चुन्नीलाल प्रधान के साथ इरफान अली लारी की रिपोर्ट
प्रदेश में गुरुवार रात 10 बजे से एक लाख बिजली कर्मचारी- इंजीनियर हड़ताल पर हैं। 23 साल बाद बिजली कर्मचारी हड़ताल पर गए है। इससे पहले मंगलवार-बुधवार इंजीनियरों ने कार्य बहिष्कार किया था।
कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से बंदायू, कानपुर, उन्नाव, सिद्वार्थ नगर, आजमगढ़, जालौन, हाथरस, वाराणसी, फरूखाबाद फतेहपुर, गोंडा, बस्ती, देवरिया समेत प्रदेश के कई जिलों में लोगों के घरों में बिजली नहीं आ रही है। फॉल्ट आने के बाद उसको सही नहीं किया गया है।
प्रदर्शनकारियों का दावा है कि 75 जिलों में तकरीबन 1 लाख कर्मचारी हड़ताल पर है। जिसमें 70 हजार नियमित कर्मचारी और 30 हजार संविदा कर्मचारी शामिल है।
महराजगंज, संभल, प्रयागराज में 20 से ज्यादा कर्मचारी नेता गिरफ्तार
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने प्रदेश में हड़ताल पर इंजीनियर और संविदा कर्मचारियों पर एस्मा लगाने की बात कही है। यही वजह है कि लखनऊ समेत प्रदेश के कई जिलों में बिजली विभाग के कार्यालय पर PAC तैनात कर दी गई है जिससे कि शुक्रवार को कोई प्रदर्शन या हंगामा न हो। इसके अलावा गुरुवार को प्रयागराज, संभल और महाराजगंज में 20 से ज्यादा कर्मचारी नेताओं को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई हुई।
नेताओं ने बंद किए फोन नंबर
लखनऊ समेत प्रदेश के अलग-अलग जिलों में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे नेताओं ने अपने फोन नंबर बंद कर दिए है। इससे की उनको रात को पुलिस गिरफ्तार न कर पाए। सूत्रों का कहना है कि पावर कॉर्पोरेशन के फिल्ड हॉस्टल से निकलते ही कई एक्सईएन और जेई लोगों ने अपने-अपने नंबर बंद कर दिए है।
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संविदा कर्मचारियों को किया टारगेट
सरकार ने सबसे पहले संविदा और आउट सोर्सिंग वाले कर्मचारियों को टारगेट करने का फैसला किया है। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि संविदा वालों को नौकरी से निकाल दिया जाएगा। जबकि एस्मा के तहत नियमित कर्मचारियों को छह महीने से लेकर एक साल तक जेल में डाला जा सकता है। अभी तक अलग-अलग शहरों को मिलाकर करीब 20 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
यूपी में 23 साल बाद बिजली कर्मचारी और इंजीनियर बुधवार रात 12 बजे के बाद से कार्य बहिष्कार पर है। मांगों पर कोई कार्रवाई न होने से नाराज इंजीनियरों ने 16 मार्च रात 10 बजे से 72 घंटे की हड़ताल पर चले गए हैं। ऐसे में 3 करोड़ बिजली उपभोक्ता की परेशानी बढ़ गई है। इससे पहले साल 2003 में कर्मचारियों ने बिजली विभाग के एकीकरण को लेकर पूरे प्रदेश में प्रदर्शन किया था।
3 दिसंबर को मंत्री एके शर्मा ने दिया था आश्वासन
बिजली कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का आरोप है कि 3 दिसंबर 2022 को मांगों को लेकर ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने पूरा करने का आश्वासन दिया था। इसको लेकर लिखित समझौता हुआ था। मगर, कॉर्पोरेशन प्रबंधन और मंत्री दोनों अपनी बात से मुकर रहे है।
पूरे देश से समर्थन मिलने का दावा
हड़ताल में शामिल संगठनों का दावा है कि उनको पूरे देश से समर्थन मिल रहा है। 16 मार्च को देश के सभी राज्यों के बिजली कर्मचारियों के उनके समर्थन में मार्च निकाला है। दावा किया जा रहा है कि देश के 27 लाख बिजली कर्मचारियों ने उनका समर्थन किया है। बिजली संगठनों के केंद्रीय नेता गुरुवार को लखनऊ पहुंचे भी थे।
