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19 January 2025 8:39 pm

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लैंड जिहाद ; सच को ‘ झूठ’ या झूठ को ‘सच’ बना दें … साहब की मर्जी है….. पूरी खबर आपको ये बात समझा देगी

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

धानेपुर, गोंडा। आमजन की शिकायतों से पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी का सम्बन्ध बेहद संवेदनशील होता है लेकिन पद के मद में अधिकारी जनता की अपेक्षाओं पर खरे नही उतर पाते, इसके कई कारण हो सकते हैं उनमे से सबसे बड़ा कारण धनउगाही होता है। सरकार भले ही दावा करती हो की सरकारी महकमों में रिश्वत और घूसखोरी पर पूरी तरह लगाम गयी है, लेकिन सच्चाई कुछ और ही है। सरकारी महकमों में हर छोटे बड़े कार्य के लिए आम जनता को कीमत चुकानी पड़ती है। जिसके पास सामर्थ्य नही होता उसके सच को बावजूद झूठा बना दिया जाता है। 

ऐसा करने में उच्च शिक्षित अधिकारियों को महारत हासिल है। ऐसे एक नही दर्जनों उदारहरण पेश किये जा सकते हैं।

वन विभाग की भूमि पर अवैध कब्जे की शिकायत पर की गयी कार्रवाई इसकी नज़ीर बन रही है।

करीब चार पांच माह पूर्व धानेपुर थाना क्षेत्र के त्रिलोकपुर ग्राम पंचायत के मजरा आगापुरवा से सटा कुआनों रेंज वन विभाग की भूमि पर किये गए अवैध निर्माण अथवा वहां संचालित होने वाली अंधविश्वासी गतिविधियों की शिकायत मुख्यमंत्री से की गयी थी, शिकायत की गम्भीरता को समझते हुए जिलाधिकारी गोंडा को उसकी जांच सौंपी गयी थी, मामले की जांच के लिए डीएम गोंडा ने टीम बनाई जिसमे उपजिलाधिकारी, पुलिस, अथवा वन विभाग के अधिकारियों को मानित किया गया, चार माह तक जांच की गयी उसके बाद जो रिपोर्ट सौंपी गयी वो बेहद हास्यपद और भ्रामक थी।

वन विभाग की भूमि पर अवैध निर्माण और वहां गम्भीर बीमारियों को ठीक करने के दावों पर दी गयी रिपोर्ट में लिखा गया की वहां बीमारियों को ठीक करने का दावा नही किया जाता है जबकि कराई गयी विडियों ग्राफी में बाबा इस बात का दावा खुद करते हैं तो पुलिस ने उन दावों को झूठा साबित क्यों किया इसका जबाव तक नही माँगा गया, दूसरी तरफ अवैध कब्जे के विरुद्ध उपजिलाधिकारी तथा वन विभाग की तरफ से किसी प्रकार कार्रवाई का उल्लेख नही किया गया, प्रकरण छः माह से लम्बित है।  इस झूठी कार्रवाई के विरुद्ध प्रार्थना पत्र भी दिया गया लेकिन मूल परिस्थिति व अवैध कब्जा जस का तस बना हुआ है।

आरोपी द्वारा बताया गया की निर्माण 1987 का है जबकि गाँव वालों ने सामूहिक रूप से यह अवगत कराया है वर्ष 2002 तक वहां इस तरह कोई   निर्माण नही था, जिस पर दर्जनों लोगों ने हस्ताक्षर बनाये हैं।

लैंड जिहाद से जुड़े इस गम्भीर प्रकरण में प्रशासनिक कार्रवाई यह स्पष्ट दर्शाती है की सच को झूठ और झूठ को सच बनाने में जिम्मेदार अधिकारियों ने कोई कसर नही छोड़ा है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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