और उनकी बेटी बेगुनाह साबित होकर जल्द ही भारत लौटेगी।

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