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November 23, 2024 10:43 am

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कुछ ने लिए मज़े तो कुछ ले रहे चटखारे; आईपीएस ऑफिसर ने गालियों की पूरी डिक्शनरी ही खोल दी

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट 

बागपत: हरा#खो@ कहीं का.. भग यहां से.. अभी सा# दो लाठी मारूंगा.. तू क्यों बोलेगा.. हरा#खो@ सा%.. तू कौन है बोलने वाला… रुक जा ऐ रुको.. तू सा# क्यों समझा रहा है.. हरा#खो@ तू क्यों समझा रहा है.. तू अधिकारियों के बीच क्यों आया? भक्क.. बैठाइए इस नाला#क को… गाड़ी में बैठाइए सा% को।

अगर आप सोच रहे हैं कि यह क्या पढ़ना पड़ रहा है तो जान लीजिए कि यह सच है। और ये किसी सड़कछाप आदमी की नहीं, बल्कि पुलिस के सीनियर ऑफिसर की भाषा है। जिन शब्दों को स्पेशल कैरेक्टर से छिपाया गया है, वो सब गालियां हैं। गाली देने वाले पुलिस के अधिकारी हैं और खाने वाले एक नेताजी।

यह मामला बागपत जिले का है। यहां निकाय चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग के दौरान बागपत के स्मारक इंटर कॉलेज में हो रहे मतदान के बीच एएसपी मनीष मिश्रा भड़क गए। पोलिंग एजेंट को फर्जी मतदान ना कराने की हिदायत दे रहे एएसपी साहब वहां मौजूद बड़ौत के चेयरमैन पद के प्रत्याशी पर ऐसा भड़के कि रौद्र रूप अपना बैठे। उन्होंने हाथ में माइक लेकर गालियों की बौछार ही कर डाली।

आईपीएस ऑफिसर ने भरी पब्लिक के सामने बड़ौत नगर पालिका के चेयरमैन पद के निर्दलीय प्रत्याशी जितेंद्र सिंह पर गालियों की पूरी डिक्शनरी ही खोल डाली। गालियां सुनकर तो यही समझ आता है कि अगर कोई अधिकारी खाकी वर्दी में हो तो फिर क्या जनता और क्या नेता। सबका सम्मान सब किनारे और अगर एएसपी साहब चाह दें तो किसी को भी गाली देकर किनारे बैठा दें।

सुपरकॉप बन रहे पुलिस अधिकारी ने शांति व्यवस्था कायम करने के चक्कर में आवेश में आकर खुद ही शांति व्यवस्था अस्त-व्यस्त कर डाली। खाकी पहने खड़े पुलिसकर्मियों और सिपाहियों के बीच में उन्होंने गालियों की बौछार करते हुए चेयरमैन को निकाल बाहर करवा दिया। सवाल यही है कि अगर बूथ पर कोई कमी नजर आ रही है या फर्जी वोटिंग की शिकायत है तो कानूनी ऐक्शन लेना चाहिए, ना कि सड़कछाप का इस्तेमाल करना चाहिए।

सवाल यही उठता है कि इसी बागपत के पड़ोसी जिले नोएडा की सोसायटी में गाली देने वाले श्रीकांत त्यागी पर अगर केस दर्ज करने से लेकर गिरफ्तारी तक हो सकती है तो फिर पुलिस अधिकारी के खिलाफ ऐसा ऐक्शन क्यों नहीं। कानून के रखवाले हैं तो क्या गाली देने, थप्पड़ रसीद देने और कुछ भी करने का अधिकार मिल जाता है?

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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