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November 1, 2024 3:08 pm

खौफनाक ; बेटे ने मां को दिए इतने घाव कि डाक्टर भी देखकर सन्न रह गए…..

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आनंद शर्मा की रिपोर्ट 

भीलवाड़ा : राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में एक बेटे की ओर से मां की हत्या किए जाने वाले मामले में लगातार चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। यहां एक मां निमंत्रण पर अपने पीहर बेटे को खाना खाने ले जाना चाहती थी। मगर यह उसके इकलौते बेटे को पसंद नहीं था। इसके बाद कलयुगी बेटे पर गुस्से की ऐसी सनक चढ़ी कि उसने मां के शरीर पर चाकू से 80 घाव कर दिए। वह ताबड़तोड़ वार तब तक करता रहा जब तक मां की सांस नहीं टूट गई। मां की जिस छाती से लिपट और दूध पीकर जो बेटा बड़ा हुआ था उसी छाती पर चाकू से छलनी कर दी। जख्म देखकर शव का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर भी सन्न रह गए।

पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर भी सन्न

घटना भीलवाड़ा के उपनगर पुर के पिपलेश्वर महादेव मंदिर के पास की है। यहां शंकर लाल बिश्नोई के इकलौते बेटे सुनील ने अपनी मां मंजू देवी पर चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर हत्या कर दी थी। हत्या के समय मृतका मंजू की सास घर के बाहर बैठी थी और पिता शंकरलाल सब्जी लेने गए हुए थे। भीलवाड़ा की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चंचल मिश्रा ने बताया कि मंजू देवी के शरीर पर पोस्टमार्टम के समय 80 घाव देखकर हम लोग और डॉक्टर भी सन्न रह गए थे। शव का मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवा कर परिजनों को सौंप दिया गया है। आरोपी सुनील को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। उसकी निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त चाकू भी बरामद कर लिया है।

मामाओं से थी युवक की अनबन

पुलिस को यह भी जानकारी मिली की सुनील के अपने ननिहाल में दोनों मामा से संबंध ठीक नहीं थे। रक्षाबंधन पर भी उसकी मां राखी बांधने मामा के घर जाना चाहती थी। मगर सुनील ने 10 दिन तक अपनी मां को कमरे में बंद रखा था। युवक ने उसे नहीं जाने दिया था। सुनील के खिलाफ उसके दो मामा पुलिस में 3 रिपोर्ट दे चुके थे मगर पुलिस उसे हल्के में लेकर घर का आपसी विवाद बताती रही थी। अपनी मां की हत्या के बाद आरोपी बेटा शव के पास बैठा रहा और पिता के सब्जी लेकर घर लौटने पर उन्हें कमरे में बंद कर भागने का प्रयास में था, मगर मोहल्ले वालों ने उसे पकड़ लिया।

सुनील की अपने मामा से इतनी नाराजगी थी कि उसने एक मामा के घर पर सुतली बम फेंका था।एक बार गर्म दाल भी उड़ेल दी थी इसकी मां मंजू देवी अपने बेटे के इन अत्याचारों से परेशान थी। युवक मां से आए दिन मारपीट करता था । सुनील और उसका पिता शंकरलाल दोनों कोई काम नहीं करते हैं । केवल अकेली मां मंजू देवी ही मेहनत मजदूरी कर ही परिवार की जिम्मेदारी संभाल रही थी।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."