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November 25, 2024 7:30 pm

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8 वीं फेल पंकज यादव पर 18 की उम्र में दर्ज हुआ था पहला केस, मुख्तार का शार्प शूटर मारा गया

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जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट

मऊ। उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (UP STF) ने मऊ के एक notorious अपराधी पंकज यादव को मथुरा में एक एनकाउंटर के दौरान मार गिराया। पंकज यादव, जो कि मुख्तार अंसारी और शहाबुद्दीन गैंग का शार्प शूटर था, पर मऊ, गाजीपुर, गोरखपुर, और आजमगढ़ में तीन दर्जन से ज्यादा मुकदमे थे। उसके खिलाफ हत्या, लूट, डकैती, और रंगदारी के कई मामलों में आरोप थे।

पंकज यादव 29 अगस्त 2009 को मऊ की शहर कोतवाली क्षेत्र में ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह उर्फ मन्ना सिंह की हत्या में शामिल था। मन्ना सिंह हत्या कांड के मुख्य गवाहों की एक के बाद एक हत्या की जा रही थी। इनमें से एक गवाह राम सिंह मौर्य और सुरक्षाकर्मी सतीश सिंह की 19 मार्च 2010 को हत्या कर दी गई। पंकज यादव पर सतीश सिंह की हत्या का मुख्य आरोपी होने का आरोप था।

STF के मुताबिक, पंकज यादव एक कॉन्ट्रैक्ट किलर था जो मुख्तार अंसारी और बिहार के माफिया शहाबुद्दीन जैसे अपराधियों के लिए काम करता था। उसकी गिरफ्तारी के लिए यूपी पुलिस ने एक लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया था।

एनकाउंटर बुधवार सुबह मथुरा के फरह इलाके में हुआ। STF को सूचना मिली कि पंकज यादव और उसका साथी बाइक पर आगरा की ओर जा रहे हैं। STF ने घेराबंदी की तो पंकज यादव और उसका साथी भागने लगे और गोलीबारी शुरू कर दी। STF ने भी जवाबी फायरिंग की, जिसमें पंकज को तीन गोलियां लगीं—एक पैर में, एक कमर में, और एक सिर में। उसका साथी अंधेरे का फायदा उठाकर भागने में सफल रहा, जिसकी गिरफ्तारी के लिए अब दबिश जारी है।

गांव के कुछ निवासियों के अनुसार, पंकज यादव पिछले दस वर्षों से गांव में नहीं देखा गया था। पंकज के पिता रामप्रवेश यादव भी जेल जा चुके हैं और हाल ही में गोरखपुर जेल से बाहर आए हैं। रामप्रवेश और पंकज दोनों ने गोरखपुर जेल में समय बिताया था, लेकिन इसके बावजूद पंकज को पिछले दस सालों से गांव में किसी ने नहीं देखा।

गांव के लोग बताते हैं कि पंकज बचपन से ही ठस और आत्ममुग्ध था, लेकिन उसने गांव में किसी से विवाद नहीं किया। विधायक मुख्तार अंसारी के प्रभाव से प्रभावित होकर पंकज ने अपराध की दुनिया में कदम रखा, हालांकि परिवार वालों ने उसे रोकने की कोशिश की थी। अंततः वह अपराध की राह पर चला गया और अब पुलिस के एनकाउंटर में मारा गया।

पंकज यादव का पहला मुकदमा 2007 में चोरी के आरोप में दर्ज हुआ था, जब वह सिर्फ 18 वर्ष का था। 18 से 20 साल की उम्र में उसके खिलाफ लगभग 24 मुकदमे दर्ज हो चुके थे। इसके बाद उसने अपराध की दुनिया में और बढ़त बनाई। 2010 में, मन्ना सिंह हत्याकांड के गवाह राम सिंह मौर्य और सुरक्षाकर्मी सतीश यादव की हत्या में उसका नाम सामने आया।

पंकज यादव की शहाबुद्दीन गैंग से नजदीकियां बढ़ गईं और वह पुलिस की गिरफ्त से दूर हो गया। उसके एनकाउंटर के बाद मन्ना सिंह के भाई और भाजपा नेता अशोक सिंह ने यूपी STF की तारीफ की, कहा कि समाज में इस तरह के अपराधियों का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद भी दिया।

एसपी इलामारन जी ने बताया कि पंकज यादव के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत 2010 में मुकदमा दर्ज हुआ था और वह लंबे समय से फरार था। अंततः 2024 में मथुरा के फरहा थाना क्षेत्र में STF के साथ एनकाउंटर में उसकी मौत हो गई।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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