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2 February 2025 9:37 pm

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अस्पताल की लापरवाही या ठगी? लाश की इलाज के लिए अस्पताल ने वसूले 9 लाख से अधिक की रकम

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अब्दुल मोबीन सिद्दीकी की रिपोर्ट

बहराइच और श्रावस्ती की सीमा पर स्थित बिटाना एंड चंद्रावती अस्पताल में इलाज के नाम पर बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का सनसनीखेज मामला सामने आया है। आरोप है कि एक मरीज की मृत्यु के बाद भी अस्पताल प्रशासन उसके इलाज के नाम पर पैसे वसूलता रहा और जब 9 लाख 40 हजार से अधिक रुपये लेने के बाद परिवार से शव ले जाने को कहा गया, तब मामला खुला। परिजनों ने जब इस अमानवीय घटना का विरोध किया तो अस्पताल के बाहर हंगामा खड़ा हो गया।

इलाज के नाम पर 11 दिन तक वसूली, आखिरकार मौत की पुष्टि

घटना के अनुसार, 11 दिन पहले एक सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान परिजनों से लगातार पैसे मांगे जाते रहे, जो मिलाकर 9 लाख 40 हजार 100 रुपये तक पहुंच गए। लेकिन जब मरीज को बचाया नहीं जा सका, तब परिवारवालों से कहा गया कि वे शव को लेकर जाएं। इस पर मृतक के परिजनों का गुस्सा भड़क उठा और उन्होंने अस्पताल प्रशासन पर ठगी और धोखाधड़ी का गंभीर आरोप लगाया।

पत्नी का आरोप: “पति की पहले ही मौत हो चुकी थी, हमसे सिर्फ पैसे लिए जाते रहे”

मृतक की पत्नी रेशमा ने अस्पताल पर सीधा आरोप लगाया कि उनके पति की मौत काफी पहले ही हो चुकी थी, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें इस बारे में सूचित नहीं किया और इलाज के नाम पर पैसे वसूलता रहा। उन्होंने कहा कि उन्हें पति से मिलने तक नहीं दिया गया, जिससे शक होता है कि मौत पहले हो चुकी थी और परिवार से जानबूझकर धोखे से पैसे ऐंठे गए। रेशमा ने प्रशासन से अस्पताल को तुरंत सील करने और दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की।

प्रशासन का हस्तक्षेप, जांच का आश्वासन

घटना की जानकारी मिलने के बाद उपजिलाधिकारी पूजा चौधरी मौके पर पहुंचीं और पीड़ित परिवार की शिकायत दर्ज की। उन्होंने कहा कि परिजनों का प्रार्थना पत्र लिया गया है और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। वहीं, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजय शर्मा ने बताया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि मरीज की मृत्यु कब हुई थी।

स्वयंसेवी संगठन ने की आपराधिक कार्रवाई की मांग

इस मामले को लेकर स्वयंसेवी संस्था ‘देहात’ के कार्यकारी अधिकारी दिव्यांशु चतुर्वेदी ने अस्पताल प्रशासन की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, “यह घोर अपराध है। अगर मरीज की मौत पहले हो चुकी थी और अस्पताल प्रशासन ने धोखे से इलाज के नाम पर पैसे वसूले, तो यह एक संगीन अपराध है। अस्पताल को तत्काल सील किया जाना चाहिए और जिम्मेदार डॉक्टरों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज किए जाने चाहिए।”

सवाल जो उठ रहे हैं

1. अगर मरीज की मौत पहले ही हो चुकी थी, तो अस्पताल प्रशासन ने इसे छिपाकर पैसे क्यों वसूले?

2. परिजनों को मरीज से मिलने क्यों नहीं दिया गया?

3. क्या अस्पताल में इस तरह की अनियमितताएँ पहले भी हो चुकी हैं?

इस पूरे घटनाक्रम ने निजी अस्पतालों की अनैतिक लूट-खसोट और मरीजों के साथ होने वाली ठगी को उजागर किया है। परिजनों का साफ कहना है कि यह कोई चिकित्सीय लापरवाही नहीं, बल्कि संगठित ठगी है। प्रशासन अब इस मामले की जांच कर रहा है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही यह साफ होगा कि अस्पताल कितना दोषी है। लेकिन यह घटना समाज के लिए एक बड़ा सवाल छोड़ गई है—क्या इंसानियत के नाम पर इस तरह का क्रूर व्यापार कब तक चलता रहेगा?

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