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6 February 2025 1:45 am

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लग्जरी गाड़ियां, एयरक्राफ्ट और घुडसवारी के शौकीन राजा भैया क्यूं निकल पड़े जुगाड़ की सवारी करने…..

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ठाकुर धर्म सिंह ब्रजवासी की रिपोर्ट

रविवार को राजा भैया से‍ मिलने उनकी बेंती कोठी पर एक समर्थक अपनी जुगाड़ गाड़ी चलाकर मिलने आया था। राजा भैया ने जब वह गाड़ी देखी तो उनका मन उसे चलाने के लिए मचल गया। राजा भैया ने स्‍टेरिंग संभाला और साथ में उनके साथी और समर्थक बैठ गए। राजा भैया समेत ये सभी बेंती चौराहे तक आए।

जुगाड़ गाड़ी पर उनके साथ एमएलसी प्रतापगढ़ अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल जी, बाबागंज विधायक विनोद सरोज, प्रतिनिधि हरिओम श्रीवास्तव, जीवेंद्र पाल, अजीत सिंह समेत समर्थक मौजूद रहे।

 

पूर्व मंत्री राजा भैया ने देशी गाड़ी चलाकर अपने प्रशसंक का उत्साह बढ़ाया। जुगाड़ गाड़ी चलाते हुए रघुराज प्रताप की फोटो रविवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुई।

रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया खबरों में छाए रहते हैं। कभी अपने शाही अंदाज तो कभी शौक को लेकर कुछ न कुछ नया करते रहते हैं। राजा भैया को महंगी गाड़ियों और बाइक भी शौक है।

आपने अक्सर उनके काफिले में करोंड़ों रुपए की गाड़ियों को शामिल देखा होगा। इतना ही राजा भैया हेलिकॉप्‍टर भी उड़ाया करते हैं।

​रघुराज प्रताप सिंह के पास करोड़ों की हैं गाड़‍ियां​

रघुराज प्रताप महंगी गाड़ियों के शौकीन हैं। उनके काफिले में नई फॉर्चूनर लेजेंडर से लेकर लैंड रोवर डिफेंडर तक शामिल है। इनकी कीमत करीब 35 लाख से लेकर डेढ़ करोड़ तक है। उन्‍हें बाइक की सवारी भी बहुत पसंद है। हाल ही में राजा भइया का जावा बाइक चलाते एक वीडियो भी वायरल हुआ। जावा बाइक की कीमत करीब 2.5 लाख रुपए है। राजा भैया की गाड़ियों के नंबर 0001 और 0072 हैं। राजा भैया के काफिले में ज्यादातर गाड़ियां इसी नंबर की दिखती हैं। अपने चुनावी हलफनामे में राजा भैया ने बताया है कि उनके पास टोयोटा की जो कार है उसका नंबर भी 0001 है। कार के साथ ही राजा भैया की बाइक के नंबर में भी 0001 है।

​6 साल की उम्र में घुसवारी की थी​

राजा भैया ने पहली बार 6 साल की उम्र में घुड़सवारी की थी। उनके पिता उदय प्रताप सिंह चाहते थे कि उनका बेटा बहादुरी वाले खेलकूद करे। उनके यहां एक दर्जन से अधिक घोड़े थे। इनकी कोठी पर घोड़ों की देखभाल करने वाले केदार यादव बताते हैं, एक बार राजा भैया घोड़े पर बैठने की जिद पर अड़ गए। तब वे सिर्फ 6 साल के थे। उस दिन वे काफी देर तक घोड़े पर घूमते रहे। उन्हें इतना मजा आया कि आगे चलकर यह उनका एक शौक बन गया। वह घुड़सवारी करते हुए कई बार गिरे भी, पसलियां भी टूटीं, लेकिन शौक नहीं गया। आज वे एक बेहतरीन घुड़सवार हैं।’

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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