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November 23, 2024 3:58 am

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“हिंदी भाषा एवं रोजगार के अवसर” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन

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इरफान अली लारी की रिपोर्ट 

भाटपार रानी, देवरिया। मदन मोहन मालवीय पीजी कॉलेज भाटपार रानी देवरिया के स्मार्ट कक्ष में आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: हिंदी भाषा एवं रोजगार के अवसर”विषय पर हिंदी विभाग एवं हिंदी साहित्य परिषद के संयुक्त तत्वाधान में संगोष्ठी का आयोजन हुआ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य प्रोफेसर सतीश चंद्र गौड़ ने किया, एवं इसके मुख्य अतिथि संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ पवन कुमार राय रहे। 

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता हिंदी साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान और समाजसेवी डॉ पवन कुमार राय ने कहा की आज के वैश्विक परिवेश में हिंदी सर्वाधिक रोजगार देने वाली भाषा बन गई है तथा यह धीरे-धीरे अंग्रेजी के वर्चस्व को तोड़ रही है। आज देश प्रदेश में जितने भी प्रतियोगी परीक्षाएं हो रही हैं सब में हिंदी विषय से कम से कम 30% प्रश्न आ रहे हैं। हिंदी भाषी लोगों को अनुवाद के क्षेत्र में भी मौका मिला रहा है तथा शासन-प्रशासन की मनसा भी नई शिक्षा की नीति के अनुसार हिंदी को बढ़ावा देकर के मातृभाषा एवं राजभाषा में ज्ञानार्जन करना और रोजगार के अवसर पैदा करना है। इसमें तकनीकी शब्दावली गढकर तकनीक के अनुरूप बना करके और प्रभावी बना कर सक्षम बनाकर हम रोजगार पैदा कर सकते हैं।

गोष्ठी को संबोधित करते हुए प्राचीन इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि वैज्ञानिक शोधों से यह प्रमाणित हुआ है कि शिक्षा यदि मातृभाषा में दी जाती है तो विद्यार्थी उसे सरल और सहज ढंग से ग्रहण करता है। हिंदी इस हेतु बहुत ही सुगम तथा सक्षम भाषा है। इस को रोजगार पर बनाने के लिए कारपोरेट और शासकीय क्षेत्रों में बढ़ावा देकर इसकी स्वीकार्यता और अनिवार्यता पर बल देना होगा।

हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ अभिमन्यु पांडेय ने संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी को समय के अनुकूल बनाने की जरूरत आन पड़ी है। इसमें और सुधार ले आ करके इसमें मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक, अनुवाद, तमाम क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकते हैं।

गोष्ठी को संबोधित करते हुए हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ रणजीत सिंह ने कहा कि हिंदी भाषा राजभाषा है हिंदी में सबसे ज्यादा रोजगार भी प्राप्त होते हैं और उस को जानने समझने वाले भी भारत में सबसे अधिक लोग हैं ,ऐसे में हिंदी भाषा को सर्व स्वीकार्य बनाने के लिए हमको एक आंदोलन भी चलाना चाहिए, और हिंदी के स्वरूप में और निखार लाने के लिए हमें और मेहनत करने की जरूरत है।

अंत में सभा की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य प्रोफेसर सतीश चंद्र गौड़ ने कहा हिंदी भाषा में आज सभी कार्य आसानी से संपादित हो रहे हैं हिंदी भाषा के शिल्पीओं ने तकनीकी शब्दावली से इस भाषा को समृद्ध और संपन्न बना दिया है। यह भाषा वैज्ञानिक है ,तकनीकी है, और पूरे विश्व में इसकी स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है इसके इस प्रभाव को देख करके हमें इसे राष्ट्रभाषा का दर्जा दे देना चाहिए।

कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक बंधुओं में डॉक्टर पूनम यादव, डॉक्टर कनक लता, डॉ शक्ति सिंह डॉ कमलेश कुमार, आदि ने इस विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला। छात्र-छात्राओं ने बढ़कर प्रतिभा किया एवं अपने विचार रखे।

संगोष्ठी में निर्जला, भूमिका, निशू, सबीना ,की प्रस्तुति बहुत ही आकर्षक रही ।कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय के हिंदी विभाग की छात्रा निर्जला एवं भूमिका को नेट और जेआरएफ क्वालीफाई करने पर महाविद्यालय द्वारा उन्हें पुरस्कृत किया गया एवं शुभकामनाएं दी गई।

कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ रणजीत सिंह ने किया एवं कार्यक्रम को संपन्न कराने में कार्यालय अधीक्षक शिव प्रसाद, स्टोनो बाबू प्रवीण शाही, सतेंदर, दिवाकर, भगवान आदि ने सहयोग दिया ।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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