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20 January 2025 1:15 am

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सिसकियों से लेकर दहाड़ तक ; व्यवस्थाओं से जूझते हुए योगी के आंसू अब अंगार बन गए…. पढिए योगी काल के उतार चढ़ाव 

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मोहन द्विवेदी की खास रिपोर्ट 

नई दिल्ली: 12 मार्च, 2007। लोकसभा टेलीवीजन पर दोपहर 12 बजकर 11 मिनट का समय दिखता है। स्क्रीन परयोगी आदित्यनाथहैं। भगवाधारी योगी खड़े-खड़े रो रहे हैं, जार-बेजार। अध्यक्ष की सीट पर सोमनाथ चटर्जी बैठे हैं। योगी जब फफक-फफक कर रोते हैं तो बगल में बैठे सांसद उनके कंधे पर हाथ रखकर ढाढस दिलाते हैं। अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी भी योगी की हौसला आफजाई करते हैं। वो कहते हैं, ‘हां, हां, मैं आपका आदर करता हूं। मैं इस मामले को देख रहा हूं। हमें बताइए।’ लेकिन अपना दांया हाथ उठाकर कुछ बोलना चाहते हैं, लेकिन उनकी आवाज नहीं निकल पा रही है। बरबस आंसू आ रहे हैं और गला रुंध जा रहा है। फिर किसी तरह खुद को संभालते हुए योगी कहते हैं, ‘अध्यक्ष जी, मैं तीसरी बार गोरखपुर से लोकसभा का सदस्य बना हूं। पहली बार मैं 25 हजार वोटों से जीता था, दूसरी बार 50 हजार से जीता और तीसरी बार लगभग डेढ़ लाख मतों से मैं गोरखपुर से चुनकर आया हूं। लेकिन पिछले कुछ समय से महोदय राजनीतिक विद्वेष के तहत मुझे जिस तरह राजनीतिक पूर्वग्रह का शिकार बनाया जा रहा है।’

योगी आदित्यनाथ ने आगे जो कहा, वो भारत की संसदीय राजनीति पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करने वाला है। उन्होंने कहा, ‘मैं केवल आपसे यह अनुरोध करने आया हूं- क्या मैं इस सदन का सदस्य हूं या नहीं हूं? और क्या यह सदन मुझे संरक्षण दे पाएगा या नहीं दे पाएगा?’ तभी लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी बोल पड़ते हैं- ‘आप इस सदन के बहुत सम्मानित सदस्य हैं।’ फिर योगी कहते हैं, ‘अगर मुझे संरक्षण नहीं दे सकता है तो मैं आज ही सदन को छोड़कर वापस जाना चाहता हूं। मैं कोई महत्वाकांक्षा नहीं रखता। मैंने अपने जीवन से संन्यास लिया है अपने समाज के लिए।’ वो फिर फफक पड़ते हैं। रोते हुए कहते हैं, ‘मैंने अपने परिवार को छोड़ा है। मैंने अपने मां-बाप को छोड़ा है। मुझे अपराधी बनाया जा रहा है महोदय, केवल राजनीतिक पूर्वग्रह के तहत। केवल इसलिए क्योंकि मैंने वहां पर भ्रष्टाचार के मामले उजागर किए थे। क्योंकि मैंने भारत-नेपाल की सीमा पर आईएसआई और भारत विरोधी गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठाई थी इस सदन में। बराबर उसकी तरफ इस सदन का ध्यान आकर्षित करता रहा। मैं वहां भूखमरी से हो रही मौतों के खिलाफ प्रशासनिक भ्रष्टाचार को उजागकर करता रहा। इसलिए मेरे खिलाफ महोदय सारे के सारे मामले बनाए जा रहे हैं।

आखिर योगी के साथ हुआ क्या था कि वो इस कदर टूट गए थे? एक संन्यासी और सांसद के साथ किसने, क्या किया था कि उनके आंसू थम नहीं रहे थे? किसने का जवाब है- मुल्ला मुलायम के नाम से मशहूर हुए समाजवादी पार्टी (SP) और उत्तर प्रदेश के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने। जनवरी 2007 में मुहर्रम का जुलूस निकला। इसी जुलूस के दौरान पत्थरबाजी हुई और जमकर बवाल मचा। मुलायम सरकार ने इसके लिए योगी आदित्यनाथ को जिम्मेदार ठहराया और उन्हें पकड़कर जेल भेज दिया। योगी उस वक्त भी गोरखपुर से सांसद थे। वो जेल से निकले और संसद सत्र में भाग लिया। उसी वक्त योगी लोकसभा में रो पड़े। मुलायम राज में उत्तर प्रदेश में अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे माफियाओं की तूती बोला करती थी। मुख्तार अंसारी के गुंडों ने योगी आदित्यनाथ के काफिले पर हमला बोल दिया था और एक वक्त ऐसा लगा कि योगी की जान नहीं बच पाएगी। उन्हीं घटनाओं को याद करते हुए योगी ने लोकसभा अध्यक्ष से पूछा था कि क्या सदन अपने सदस्य को संरक्षण दे पाएगा या नहीं?

