इरफान अली लारी की रिपोर्ट
देवरियाः गोवंशियों के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए देवरिया (Deoria) में एक शानदार शुरुआत हुई है। डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह के निर्देश पर 4 जून को गोशाला प्रवास दिवस का आयोजन किया जाएगा। इस दिन गौशाला के रखरखाव से जुड़े सभी अधिकारी पूरा दिन गोशाला में ही बिताएंगे और वहां की कमियों को दूर कर गोसेवा करेंगे। तिरुपति बालाजी मंदिर देवरिया के पीठाधीश्वर स्वामी राजनारायणाचार्य जी ने इसकी सराहना करते हुए कहा है कि इस पहल से आम जनता में भी गोवंशियों के प्रति सेवा की भावना जागृत होगी।
सहभागिता योजना में सेवा के लिए गोद लिया जाता है निराश्रित पशु
देवरिया जिले में 24 स्थाई गो आश्रय स्थल हैं। जिसमें कुल 1517 गोवंश रखें गये हैं। जिसमें 1416 नर एवं 101 मादा पशु है। इसके अलावा 8 अस्थाई गो आश्रय स्थल हैं। जिसमें 317 गोवंश हैं। जबकि कांजी हाउस में 209 गोवंश, पांच कान्हा गौशालाओं में 583 गोवंश तथा दो बृहद गो संरक्षण केंद्र में 408 गोवंश रखे गए हैं। सहभागिता योजना के अंतर्गत जनपद के विभिन्न विकास खंडों के 140 लाभार्थियों को 345 निराश्रित गोवंश दिये गए है। इस योजना में निराश्रित गोवंशियों को गोद लेने वाले व्यक्ति को प्रति गोवंश 900 रुपये प्रतिमाह देने का प्रावधान है। एक व्यक्ति अधिकतम चार गोवंश को गोद ले सकता है।
गोशाला प्रवास दिवस के बारे में जानकारी देते हुए जिलाधिकारी ने बताया कि यह देखने में आया है कि गौ आश्रय स्थल के प्रबंधन के लिए जवाबदेह कुछ अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को ढंग से नहीं निभा रहे हैं। अधिकारी गौशाला में पर्याप्त समय नहीं दे रहे । जिससे गौशालाओं में समस्याएं बढ़ रही है और पशुओं को दिक्कतें हो रही हैं। ऐसे में 4 जून को सुबह 8 से शाम 6 बजे तक अधिकारी गौशालाओं में प्रवास करेंगे। इसमें बीडीओ, वेटनरी ऑफिसर तथा एडीओ पंचायत समय गोशाला से संबंधित जिम्मेदार अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों की गौशालाओं में रह कर गौशाला की समस्याओं को दूर कराएंगे।
गोवंशियों का संरक्षण सरकार की पहली प्राथमिकता
गौशाला प्रवास दिवस के बारे में आयोजित बैठक में डीएम ने निराश्रित गोवंशियों को संरक्षण स्थल पर पहुंचाने के लिए अभियान चलाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि गोवंशों का संरक्षण सरकार की पहली प्राथमिकता है। इसमें लापरवाही न बरती जाए। डीएम ने गोशालाओं से निकलने वाले गोबर का व्यवसायिक उपयोग बढाने पर बल देते हुए कहा कि गोबर से कंपोस्ट खाद, अगरबत्ती, कंडे सहित कई व्यवसायिक गतिविधियों को संचालित किया जा सकता है।
सुख और समृद्धि के प्रतीक होते हैं गोवंशि -स्वामीराजनारायणचार्य
देवरिया में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर के पीठाधीश्वर स्वामी राजनारायणाचार्य जी महाराज ने भी इस पहल की सराहना की है। स्वामी जी ने कहा है कि अनादि काल से सनातन धर्म में गोवंशियों की पूजा की जाती रही है। नए संसद भवन में जिस राजदंड को पीएम मोदी ने विधि विधान से स्थापित किया है , उसके ऊपर भी वृषभ ( गोवंश) का चिन्ह बना है। यह भारत में गोवंश की महत्ता को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि हिंदू धर्म में वृषभ के चारों पैरों का अलग-अलग विशेष महत्व है। इसीलिए सिंगोल के ठीक ऊपर वृषभ का चिन्ह अंकित किया गया है। ऐसे में हम सभी को गोवंश संरक्षण के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए। क्योंकि गोवंशी और संपन्नता के प्रतीक होते हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."