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24 February 2025 2:11 am

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शतरंज की बिसात में ‘बेगम’ तो जिंदा रही लेकिन ‘राजा’ नहीं बच पाया….

54 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

अतीक अहमद की मौत के बाद अब हर तरफ उसकी पत्नी शाइस्ता की तलाश हो रही है। अतीक गैंग अब सिर्फ शाइस्ता के हाथ में है। कोई शाइस्ता को लेडी डॉन कह रहा है तो कोई उत्तर प्रदेश की नई माफिया, लेकिन ये वही शाइस्ता है जिसकी एक चाल ने पूरे परिवार की नीयती ही बदलकर रख दी। माफिया की इस बेगम ने एक ऐसी खतरनाक चाल चली जिसके बाद सब कुछ खत्म हो गया। 

शाइस्ता परवीन की एक चाल ने खत्म किया पूरा परिवार

अतीक का गुनाहों की दुनिया से करीब 40 साल से नाता रहा। जब उसकी उम्र महज 17 साल थी तब उसपर हत्या का पहला आरोप लगा, लेकिन अतीक की पत्नी शाइस्ता ने अतीक से मिलने के बाद ही क्राइम की दुनिया में कदम रखा। या यूं कहें कि पति के साथ कदम से कदम मिलाकर वो क्राइम की काली दुनिया में आगे बढ़ती गई। अतीक अहमद और शाइस्ता परवीन का साथ 27 साल पुराना था। 1996 में दोनों ने निकाह किया था। इसके पहले उसे जुर्म की दुनिया से कोई लेना-देना नहीं था, लेकिन अतीक ने उसे क्राइम की एबीसीडी पढाई।

27 साल तक अतीक ने शाइस्ता को पढ़ाई जुर्म की किताब

अतीक ने शाइस्ता को अपराध के हर गुर सिखाए। यहां तक कि जब भी अतीक जेल में रहा तो उसे सिर्फ शाइस्ता पर ही भरोसा था। अतीक की गैरमौजूदगी में शाइस्ता ने गैंग के सारे बड़े निर्णय लेती थी। अतीक के शार्प शूटर हों या फिर उसके पैसों के लेन-देन से जुड़े लोग, जब-जब अतीक जेल में रहा शाइस्ता ने ही ये सब संभाला। अतीक और शाइस्ता के बेटे इतने बड़े नहीं हुए थे कि अतीक उनके भरोसे अपना काला कारोबार छोड़ पाए। अतीक को लगा कि शाइस्ता ने पिछले 27 सालों में यानी शादी से लेकर अब तक जुर्म की हर किताब समझ लिया होगा, लेकिन अतीक का यही विश्वास उसके परिवार पर भारी पड़ गया।

उमेश पाल हत्याकांड में शाइस्ता की थी अहम भूमिका

जब उमेश पाल की हत्या करवाई गई तो अतीक अहमद जेल में था। अतीक का भाई अशरफ भी बरेली जेल में बंद था। बस बाहर थी तो शाइस्ता। ये बेगम वैसे तो हर बात अपने पति माफिया अतीक को बताती, लेकिन निर्णय खुद ही लेती। राजू पाल हत्याकांड का इकलौता गवाह था वकील उमेश पाल। उमेश पाल की गवाही पर ही अतीक को राजू पाल हत्याकांड में सजा हो सकती थी। शाइस्ता को लगा कि अगर उमेश पाल को ही रास्ते से हटा दिया जाए तो खेल ही खत्म हो जाएगा।

शाइस्ता ने ही बेटे को बनाया खतरनाक गेम प्लान का हिस्सा

उमेश पाल की हत्या से पहले शाइस्ता अपने शूटर्स से मिली। पूरी प्लानिंग की। अब सोचिए ये बेगम कितनी नासमझ थी कि इसने उमेश पाल की हत्या करवाने के लिए जान से अजीज अपने बेटे को ही चुन लिया। दिन दहाड़े कार में बैठकर शाइस्ता और अतीक का बेटा असद उमेश पाल की हत्या कर देता है और ये सब होता है शाइस्ता की प्लानिंग पर। अतीक अपनी पत्नी पर पूरा भरोसा करता है। उसे यकीन था कि शाइस्ता उसकी गैरमौजूदगी सारे सही निर्णय लेगी, लेकिन बेगम की ये कैसी नासमझी कि उसने अपने बेटे को ही इतने खतनरनाक गेम का हिस्सा बना दिया।

शाइस्ता चाहती तो आज सुरक्षित होता परिवार

उमेश पाल हत्याकांड के बाद ही इस पूरे मामले ने तूल पकड़ा। अतीक पर आरोप थे, कोर्ट में केस चल रहे थे। वक्त आने पर कोर्ट से सजा भी होती, लेकिन उमेश पाल की हत्या के बाद तो उत्तर प्रदेश में भूचाल ही आ गया। यूपी पुलिस पर सवाल उठने लगे। दवाब बनने लगा जल्द से जल्द उमेश पाल के हत्यारों को पकड़ने का। यहां तक कि आम जनता भी अतीक के परिवार से नफरत करने लगी। अगर शाइस्ता ने उमेश पाल की हत्या की साजिश न रची होती, अगर उस दिन वो अतीक के शूटर्स से मिलने न गई होती तो आज हालात ऐसे न होते। न ही असद का एनकाउंटर हुआ होता और न ही लोगों के दिलों में अतीक के लिए इतनी नफरत पैदा होती।

खुद को कभी माफ नहीं कर पाएगी अतीक की बेगम!

अतीक की पत्नी ने अपनी नासमझी में इतनी खतरनाक चाल चली कि असद एनकाउंटर में मारा गया और अतीक को हत्यारों ने उसे मौत के घाट उतार दिया। 24 फरवरी के दिन उमेश पाल की हत्या हुई थी और उसके बाद सिर्फ डेढ़ महीने के अंदर ही अतीक का पूरा परिवार तबाह हो चुका है। अतीक की बेगम भी जानती है कि उसने जो किया वो उसी की सजा भुगत रही है। शायद शाइस्ता अपनी इस चाल के लिए खुद को कभी माफ न कर पाए।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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