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November 2, 2024 12:58 am

मौत के बाद भी दहशत कायम ; जो चल रहा है, चलने दीजिए…ज्यादा न छेड़िए…

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

माफिया अतीक अहमद (Atiq Ahmad) और उसका भाई अशरफ भले ही अब इस दुनिया में नहीं है। लेकिन उसके आतंक की जद में आए परिवार अब भी उस मंजर को भुला नहीं सके हैं, जो उनके साथ कई साल पहले बीता था। अतीक और अशरफ के बारे में बात करते हुए पीड़ित अब भी असहज हो जाते हैं। राजू पाल हत्याकांड की चश्मदीद रहीं रुखसाना के पति सादिक कुछ देर की बातचीत के बाद कहते हैं, जो चल रहा है, चलने दीजिए…ज्यादा न छेड़िए।

पूर्व विधायक रहे राजू पाल की समर्थक रही रुखसाना तब राजू के साथ ही गाड़ी में मौजूद थीं, जब उन पर हमला हुआ था। 2005 की घटना में रुखसाना भी घायल हुईं थी। वह इस वारदात की चश्मदीद गवाह हैं। सादिक बताते हैं कि रुखसाना को गवाही के दौरान धमकियां मिली थीं। हालांकि बाद में वह यह कहकर पूरे मामले को टाल जाते हैं कि इस बात को ज्यादा न छेड़िए।

घर पर हुई थी हवाई फायरिंग

डबल मर्डर के पैरोकार साबिर हुसैन बताते हैं कि अतीक अहमद का बेटा अली उसे धमकाने आया था। यही नहीं असाद कालिया सहित 15 बदमाश घर आए थे। मेरे घर पर पथराव किया और दिन दहाड़े फायरिंग करके डराने की कोशिश की। साबिर ने कहा कि अतीक के बहुत से गुर्गे हैं। अतीक का नेटवर्क विदेश में भी है। अभी अतीक की केवल 10% संपत्ति ही कुर्क हुई है।

साबिर कहते हैं कि अतीक ने क्षेत्र में दहशत बनाए रखने के लिए तो रिश्तेदारों को भी नहीं बख्शा था। वह जमीन के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। जीशान अतीक के साढ़ू इमरान के छोटे भाई हैं। अतीक ने जीशान की जमीन कब्जा करने के लिए उसके घर को जेसीबी से गिरवा दिया था। जिस मामले का जिक्र साबिर करके रुक जाते हैं, उसके बारे में कहा जाता है कि अतीक ने जीशान से पांच करोड़ की रंगदारी मांगी थी। जीशान ने मुकदमा भी दर्ज करवाया था।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."