हरीश चन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट
दुर्ग(छत्तीसगढ़)। दुर्ग जिला अस्पताल के शिशु वार्ड में दो नवजात शिशुओं की अदला-बदली का मामला सामने आया है, जिससे अस्पताल प्रबंधन सकते में आ गया है। एक हिंदू और एक मुस्लिम मां के नवजात बच्चे स्टाफ की गलती से बदल गए। यह मामला अस्पताल से छुट्टी के चार दिन बाद सामने आया, जब एक मां ने अपने बच्चे के हाथ पर लिखा नाम देखा और सच्चाई उजागर हुई।
कैसे हुई अदला-बदली?
मामला 23 जनवरी का है, जब केलाबाड़ी निवासी शबाना कुरैशी ने ऑपरेशन से एक बेटे को जन्म दिया। सात मिनट बाद नेहरू नगर निवासी साधना ने भी एक बेटे को जन्म दिया। अस्पताल स्टाफ ने दोनों बच्चों के हाथ पर उनकी मां का नाम लिखकर टैग लगा दिया और फिर उन्हें उनकी माताओं को सौंप दिया। लेकिन स्टाफ की गलती से शबाना का बेटा साधना को और साधना का बेटा शबाना को मिल गया।
चार दिन बाद सच्चाई आई सामने
दोनों माताएं अपने-अपने बच्चों को लेकर घर चली गईं। लेकिन एक हफ्ते बाद शबाना के परिवार वालों ने बच्चे के हाथ पर साधना का नाम लिखा देखा। शक होने पर वे तुरंत अस्पताल पहुंचे और मामले की जानकारी दी। जब डॉक्टरों ने साधना को बुलाकर इस बारे में बताया, तो उसने बच्चा बदलने से साफ इनकार कर दिया। साधना का कहना था कि अब उसे बच्चे से लगाव हो गया है और वह उसे नहीं छोड़ सकती।
पुलिस और कलेक्टर तक पहुंचा मामला
जब साधना ने बच्चे को वापस देने से मना कर दिया, तो शबाना के परिवार वालों ने पुलिस से शिकायत की और कलेक्टर से भी न्याय की गुहार लगाई। कलेक्टर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया और इसके लिए विशेष समिति का गठन किया गया।
अस्पताल प्रबंधन ने दी सफाई
शिशु अस्पताल की सीनियर लेबर इंचार्ज डॉक्टर विनीता धुर्वे ने कहा कि हम नवजातों के हाथ में मां का नाम लिखकर टैग लगाते हैं, लेकिन इस बार गलती कैसे हुई, यह समझ में नहीं आ रहा। उन्होंने माना कि स्टाफ की लापरवाही से बच्चों की अदला-बदली हो सकती है। अब डीएनए टेस्ट से ही यह साफ होगा कि कौन सा बच्चा किस मां का है।
अब क्या होगा?
इस मामले में अब डीएनए टेस्ट के नतीजे का इंतजार किया जा रहा है। इससे पता चलेगा कि वास्तविक माता-पिता कौन हैं और बच्चों को सही परिवार में वापस भेजा जा सकेगा।
Author: मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की