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November 23, 2024 10:05 am

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रोड एक्सिडेंट्स में मौत के मामलों में देश में पहले पायदान पर यूपी बरकरार, तथ्य चौंकाने वाले हैं 

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मोहन द्विवेदी की खास रिपोर्ट 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में चिकनी सड़कों पर तेजी से दौड़ती गाड़ियां मौत का कारण बन रही हैं। जरा सी लापरवाही लोगों के जान ले रही है। पिछले तीन दिनों को ही देख लें तो करीब डेढ़ दर्जन एक्सिडेंट के केस रिपोर्ट हुए हैं। अलीगढ़ के टप्पल से अभी एक्सिडेंट की खबर सामने आ रही है। यहां पर खड़ी वॉल्वो बस में पीछे से कैंटर ने टक्कर मार दी। इस एक्सिडेंट में दो लोगों की मौत हो गई। वहीं, कई यात्री घायल बताए जा रहे हैं। यहां पर भी एक्सिडेंट का कारण ओवरस्पीडिंग ही रहा है। तेज रफ्तार कैंटर बेकाबू हो गई थी। सड़क के किनारे खड़ी बस का भी ध्यान नहीं रहा और पीछे से वॉल्वो में घुस गई। इस प्रकार की खबरें हर रोज सुर्खियां बन रही हैं। मंगलवार को बस्ती में बाइक से 6 बच्चों को साथ लेकर जा रहे पति-पत्नी को पिकअप ने टक्कर मारी। इसमें तीन लोगों की मौत हो गई। वहीं, पेड़ से टक्कर में एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत का मामला सोमवार की रात का है। कहने का आशय यह है कि यूपी में ओवरस्पीडिंग मौत की वजह बन रहा है। ऐसे में केंद्रीय पथ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की ओर से जारी गई रोड सेफ्टी रिपोर्ट लोगों को सुरक्षित यात्रा के लिए एक बेहतर रणनीति बनाने पर जोर दे रही है।

रोड एक्सिडेंट की मृत्यु दर के मामले में यूपी सातवें नंबर पर

केंद्रीय पथ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट ने रोड एक्सिडेंट में मौत के मामलों को लेकर बड़ी तस्वीर पेश की है। देश में रोड एक्सिडेंट में मौत के मामलों की दर 5.2 फीसदी है। मतलब, 100 एक्सिडेंट्स में 5.2 लोगों की मौत होती है। मौत के आंकड़ों को देखें तो टॉप 10 राज्यों की सूची में यूपी का स्थान सातवां है। सबसे ऊपर सिक्किम में एक्सिडेंट में मृत्यु दर 17 फीसदी है। वहीं, दिल्ली में 1.2, लक्ष्यद्वीप में 0.9 और चंडीगढ़ में 0.8 फीसदी रोड एक्सिडेंट्स में मृत्यु दर देखी गई है।

रोड एक्सिडेंट में मौत के मामले (प्रतिशत में):

राज्य का नाम मृत्यु दर

सिक्किम 17

बिहार 9

छत्तीसगढ़ 8.4

झारखंड 7.7

मध्य प्रदेश 7.5

असम 6.9

उत्तर प्रदेश 6.5

अरुणाचल प्रदेश 6.4

आंध्र प्रदेश 6.3

हिमाचल प्रदेश 6

ओडिशा 6

18 साल से कम उम्र के ड्राइवर भी बड़ा कारण

रोड एक्सिडेंट्स में मौत को लेकर कारणों की समीक्षा भी की गई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वर्ष 2022 में 18 वर्ष से कम उम्र के किशोरों की मौत के मामले बढ़े हैं। वर्ष 2021 में 7764 किशोरों की मौत सड़क हादसों में हुई थी। वर्ष 2022 में यह आंकड़ा बढ़कर 9528 हो गया। कुल मौतों का यह 5.7 फीसदी था। एक साल के भीतर किशोरों की मौत के मामले में 22.7 फीसदी की वृद्धि देखी गई है। 18 साल से कम आयु वर्ग में महिलाओं की संख्या मृतकों में कम है। हालांकि, एक साल में उनकी संख्या में इजाफा हुआ है। वर्ष 2021 में मृत किशोरों की संख्या 6137 और किशोरियों की संख्या 1627 रही। वहीं, 2022 में रोड एक्सिडेंट में मरने वाले किशोरों की संख्या 7576 और किशोरियों की संख्यस 1952 रही है।

