Explore

Search
Close this search box.

Search

November 22, 2024 4:10 pm

लेटेस्ट न्यूज़

यादवों और मुस्लिमो को लेकर निरहुआ ने जो बातें कही वो पसंद आएंगी अखिलेश यादव को❓

19 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ सीट से भारतीय जनता पार्टी ने भोजपुरी सुपरस्टार निरहुआ को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं, समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव को इस सीट से टिकट दिया है। 

इस बीच निरहुआ ने दावा किया है कि क्षेत्र के यादव और मुस्लिम वोटर उनके साथ हैं। इसी वजह से वह पिछला चुनाव जीतने में सफल रहे थे। उत्तर प्रदेश में यादव और मुस्लिम समाज आमतौर पर समाजवादी पार्टी का वोट बैंक माना जाता है। ऐसे में निरहुआ का यह बयान अखिलेश यादव को पसंद नहीं आएगा। 

निरहुआ ने यह भी कहा कि उन्होंने पूरे आजमगढ़ की जिम्मेदारी ली है और जितना समय मिला है, उसमें जमकर काम भी किया है। अब उनकी कोशिश बड़ी हासिल करने की है. पीएम मोदी ने कहा था कि आजमगढ़ अनंतकाल तक विकास की राह पर चलता रहेगा। अब निरहुआ अपनी जीत के जरिए यह संदेश देना चाहते हैं कि जब 2024 में मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे तो आजमगढ़ भी उनके साथ होगा। 

मुसलमानों और यादवों पर क्या बोले निरहुआ?

दिनेश लाल यादव ने यादव और मुस्लिम वोटर्स को लेकर कहा कि अगर मुस्लिम और यादव वोटर उनके साथ नहीं होते तो वह चुनाव कैसे जीतते। उन्होंने दावा किया कि सभी जाति और धर्म के लोगों ने उन्हें वोट देकर चुनाव जिताया था। निरहुआ ने यह भी साफ किया कि आजमगढ़ के समीकरण ऐसे हैं कि मुस्लिम और यादव वोट बैंक के बिना कोई उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सकता। क्षेत्र की जनता पर भरोसा जताते हुए उन्होंने फिर से जीत का दावा किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बाकी सभी पार्टियां अलग-अलग समुदाय के लोगों का वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती हैं। सभी लोग यह बात समझ चुके हैं और मोदी जी सभी के लिए काम कर रहे हैं। 

आजमगढ़ सीट के समीकरण

19 लाख वोटर्स वाली आजमगढ़ लोकसभा सीट पर 4.5 लाख यादव और 3 लाख मुस्लिम हैं। वहीं, 2.75 लाख दलित और 80 हजार राजभर समुदाय के मतदाता हैं। बहुजन समाज पार्टी (BSP) इस सीट से सियासी समीकरण बदलने का दम रखती हैं। इस बीच मायावती ने उलेमा काउंसिल से मुलाकात की है, जिससे सपा की टेंशन बढ़ गई है। 2019 में निरहुआ ने आजमगढ़ सीट से अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव लड़ा था। अखिलेश ने यहां से ढाई लाख से ज्यादा वोट से जीत हासिल की थी। हालांकि, 2022 में उन्होंने यह सीट छोड़ दी। इसके बाद इस सीट पर धर्मेंद्र यादव ने निरहुआ के खिलाफ चुनाव लड़ा और निरहुआ ने 8 हजार वोट के अंतर से जीत हासिल की। 

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़