कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
आजमगढ़: माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) के मामलों की फेहरिस्त लंबी है। पिछले 3 दशक से पूर्वांचल के आधा दर्जन से अधिक जिलों में उसकी तूती बोलती रही। योगी सरकार उसके काले साम्राज्य को ध्वस्त करने में जुटी है। उसके गुनाहों के चिट्ठे एक-एक कर सामने आते जा रहे हैं। 2014 में आजमगढ़ जिले में सड़क निर्माण काम में लगे मजदूरों पर फायरिंग की वारदात हुई थी। एक मजदूर की मौत हो गई, जबकि एक अन्य घायल हो गया। इसी केस को लेकर मुख्तार के खिलाफ केस की सुनवाई चल रही है। अब 30 मई को सुनवाई की अगली तारीख तय की गई है।
ठेकेदार से अपराधी बने मुख्तार अंसारी ने राजनीति में आने के बाद अपनी ताकत को बढ़ाना शुरू किया। एक के बाद एक मामलों में उसका नाम सामने आता जा रहा था। इसी बीच 6 अक्टूबर 2014 को पड़ोसी जिले आजमगढ़ के तरवां इलाके में कांड हो गया। ठेकेदार राजेश उर्फ राजन सिंह और उसके भाई उमेश सिंह सड़क का निर्माण करवा रहे थे। उसी दौरान बाइक सवार हमलावरों ने काम में लगे मजदूरों पर गोलियां बरसा दी। इसमें बिहार निवासी एक मजदूर ने दम तोड़ दिया।
मन्ना सिंह केस से जुड़ी थी जड़ें
इस घटना की जड़ें 2009 में हुए मन्ना सिंह हत्याकांड से जुड़ी हुई हैं। अजय प्रकाश उर्फ मन्ना सिंह ठेकेदारी करते थे। उनकी हत्या कर दी गई। आरोप लगा कि मुख्तार अंसारी को गुंडा टैक्स देने से मना करने पर उन्हें धमकी मिली और फिर गोली मार दी गई। बाद में इसी केस से जुड़े रामचंद्र मौर्य की भी हत्या कर दी गई। दोनों मामले में अशोक और हरेंद्र सिंह ने पैरवी की। अब ये दोनों मुख्तार अंसारी के सीधे निशाने पर आ गए।
पैरवीकारों को फंसाने की चाल!
अब आते हैं मजदूर कांड पर। हुए राजन सिंह और उमेश सिंह मुख्तार अंसारी के गिरोह से जुड़े हुए थे। इस वारदात के बाद राजन ने हरेंद्र सिंह और अशोक सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी। मुकदमे में लिखाया गया कि हरेंद्र पल्सर बाइक चला रहे थे और पीछे बैठे अशोक ने हत्या की नियत से फायरिंग की। लेकिन राजन और उमेश पीछे हट गए और गोलीबारी में मजदूर मारा गया।
फोन सर्विलांस से हुआ भंडाफोड़
इस मामले में आजमगढ़ के तत्कालीन एसएसपी अनंतदेव तिवारी ने विवेचना शुरू की। सर्विलांस से नंबर ट्रेस किया गया। जिन हरेंद्र और अशोक पर हत्या का आरोप लगाया गया, उनके मोबाइल की लोकेशन घर पर मिली। उनकी सुरक्षा में लगे सरकारी गनर की मोबाइल लोकेशन भी घर पर ही मिली। वहीं जिस राजन सिंह ने खुद के घटनास्थल पर मौजूद होने की बात एफआईआर में लिखवाई थी, उसकी लोकेशन भी 40 किलोमीटर दूर मिली।
पुलिस ने मुख्तार गैंग को टार्गेट पर लिया
अब केस पलट गया। एसएसपी तिवारी ने मजदूर मर्डर में मुख्तार अंसारी, राजन सिंह, उमेश सिंह, श्यामबाबू पासी सहित 11 लोगों के खिलाफ हत्या और साजिश का मुकदमा दर्ज किया। उस समय की सपा सरकार में मुख्तार की पैठ के कारण एसएसपी को खामियाजा भुगतना पड़ा और उनका ट्रांसफर कर दिया गया। लेकिन माफिया के किले में सेंधमारी हो चुकी थी। मुख्तार के खिलाफ केस कोर्ट चला गया। यह केस चलता रहा और 22 मई को मुख्तार की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई हुई।
Author: samachar
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