चेयरमैन एम देवराज से सीधी लड़ाई
वैसे तो लिखित में कोई भी नेता चेयरमैन को हटाने की सीधी मांग नहीं कर रहा है। लेकिन लिखित समझौते का आश्वासन देकर यह बताया जा रहा है कि चेयरमैन के चुनाव की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। ऐसे में उस प्रक्रिया के तहत चुनाव होना चाहिए। अब ऐसे में वह प्रक्रिया अपनाई जाती है तो पहले मौजूदा चेयरमैन एम देवराज को हटाना पड़ेगा। सूत्रों का कहना है कि अगर केवल यह मांग पूरी होती है तो आंदोलन वापस ले लिया जाएगा। हालांकि सरकार इस मांग को पूरी करने के पक्ष में नहीं है। ऐसे में अभी टकराव बढ़ गया है।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में आंदोलन कर्मियों ने कहा है कि किसी भी कर्मचारी की गिरफ्तारी हुई तो बिजली कर्मचारी करेंगे अनिश्चितकालीन हड़ताल। उन्होंने जेल भरो की भी चेतावनी दी है।
ज्ञात हो कि विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आव्हान पर 16 मार्च की रात 10:00 बजे से प्रारंभ 72 घंटे की हड़ताल शत प्रतिशत कामयाब है । हड़ताल का व्यापक असर दिखाई दे रहा है। ताप बिजली घरों की 1000 मेगावाट से अधिक क्षमता की इकाइयां ठप्प हो गई है। बिजली वितरण में भी कर्मचारियों की अनुपस्थिति का व्यापक प्रभाव दिखाई दे रहा है।
मुख्यमंत्री से अपील
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, देवरिया शाखा, उत्तर प्रदेश का कहना है कि
यह हड़ताल हमारे ऊपर थोपी गई है। ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन के हठवादी और दमनकारी रवैया के चलते बिजली कर्मी हड़ताल पर जाने हेतु बाध्य हुए हैं। हमारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ और ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा जी से पुनः अनुरोध है कि 3 दिसंबर 2022 का समझौता लागू कराने की पहल करें जिससे ऊर्जा निगमो के चेयरमैन के हठवादी रवैया के चलते बना टकराव का वातावरण समाप्त हो।
कर्मचारियों की प्रमुख मांगें-
9 साल, कुल 14 वर्ष एवं कुल 19 वर्ष की सेवा के बाद तीन प्रमोशन वेतनमान दिया जाए।
निर्धारित चयन प्रक्रिया के तहत चेयरमैन, प्रबन्ध निदेशकों व निदेशकों के पदों पर चयन किया जाए।
बिजलीकर्मियों को कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान की जाए।
ट्रांसफॉर्मर वर्कशॉप के निजीकरण के आदेश वापस लिए जाए।
765/400/220 केवी विद्युत उपकेन्द्रों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से चलाने का निर्णय रद्द किया जाए।
पारेषण में जारी निजीकरण प्रक्रिया निरस्त की जाए।
आगरा फ्रेंचाईजी व ग्रेटर- नोएडा का निजीकरण रद्द किया जाए।
ऊर्जा कर्मियों की सुरक्षा के लिए पावर सेक्टर इम्प्लॉइज प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए।
तेलंगाना, पंजाब, दिल्ली व उड़ीसा सरकार के आदेश की भांति ऊर्जा निगमों के समस्त संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए।
बिजली कर्मियों को कई वर्षों से लम्बित बोनस का भुगतान किया जाए।
भ्रष्टाचार एवं फिजूलखर्ची रोकने हेतु लगभग 25 हजार करोड़ के मीटर खरीद के आदेश रद्द किए जाए व कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां दूर की जाए।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."