कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ। बंथरा थाना क्षेत्र के ग्राम खटोला मंजरा, रतोली तिराहा, जैंती खेड़ा, बिजनौर रोड निवासी महिला केलकी पत्नी रामदीन के साथ एक अनोखा मामला सामने आया है। महिला ने आरोप लगाया है कि डॉ. अरविंद सिंह (निवासी बुलंदशहर), मानवेन्द्र सिंह (निवासी अमेठी) और विक्रम सिंह (निवासी वृंदावन योजना, लखनऊ) ने उसे धोखे में रखकर उसके मकान का विवादित एग्रीमेंट किया और बाद में कम किराए पर दूसरा एग्रीमेंट तैयार करवाया।
25,000 रुपये मासिक किराए का प्रस्ताव
महिला ने बताया कि इन व्यक्तियों ने खुद को ईमानदार और प्रतिष्ठित बताते हुए उसके मकान को 25,000 रुपये प्रति माह किराए पर लेने की पेशकश की। इसके लिए 11 महीने का एग्रीमेंट तैयार किया गया, जिसमें हर साल किराए में 5% वृद्धि की शर्त रखी गई थी।
अस्पताल शुरू करने के नाम पर मकान का इस्तेमाल
एग्रीमेंट के तुरंत बाद उक्त मकान में “लाईफ लाइन अस्पताल” की शुरुआत की गई। हालांकि, अस्पताल के निबंधन और वैधीकरण को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
दूसरा एग्रीमेंट 10 वर्षों के लिए
महिला ने खुलासा किया कि 11 महीने के एग्रीमेंट के बाद, एक और एग्रीमेंट 10 वर्षों के लिए तैयार करवाया गया। इस पर सवाल उठते हैं कि यदि 10 साल का एग्रीमेंट किया जा सकता था तो शुरुआत में ऐसा क्यों नहीं किया गया? अगर यह नियमतः संभव नहीं था, तो यह दूसरा एग्रीमेंट संदेहास्पद और फर्जी प्रतीत होता है।
किराए में अचानक कमी का मामला
महत्वपूर्ण बात यह है कि पहले जहां मकान का किराया 25,000 रुपये प्रति माह तय किया गया था, वहीं दूसरे एग्रीमेंट में यह किराया घटाकर 5,000 रुपये प्रति माह कर दिया गया। यह कदम न केवल तर्कसंगतता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि महिला को गुमराह किया गया है।
महिला ने की शिकायत दर्ज
महिला ने इस पूरे मामले की शिकायत संबंधित थाने में दर्ज कराई है। पुलिस अब एग्रीमेंट की वैधता और “लाईफ लाइन अस्पताल” के निबंधन की जांच कर रही है।
कई सवाल अनुत्तरित
1. क्या दूसरा एग्रीमेंट वैध था?
2. 25,000 रुपये मासिक से 5,000 रुपये मासिक पर किराया घटाना क्यों जरूरी था?
3. अस्पताल का निबंधन और वैधता संदेहास्पद क्यों है?
पुलिस जांच में जुटी
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है। यदि एग्रीमेंट फर्जी साबित होते हैं तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, महिला न्याय की गुहार लगा रही है।
यह मामला मकान एग्रीमेंट और किराए के नाम पर हो रहे धोखाधड़ी की एक गंभीर तस्वीर पेश करता है। अब देखना होगा कि पुलिस जांच में क्या खुलासा होता है और पीड़ित महिला को न्याय मिल पाता है या नहीं।