हालांकि, 18 से 45 वर्ष आयु वर्ग के लोगों की सबसे अधिक रोड एक्सिडेंट्स में मौत के मामले आए हैं। यह आंकड़ा 66.5 फीसदी रहा है। माना जा रहा है कि 18 साल से कम आयु के ड्राइवर्स के हाथों में स्टीयरिंग या बाइक आने के बाद उनकी रफ्तार को और गति मिल जाती है। यह मौत का कारण बनते हैं। ओवरऑल रोड एक्सिडेंट में वर्ष 2021 में पुरुष 1,33,025 और महिलाएं 20,947 मारे गए। मृतकों में पुरुषों का प्रतिशत 84.4 और महिलाओं का 13.6 फीसदी था। वहीं, वर्ष 2022 में एक्सिडेंट में मरने वाले पुरुषों की संख्या 1,45,177 और महिलाओं की संख्या 23,314 रही। मृतकों की कुल संख्या में पुरुषों का आंकड़ा 86.2 और महिलाओं का 13.8 फीसदी रहा।

यूपी में लगातार बढ़े हैं रोड एक्सिडेंट के आंकड़े

यूपी में रोड एक्सिडेंट के आंकड़े लगातार बढ़े हैं। हालांकि, राष्ट्रीय स्तर पर एक्सिडेंट के मामलों में प्रदेश एक पायदान नीचे आया है। रोड एक्सिडेंट के मामलों में तमिलनाडु देश में पहले नंबर पर वर्ष 2018 से बना हुआ है। वहीं, दूसरे नंबर मध्य प्रदेश का स्थान आता है। पिछले पांच सालों में से चार वर्ष तीसरे स्थान पर यूपी रहा था। वर्ष 2022 में रोड एक्सिडेंट के मामलों में तीसरे स्थान पर केरल पहुंच गया है। इस सूची में यूपी का स्थान चौथा हो गया है। वर्ष 2022 में तमिलनाडु में 64,105 एक्सिडेंट्स के साथ पहले स्थान पर रहा। वहीं, मध्य प्रदेश में 54,432 और केरल में 43,910 एक्सिडेंट की घटनाएं सामने आईं। कोरोना काल यानी वर्ष 2020 और 2021 में यूपी में रोड एक्सिडेंट्स के आंकड़े 40 हजार से नीचे आए थे। हालांकि, उसके बाद फिर से इसमें इजाफा हो रहा है।

रोड सेफ्टी रिपोर्ट 2022 के अनुसार, वर्ष 2022 में तमिलनाडु ने देश के कुल रोड एक्सिडेंट का 13.9 फीसदी हिस्सेदारी निभाया है। वहीं, मध्य प्रदेश में 11.8 फीसदी, केरल में 9.5 फीसदी, यूपी में 9 फीसदी और कर्नाटक में देश का 8.6 फीसदी एक्सिडेंट रिपोर्ट किया गया।

यूपी में पिछले पांच वर्षों में रोड एक्सिडेंट्स:

वर्ष कुल रोड एक्सिडेंट्स देश में स्थान

2018 42,568 3

2019 42,572 3

2020 34,243 3

2021 37,729 3

2022 41,746 4

एनएच एक्सिडेंट्स केसेज में यूपी का तीसरा स्थान

नेशनल हाइवे पर रोड एक्सिडेंट्स के मामले में यूपी तीसरे स्थान पर है। वर्ष 2022 में यूपी में एनएच पर 14,990 एक्सिडेंट्स रिपोर्ट किए गए। यह देश में एनएच पर हुए कुल एक्सिडेंट्स का 9.9 फीसदी रहा। पहले स्थान पर इस एक्सिडेंट्स में भी तमिलनाडु है। यहां के एनएच पर 18,972 एक्सिडेंट्स दर्ज किए गए। यह कुल एनएच एक्सिडेंट का 12.5 फीसदी रहा। वहीं, केरल के एनएच पर 17,627 एक्सिडेंट्स दर्ज किए गए। यहां कुल एक्सिडेंट्स का 11.6 फीसदी रिकॉर्ड किया गया। एनएच एक्सिडेंट के मामले में मध्य प्रदेश 13,860 केसेज के साथ चौथे स्थान पर रहा।

