सर्वेश द्विवेदी और इरफान अली लारी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद से ही माफियाओं, अपराधियों और गुंडों की खैर नहीं है। प्रदेशभर में अपराध की दुनिया में अपना सिक्का जमाने वाले माफियाओं और अपराधियों के विरुद्ध पुलिस सख्त कार्रवाई कर रही है। इसी कड़ी में गोरखपुर के एक माफिया अजीत शाही का नाम फिर से बड़ी तेजी से उभरा है।
गोरखपुर शहर कभी जुर्म की नगरी हुआ करता था। हत्या, किडनैपिंग, लूटपाट, जबरन वसूली, ठेकेदारी को लेकर राज्य में वर्चस्व की लड़ाई इतनी थी कि शहर अक्सर खून से लाल हो जाता था। इसी गोरखपुर से अब नए माफिया का नाम जुड़ गया है। एक नए अपराधी को माफिया की लिस्ट में डाल दिया गया है और ये नाम है अजीत शाही। राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य से माफियाओं का खात्मा करने की कसम खाई है और ये तो बात ही योगी के अपने शहर गोरखपुर की है। अजीत शाही का नाम जुड़ते ही अब कुल गोरखपुर के 5 अपराधी माफिया लिस्ट में शामिल हो चुके हैं।
उत्तर प्रदेश का नया माफिया अजीत शाही
अजीत शाही मूलरूप से देवरिया के भाटपार रानी थाना क्षेत्र के पकड़ी बाबू गांव का रहने वाला एक खतरनाक हिस्ट्रीशीटर है। उसपर कई आरोप दर्ज हैं, लेकिन कई सालों से वो पुलिस से बचता जा रहा था। गोरखपुर के 4 अन्य अपराधी विनोद उपाध्याय, सुधीर सिंह, राजन तिवारी और राकेश यादव पहले ही यूपी पुलिस की लिस्ट में माफिया करार दिए जा चुके थे।
अजीत शाही का नाम जिले के टॉप टेन क्रिमिनल्स में कुछ समय पहले शामिल हो चुका था, लेकिन अब अजीत शाही बन चुका है राज्य का 62वां माफिया।
अजीत शाही की संपत्ति और गुर्गों की होगी जांच
अजीत शाही को माफिया की लिस्ट में डालने का मतलब है यूपी का क्रिमिनल्स के खिलाफ जीरो टॉलरेंस। इससे साफ है कि योगी आदित्यनाथ की पुलिस किसी भी अपराधी को बख्शने के मूड में बिल्कुल नहीं है। अजीत शाही के लिए एक नोडल ऑफिसर तय कर दिया गया है। ये ऑफिसर माफिया अजीत शाही से जुड़ी सारी जानकारी इकट्ठा करेगा। अजीत शाही की संपत्ति, उसके क्राइम से जुड़े सारे दस्तावेज इकट्ठा किए जाएंगे। इसके अलावा माफिया की आय का स्रोत पता लगाया जाएगा और उन लोगों से भी पूछताछ होगी जो डायरेक्ट या इनडायरेक्ट माफिया के काले कारोबार से ताल्लुक रखते हैं। माफिया के गुर्गों की तलाशी और गैंगस्टर एक्ट के तहत उसकी अवैध संपत्ति कुर्क करना भी अधिकारी की ही जिम्मेदारी होगी।
सीएम योगी की माफियाओं के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का सख्ती से पालन करते हुए पुलिस ने माफिया पर शिकंजा कसना शुरू ही किया ही था कि अजीत शाही ने खुद को कोर्ट में सरेंडर कर दिया। पुलिस अब उसकी अपराधिक कुंडली खंगालने में फिर से जुटी हुई है।
पुलिस कर रही थी तलाश
शुरू से ही पूर्वांचल और गोरखपुर की धरती पर माफिया और अपराधियों का बोलबाला रहा है, इस कड़ी में बड़े-बड़े नाम शामिल रहे हैं। हम बात कर रहे हैं, माफीया अजीत शाही की जिसके ऊपर पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार कुल 32 मुकदमे दर्ज हैं। जिले की टॉप टेन माफियाओं की लिस्ट और प्रदेश की सूची में 62वें नंबर पर शामिल अजीत शाही का नाम दोबारा तब सामने आया जब उसने रेलवे कोऑपरेटिव बैंक के सचिव को जान से मारने की धमकी दी, पुलिस अजीत शाही को पहले से ही तलाश रही थी।
