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22 January 2025 10:33 pm

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96 घंटे की यातनाएं…अपहृत व्यापारी की ये आपबीती आपको भी रुला देगी

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संतोष कुमार सोनी के साथ सुशील मिश्रा की रिपोर्ट

बांदा। अंडा कारोबारी हरीश कटियार के लिए यह यकीन करना मुश्किल था कि जिस चचेरे भाई की उन्होंने हमेशा मदद की, वही उनके अपहरण की साजिश रचेगा। हरीश को चार दिन तक बंधक बनाकर रखा गया, जहां उन्हें यातनाएं दी गईं। उन्हें पानी की जगह शराब पिलाई जाती थी, एक बक्से में सुलाया जाता था, और फिरौती न मिलने की स्थिति में उनकी हत्या की साजिश रची गई थी।

अपहरण की रात: जब भाई ने ही दुश्मनी निभाई

हरीश कटियार ने बताया कि 16 जनवरी की रात उनके चचेरे भाई अनूप कटियार ने बड़ी साजिश के तहत उनका अपहरण करवाया। अनूप खुद को भी अगवा होने का नाटक कर उनके साथ ही कार में बैठा था, ताकि हरीश को उस पर शक न हो। रास्ते में हरीश ने देखा कि अनूप कार चला रहा था और उसके पीछे एक बदमाश तमंचा लगाए बैठा था। उन्हें लगा कि अनूप भी उनकी तरह अगवा किया गया है, लेकिन धीरे-धीरे सच्चाई सामने आने लगी।

अपहरणकर्ता उन्हें शाहजहांपुर से हरदोई रोड तक घुमाते रहे। हरीश ने बताया कि जब भी उन्हें लघुशंका करनी होती, बदमाश बमुश्किल एक बार उन्हें कार से बाहर निकालते, जबकि अनूप को कई बार जाने दिया जाता था। इससे उन्हें शक हुआ, लेकिन बीच-बीच में अनूप को भी थप्पड़ मारे जाते थे, जिससे लग रहा था कि वह भी बंधक है।

कैद के दौरान यातनाएं: बक्से में सुलाया, शराब पिलाई

17 जनवरी को हरीश को भोजीपुरा थाने के मियांपुर गांव में उदित नाम के व्यक्ति के घर बंधक बनाकर रखा गया। उनकी आंखें बंद करके लाया गया था ताकि उन्हें रास्ते का पता न चले। वहां उन्हें दिन में सिर्फ एक बार खाना दिया जाता था और ज्यादातर समय एक बक्से में बंद रखा जाता था, जिसका ऊपरी हिस्सा खुला रहता था।

अपहरणकर्ताओं के बीच बातचीत से हरीश को पता चला कि अगर फिरौती नहीं मिली या पुलिस का खतरा हुआ, तो उन्हें मारकर शव को बक्से में डालकर उत्तराखंड सीमा पर फेंकने की योजना बनाई गई थी। इस दौरान हरीश ने कई बार पानी मांगा, लेकिन बदमाशों ने उन्हें शराब पिलाने की कोशिश की।

पुलिस की तत्परता से बची जान

हरीश की पत्नी ज्योति ने 17 जनवरी को बांदा थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। लेकिन 19 जनवरी को शक होने पर उन्होंने अनूप कटियार के खिलाफ अपहरण का मुकदमा दर्ज करवाया। इधर, अनूप की पत्नी किरन ने भी बारादरी थाने में अपने पति के अपहरण की रिपोर्ट लिखवाई थी।

एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि पुलिस ने सर्विलांस और सीसीटीवी फुटेज की मदद से हरीश कटियार की लोकेशन ट्रेस की और 20 जनवरी को उन्हें उदित के घर से सुरक्षित बरामद कर लिया।

फिरौती की मांग और गिरोह का भंडाफोड़

अनूप कटियार ने गिरोह के सरगना अंकित कटियार को अपना पुराना सिम देकर हरीश की पत्नी ज्योति को कॉल कराकर 15 लाख रुपये की फिरौती मांगी थी। इसके अलावा, अंकित से ही अपनी पत्नी किरन को कॉल कराकर 5 लाख रुपये की फिरौती भी मांगी गई थी।

बंधक से मुक्त होते ही बोले – “मैं जीना चाहता हूं, मुझे पानी चाहिए”

हरीश ने बताया कि जब पुलिस ने उन्हें बचाया, तब तक वे मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह टूट चुके थे। जैसे ही पुलिस ने उन्हें मुक्त किया, उन्होंने सबसे पहले कहा, “मैं जीना चाहता हूं, मुझे पानी चाहिए।” इसके बाद उन्होंने एक ही बार में करीब दो लीटर पानी पी लिया।

जिसे संकट में मदद की, वही निकला गुनहगार

हरीश कटियार ने बताया कि जब भी अनूप आर्थिक संकट में आया, उन्होंने उसकी मदद की। पिछले साल उन्होंने उसे डेढ़ लाख रुपये दिए थे, जिसमें से 50 हजार उनकी पत्नी ज्योति ने दिए थे। अनूप ने जब और पैसे मांगे तो उन्होंने कहा था कि वे अपनी जमीन बेचने वाले हैं और उसके बाद उसे रुपये दे देंगे। अनूप के घर राशन खत्म होने पर भी हरीश ने सरसों, गेहूं और चावल भिजवाया था। लेकिन उन्हें नहीं पता था कि उनकी दरियादिली का अनूप इस तरह फायदा उठाएगा और उन्हें मौत के मुंह में धकेल देगा।

आरोपियों की गिरफ्तारी और पुलिस कार्रवाई

पुलिस ने इस मामले में 8 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, जिनमें मुठभेड़ के दौरान पकड़े गए तीन आरोपी भी शामिल हैं। गिरफ्तार आरोपियों में शामिल हैं:

1. अंकित कटियार – अपहरण का मुख्य साजिशकर्ता

2. शाहिद – गिरोह का सक्रिय सदस्य

3. वीरू उर्फ वीरपाल – देवरनिया थाने का वांछित अपराधी

4. उदित – मकान मालिक, जिसने बंधक बनाने में मदद की

5. उमाशंकर – हरीश की निगरानी करने वाला

6. लाली (अंकित की पत्नी) – बंधक बनाए गए हरीश को खाना देने वाली

7. आकाश – अपहरण में शामिल

वहीं, अन्य आरोपी खेमेंद्र, ललित और रजत अभी भी फरार हैं, जिनकी तलाश जारी है।

इस घटना ने साबित कर दिया कि संकट के समय मदद करना जरूरी है, लेकिन आंख मूंदकर किसी पर भरोसा करना घातक हो सकता है। हरीश कटियार ने जिस भाई को संकट में सहारा दिया, उसी ने उन्हें मौत के मुंह में धकेल दिया। अगर पुलिस समय पर कार्रवाई न करती, तो शायद उनकी जान चली जाती।

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