दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
खाप मुख्य रुप से एक सामुदायिक संगठन है जो किसी खास जाति या गोत्र से मिलकर बना होता है। इस तरह की खाप पंचायतों का कोई कानूनी आधार नहीं होता और सुप्रीम कोर्ट इन्हे अवैध घोषित कर चुका है लेकिन इस तरह की पंचायतों का अपने समुदाय के अंदर अहम फैसले लेने में अहम रोल होता है और इसका काफी प्रभाव माना जाता है। इस तरह की खाप खासतौर पर उत्तर भारत में हरियाणा और उत्तर प्रदेश के जाट समुदाय के लोगों में देखने को मिलती है।
आमतौर पर खाप में 84 गांव शामिल होते हैं। प्रत्येक गांव में एक चुनी हुई परिषद होती है जिसे पंचायत कहा जाता है। 7 गांवों की यूनिट को थंबा कहा जाता है और 12 थंबा मिलकर एक खाप पंचायत का निर्माण करते हैं। हालांकि अब 12 और 24 गांवों की खाप भी मौजूद है। सभी खापों के ऊपर सर्वखाप होती है जो इन सभी खाप पंचायतों का प्रतिनिधित्व करती है। प्रत्येक खाप अपने एक प्रतिनिधि को सर्वखाप में प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजती है। खाप पंचायत अपने विवादास्पद निर्णयों को लेकर कई बार सुर्खियों में आई है।
Author: samachar
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