2021 में जमीन कब्जा करने के मामले में देवरिया जिले की एक महिला ने सीएम योगी आदित्यनाथ से जनता दर्शन के दौरान गुहार लगाई थी और न्याय दिलाने की मांग की थी। सीएम के सख्त रवैए के बाद महिला की तहरीर पर पुलिस ने अजीत शाही के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया था। महिला द्वारा मुकदमा दर्ज कराते ही देवरिया जिले के एक फौजी सहित अन्य लोगों की हिम्मत बढ़ी जिनके साथ माफिया ने गलत किया था।
देखते ही देखते माफिया के खिलाफ धड़ाधड़ 32 मुकदमे दर्ज हो गए। मुकदमा दर्ज होने के बाद से ही अजीत शाही फरार चल रहा था। उसके नाम पर पुलिस ने 25000 का इनाम भी घोषित कर रखा था। इधर पुलिस उसे सरगर्मी से तलाश रही थी लगातार छापेमारी का दौर जारी था, इसी बीच माफिया ने खुद कोर्ट के सामने समर्पण कर दिया।
माफिया अजीत शाही का अपराधिक सफर
देवरिया जिले के पकड़ी बाबू गांव का मूल निवासी अजीत शाही शुरू से ही आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है। छात्र जीवन से ही देवरिया से गोरखपुर आकर उसने अपने अपराधिक गतिविधियों को संचालित करना शुरू कर दिया था। इस बीच माफिया ने राजनीति में भी अपने पांव जमाने की कोशिश की, जिसके तहत सर्वप्रथम अपने गृह क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीता और फिर ब्लॉक प्रमुख बना।
राजनीति में भी दखल, गोरखनाथ मंदिर से जुड़ने की कोशिश
2016 में अजीत ने बसपा के टिकट पर एमएलसी का भी चुनाव लड़ा, जहां वह सपा के प्रत्याशी से हार गया था। इसी बीच वह खुद को बीजेपी से जोड़ने के प्रयास करता रहा इसके लिए उसने गोरखनाथ मंदिर से भी अपने संबंध बनाने की कोशिश की, लेकिन उसे वहां कोई तवज्जो नहीं मिली धीरे-धीरे उसका राजनीति से मोहभंग हो गया। इसी दौरान उसने बैंक की वसूली के काम में भी हाथ डाला जहां गुर्गों की मदद से खूब धन उगाही की, और अपने अपराध के साम्राज्य को खूब आगे बढ़ाया। उसका यह नेटवर्क गोरखपुर से लेकर देवरिया सहित अन्य जिलों में भी चल रहा है।
आखिर कैसे उसने बैंक की धन उगाही का ठेका ले रखा है, किसके नाम पर चल रहा है यह कारोबार इसकी भी पुलिस जांच कर रही है। अजीत शाही ने रेलवे को ऑपरेटिव बैंक में भी अपनी धमक और हनक देनी शुरू कर दी थी, जहां लोन दिलाने और कर्मचारियों के ट्रांसफर से लेकर नियुक्ति तक में दखल देने लगा था। तत्कालिक मामले में कोऑपरेटिव बैंक के सचिव और स्टाफ को जान से मारने की धमकी दी थी, इसी मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने इनाम की राशि बढ़ाते हुए फिर से उसकी तलाश शुरू कर दी थी।
टॉप टेन अपराधियों की लिस्ट में शामिल हुआ नाम
वर्तमान में कैंट थाना क्षेत्र के बेतियाहाता निवासी अजीत शाही गोरखपुर के टॉप टेन अपराधियों की सूची में शामिल है। 2 साल पहले ही टॉप 10 की सूची में शामिल किए जाने के बावजूद उसपर अब तक कोई कार्यवाही ना होने पर पुलिस प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे थे। एसएसपी गौरव ग्रोवर का कहना है कि माफिया अजीत की तलाश पहले से ही की जा रही थी। उस पर इनाम की राशि भी बढ़ाई गई थी। फिलहाल उसने कोर्ट में समर्पण कर दिया है उसके अब तक की काली कमाई और अपराधिक गतिविधियों की कुंडली को खंगाला जा रहा है। दर्ज मुकदमों में हो रहे कार्रवाई की वर्तमान स्थिति को भी देखा जा रहा है। मुकदमों की कार्रवाई में और तेजी लाकर माफिया को सख्त से सख्त सजा दिलाने का कार्य किया जाएगा। गोरखपुर में अपराध और माफियाओं के लिए कोई जगह नहीं है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."