यूपी में सबसे अधिक मौतें

रोड एक्सिडेंट्स में यूपी में सबसे अधिक मौत दर्ज की जाती रही है। एक्सिडेंट्स में हुई मौतों के मामले में दूसरे स्थान पर तमिलनाडु और तीसरे स्थान पर महराष्ट्र आता है। मध्य प्रदेश का इस सूची में चौथा स्थान है। रोड एक्सिडेंट्स में देश में मरने वाले कुल लोगों की संख्या में 13.4 फीसदी रहा है। पिछले एक साल में 6.44 फीसदी की वृद्धि देखी गई है। वहीं, यूपी के नेशनल हाइवे पर हुई दुर्घटनाओं में पिछले साल 8479 लोग मारे गए। यह कुल एनएच पर हुई मौतों का 13.9 फीसदी रहा।

2022 में रोड एक्सिडेंट में मौत के मामले:

राज्य का नाम कुल मौतें देश में स्थान

उत्तर प्रदेश 22,595 1

तमिलनाडु 17,884 2

महाराष्ट्र 15,224 3

मध्य प्रदेश 13,427 4

कर्नाटक 11,702 5

रोड एक्सिडेंट में मौत के मामलों में कानपुर चौथे स्थान पर

मिलियन प्लस सिटी में रोड एक्सिडेंट्स और मौत के मामलों की भी समीक्षा की गई है। इसमें यूपी के कानपुर में रोड एक्सिडेंट्स में मौत के मामले बड़े पैमाने पर दर्ज किए गए। दिल्ली इस सूची में पहले, बेंगलुरु दूसरे और जयपुर तीसरे स्थान पर है। यूपी के मिलियन सिटी में कानपुर में वर्ष 2022 में 640 लोग मारे गए। शहर देश भर में चौथे स्थान पर रहा। वहीं, एक्सिडेंट्स के मामले में यहां 1424 केस दर्ज किए गए। देश में शहर का स्थान 23वें पायदान पर रहा। इन एक्सिडेंट्स में घायल होने वाले लोगों की संख्या 2118 रही। घायलों के मामले में कानपुर 24वें स्थान पर रहा।

मिलियन प्लस सिटी में लखनऊ वर्ष 2022 में 1349 एक्सिडेंट्स में 587 मौतों के साथ 7वें स्थान पर रहा। वहीं, आगरा 1029 एक्सिडेंट्स में 548 मौतों के साथ 9वें स्थान पर रहा। गाजियाबाद में 886 एक्सिडेंट्स के केस दर्ज किए गए और शहर इसमें 363 मौतों के साथ 16वें स्थान पर रहा। मेरठ 926 एक्सिडेंट्स में 345 मौतों के साथ 21वें और वाराणसी 539 एक्सिडेंट्स में 294 मौतों के साथ 26वें स्थान पर रहा।

गाजियाबाद- मेरठ में घटे मौत के आंकड़े

रोड एक्सिडेंट्स में मौत के आंकड़ों पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि यूपी के गाजियाबाद में एक साल के अंतराल में मौतों के मामले में कमी देखने को मिली है। वर्ष 2021 में शहर में एक्सिडेंट्स में 395 लोगों की मौत हुई थी। यह 2022 में घटकर 363 हो गई। इस प्रकार मौत के मामलों में 8.1 फीसदी की गिरावट आई। वहीं, मेरठ में वर्ष 2021 में 361 के मुकाबले वर्ष 2022 में 345 मौतें हुईं। इस प्रकार 4.4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।

रोड सेफ्टी रिपोर्ट ने यूपी में कानपुर की सड़कों को असुरक्षित करार दिया है। यहां पर रोड एक्सिडेंट्स में मौत के आंकड़ों में 7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। जिले में वर्ष 2021 में 1354 एक्सिडेंट्स में 598 मौत के मामले दर्ज किए गए। वहीं, वर्ष 2022 में जिले में हुए 1424 एक्सिडेंट्स में 640 लोगों की मौत हुई।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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