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November 24, 2024 5:48 pm

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क्या 4 महीने के मासूम को सचमुच मार डाला शहजादी ने? 33 वर्षीय इस भारतीय महिला को दे दी जाएगी फांसी… ? 

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संतोष कुमार सोनी की रिपोर्ट

यूपी के बुंदेलखंड क्षेत्र के जनपद बांदा के एक गांव की निवासी शहजादी को हाल ही में अबू धाबी में एक चार महीने के मासूम बच्चे की हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई है। 

33 वर्षीय शहजादी, जो समाज सेवा में अग्रणी भूमिका निभा रही थी, पर आरोप है कि उसने बच्चे की हत्या की। लेकिन इस मामले में कई सवाल उठ रहे हैं, खासकर यह कि क्या वास्तव में शहजादी ने मासूम की जान ली है।

विवाद की जड़ और सजा का कारण

शहजादी को अबू धाबी में उजैर उर्फ पन्ना चौधरी और उसकी पत्नी के घर में रहने के लिए भेजा गया था। उजैर ने उसे यह वादा किया था कि उसकी चिकित्सा की व्यवस्था की जाएगी और उसे नौकरी भी दिलाई जाएगी। इस झांसे में आकर शहजादी उनके घर में रहने लगी। 

इस बीच, दंपती के चार महीने के बच्चे की तबियत अचानक खराब हो गई। इलाज के दौरान, बच्चे को एक इंजेक्शन लगाया गया, जिसके बाद उसकी मौत हो गई। 

बच्चे की मौत के लिए दंपती ने शहजादी को जिम्मेदार ठहराया और उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। कोर्ट ने बिना शव का पोस्टमार्टम कराए ही शहजादी को दोषी मानते हुए उसे फांसी की सजा सुना दी। 

परिजनों को देर में मिली जानकारी

शहजादी के चचेरे भाई तलहा अहमद ने बताया कि फांसी की सजा के बारे में परिवार को जानकारी दो महीने बाद मिली। 

तलहा ने अबू धाबी जाकर वकील की मदद करने की कोशिश की, लेकिन समय पर वकील उपलब्ध नहीं हो पाया। एक वकील नियुक्त किया गया, लेकिन वह भी शहजादी के बचाव में प्रभावी नहीं हो सका। 

तलहा का कहना है कि दंपती का आरोप था कि शहजादी ने बच्चे का गला एक मिनट तक दबाकर रखा और नाक बंद कर दी थी। लेकिन असलियत यह है कि बच्चे की मौत डॉक्टर के गलत इंजेक्शन के कारण हुई। बच्चे की मौत के बाद उसका शरीर नीला पड़ गया और मुंह से झाग निकलने लगा। 

पुलिस और न्यायिक प्रणाली की विफलता

मामले की जानकारी मिलने पर भी पुलिस ने बच्चे के शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया। शव को बिना पोस्टमार्टम के ही दफन करने के लिए परिजनों को सौंप दिया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर आधारित न होकर केवल गवाही के आधार पर न्यायालय ने शहजादी को सजा सुनाई।

झूठी गवाही और कानूनी प्रक्रिया की कमजोरी

तलहा के अनुसार, अबू धाबी में कानून बहुत सख्त है और गवाही को सबूत से ज्यादा महत्व दिया जाता है। शहजादी के मामले में दंपती ने झूठी गवाही दी, और एक रिश्तेदार ने भी जो घटना के समय अबू धाबी में नहीं था, झूठी गवाही दी। इन कारणों से शहजादी को फांसी की सजा मिली।

परिवार की स्थिति और उम्मीदें

शहजादी के पिता शब्बीर ने कहा कि उनकी बेटी निर्दोष है और बच्चे की मौत का कारण गलत इंजेक्शन था, न कि शहजादी की हत्या। उन्होंने भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की है, ताकि उनकी बेटी को न्याय मिल सके।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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