वक्त बदला, जमाना बदला, जनता का मिजाज बदला और 2017 में उत्तर प्रदेश में मुलायम के बेटे अखिलेश यादव की सरकार चली गई और मतदाताओं ने बीजेपी को बहुमत दे दिया। केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार तीन वर्ष पहले 2014 में ही आ चुकी थी। बीजेपी यूपी का मुख्यमंत्री किसे बनाएगी? इस सवाल पर मीडिया में खूब घोर-मंथन हुआ। तभी योगी आदित्यनाथ के नाम की घोषणा करके बीजेपी ने सबको चौंका दिया। योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालते ही, सबसे पहले प्रदेश की कानून-व्यवस्था को सुधारने का जिम्मा उठाया। शिकंजा कसा तो गुंडे गले में तख्तियां लटकाकर थाने पहुंचने लगे गिरफ्तारियां देने। गुंडराज से आजिज उत्तर प्रदेश की जनता को योगी का यह अप्रत्याशित कदम काफी रास आया। 2022 के अगले विधानसभा चुनाव में भी योगी सरकार की वापसी हो गई। योगी सरकार 2.0 का एक साल पूरा ही हुआ कि उनका सबसे बड़े दावे को धता बताते हुए प्रयागराज में दिनदहाड़े हाई प्रोफाइल मर्डर को अंजाम दे दिया गया। जेल में बंद अतीक अहमद के इशारे पर उसी के खिलाफ बीएसपी विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में प्रमुख गवाह उमेश पाल को दिन के उजाले में मार दिया गया। यह योगी सरकार को खुली चुनौती थी।

24 फरवरी, 2023 को प्रयागराज में अतीक के बेटे असद के नेतृत्व में गुंडों ने कोहराम मचा दिया। तब विधानसभा सत्र चल रहा था। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने घेर लिया। उन्होंने उत्तर प्रदेश में कानून के राज के दावे पर सवाल किया। सामने खड़े योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सारे माफिया को सपा ने पाला है और आज सवाल भी वही कर रही है! उसके बाद योगी ने जो कहा, वो युगों-युगों तक याद रखा जाएगा। योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘माफिया को मिट्टी में मिला दिया जाएगा।’ योगी जब बोल रहे थे, तब उनकी आंखें अंगार बरसा रही थीं। सीएम योगी 2007 के लोकसभा में बिलखते सांसद योगी आदित्यनाथ से बिल्कुल अलग थे। तब योगी के आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे, अब योगी की आखों के अंगार छिपाए नहीं छिप रहे थे। योगी के ऐलान के बाद विधानसभा मेजों की थपथपाहट से गूंज उठा। लोकसभा में जब योगी रो रहे थे, तो चारों ओर सन्नाटा था। तब सदन में योगी की सिर्फ सिसकियां गूंज रही थीं। उत्तर प्रदेश विधानसभा में योगी की दहाड़ के बाद क्या हुआ, यह बताने की जरूरत नहीं है। अगले ही दिन से बाबा का बुलडोजर निकला और एक-एक करते उमेश पाल मर्डर से जुड़े माफियाओं को घर ढहाने लगा। अतीक की सैकड़ों करोड़ की संपत्तियां जब्त हुईं। उधर गुजरात के साबरमति जेल में बंद अतीक अहमद की सांसें अटकने लगीं। उसे पता था कि योगी आदित्यनाथ के ऐलान का क्या मतलब है? उसका डर तब और बढ़ गया जब यूपी पुलिस उसे लाने साबरमति जेल पहुंच गई।

अतीक को यूपी लाया गया। रास्ते में मिडिया ने उससे पूछा कि क्या उसे डर लग रहा है, तो पहले उसने रौब झाड़ने की कोशिश की। उसने कहा- काहे का डर। अतीक की प्रयागराज कोर्ट में पेशी हुई और वापस साबरमति जेल चला गया। कुछ दिनों बाद उसे फिर गुजरात से यूपी लाया जा रहा था। इस बार फिर मीडिया का माइक अतीक के सामने था। इस बार अतीक ने कहा- हम मिट्टी में मिल गए हैं। अब योगी जी से अनुरोध है कि वो परिवार की महिलाओं को बख्श दें। हम मिट्टी में मिल चुके हैं, अब हमें रगड़ा जा रहा है। अतीक अहमद, माफियागिरी में बराबर के साथी अपने छोटे भाई अशरफ अहमद फिर से प्रयागराज कोर्ट में था। तभी अतीक के बेटे असद अहमद को यूपी पुलिस ने एकनाउंटर में मार गिराया। झांसी में हुए एकनाउंटर में असद के साथ शूटर गुलाम भी मारा गया। असद ने उमेश पाल पर गोलियां चलाई थीं। कोर्ट में अतीक को बताया गया कि उसका बेटा असद मारा गया तो उसके चेहरे की हवाइयां उड़ गईं। अशरफ ने उसे संभाला। उन दोनों को क्या पता था कि कुछ ही घंटों में उनकी कहानी भी खत्म होने वाली है।

पुलिस 15 अप्रैल, 2023 की रात करीब 10.30 बजे अतीक और अशरफ की निशानदेही पर एक जगह से हथियार और गोला-बारूद बरामद करके अस्पताल लौटी थी। प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल के बाहर पुलिस की गाड़ी रुकी। पुलिस की सुरक्षा में अतीक और अशरफ बढ़ रहे थे। फिर मीडिया ने अतीक-अशरफ से सवालों का सिलसिला शुरू किया। अशरफ ने अभी इतना कहा था- मेन बता यह है कि गुड्डू मुस्लिम… तब तक अतीक नीचे लुढ़क गया। उसे एक युवक ने बिल्कुल पास से गोली मार दी। अशरफ कुछ समझ पाता कि वह भी हमलावर का शिकार हो चुका था। कभी जिस अतीक और अशरफ की यूपी में तूती बोला करती थी, सिपाही क्या आईपीएस और आईएएस, यहां तक कि मुख्यमंत्री तक जिसकी जेब में रहा करते थे, उनकी लाश सड़क पर पड़ी थी। विधानसभा में योगी आदित्यनाथ की हुंकार- माफिया को मिट्टी में मिला देंगे, वाकई सच साबित हो चुकी थी।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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