अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
कहते हैं गुनाहों की सजा हर अपराधी को एक ना एक दिन चुकानी ही पड़ती है, लेकिन जब गुनाह एक दो नहीं सैकड़ों हो तो सजा भी रोज होती है। उत्तर प्रदेश के माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) के जुर्मों की कहानी भी कोई छोटी नहीं है। सालों तक उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में मुख्तार अंसारी ने ऐसी दहशत फैलाई कि आज भी लोग उसे भूल नहीं पाते। बात-बात पर हत्याएं तो जैसे इस माफिया का अधिकार बन गया था। यूपी में दशकों तक क्राइम का ऐसा ही खेल चलता रहा, लेकिन फिर वक्त आया उन गुनाहों की सजा मिलने का।
59 साल के मुख्तार अंसारी का अब जेल से बाहर आना मुश्किल!
योगी सरकार की माफियाओं के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति ने मुख्तार के हर उस गुनाह को सामने लाया तो उसने सालों तक आम जनता पर किए। एक तरफ मुख्तार की काली कमाई पर सरकार ने शिकंजा कसा तो दूसरी तरफ उन लोगों को न्याय मिलने की शुरुआत हुई जो इस माफिया की दरिंदगी के शिकार बने थे। पिछले 8 महीनों में मुख्तार अंसारी को 5 अलग-अलग मामलों में सजा मिल चुकी है। मुख्तार अंसारी की उम्र 59 साल की है और 5 अलग-अलग मामलों में मिली सजा 30 साल से ज्यादा की है, यानी अब इस माफिया का काल-कोठरी से बाहर आना तकरीबन नामुमकिन है।
5 गुनाह जिनकी वजह से जेल में ही गुजरेगी माफिया की जिंदगी
कल मुख्तार अंसारी को सबसे बड़ी सजा उम्र कैद मिली है। इसके पहले भी कभी दस साल तो कभी 5 साल की सजा इस माफिया को सुनाई जा चुकी है। अब जान लीजिए वो पांच खतरनाक अपराध जिन्हें करते हुए मुख्तार अंसारी के हाथ नहीं कांपे। जिन अपराधों के पीड़ित परिवारों को न्याय के लिए सालों इंतजार करना पड़ा।
जेलर पर पिस्तौल दागने का मामला
- 21 सितंबर 2022 को मुख्तार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 7 साल की सजा सुनाई। ये मामला था साल 2003 में जेलर एसके अवस्थी को धमकाने का। दरअसल जेलर अवस्थी ने जेल में मुख्तार से मिलने आए लोगों की तलाशी लेने का आदेश दिया था। इस बात पर ये माफिया इतना गुस्सा हो गया कि इसने जेलर को ही जान से मारने की धमकी दे डाली। मुख्तार अंसारी ने अपनी पिस्तौल निकाल ली और सीधा जेल अवस्थी दाग। जेलर के साथ काफी गाली-गलौज की गई। बड़ी मुश्किल से जेलर ने अपनी जान बचाई।
जेल अधीक्षक की हत्या का केस
- ठीक दो दिन बाद 23 सितंबर 2022 को एक बार फि मुख्तार अंसारी को 5 साल की सजा सुनाई गई। इस बार मामला था जेल सुधार के लिए फेमस रहे जेल अधीक्षक रमाकांत तिवारी की हत्या का। चार फरवरी 1999 को उनकी हत्या कर दी गई थी। वो एक मीटिंग से लौट रहे थे तभी रास्ते में बदमाशों ने उनपर ताबड़तोड़ फायरिंग की और उनकी जान ले ली। ये हत्या करवाई थी बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी ने। कोर्ट ने इस मामले में 5 साल की सजा दी।
कारोबारी के अपहरण और हत्या का मामला
- 15 दिसंबर 2022 को एक बार फिर मुख्तार अंसारी को सजा मिली और इस बार सजा थी 10 साल की। गैंगस्टर एक्ट के तहत ये मामला कृष्णानंद राय की हत्या के 2 साल बाद पुलिस ने दर्ज किया था। केस में राय की हत्या के बाद हुई आगजनी और कारोबारी नंद किशोर रुंगटा की अपहरण-हत्या को आधार बनाया गया था।
बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड
- अप्रैल 2023 में गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने मुख्तार अंसारी गैंगस्टर एक्ट के तहत दोषी पाया और उन्हें 10 साल की सजा सुनाई गई। ये सजा बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय मर्डर केस में सुनाई गई थी। साल 2005 में कृष्णानंद की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। उनपर 500 राउंड फायरिंग हुई थी और वो गोलियों से छलनी हो गए थे।
अवधेश राय मर्डर केस
- अब दो दिन पहले यानी 5 जून 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्तार अंसारी अवधेश राय हत्याकांड में उम्र कैद की सजा सुनाई है। 32 साल पहले यानी साल 1991 अवधेश राय की उनके छोटे भाई अजय राय के सामने हत्या कर दी गई थी। कार में सवार बदमाशों ने अवधेश राय पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थी और देखते ही देखते उनकी जान चली गई थी। ये हत्या मुख्तार अंसारी के कहने पर ही की गई थी।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."