सीमा शुक्ला की रिपोर्ट
ग्वालियर। ‘साहब! मेरी बेटी नाबालिग है। अभी उसकी उम्र ही क्या है। 9वीं में पढ़ती है। उसके खेलने-कूदने के दिन हैं। वह अनचाहे गर्भ से जूझ रही है। उसके पेट में तीन महीने का गर्भ है। इसके कारण बेटी गुमसुम सी रहती है। हमें देखने पर रोने लगती है। हमसे लिपट कर बोलती है, मां मेरी गलती नहीं, उसने मेरे साथ गलत किया। मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी। बहुत मजबूर हूं साहब। आरोपी भी धमकी देकर आवारा घूम रहा है। उसे सजा दी जाए।’
यह गुहार है एक मां की। 17 साल की लड़की की मां ने मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में बेटी के अबॉर्शन के लिए याचिका लगाई है। उसका कहना है कि मोहल्ले में रहने वाला आरोपी गिर्राज गोली बेटी को बहला-फुसलाकर ले गया था। उसने बेटी के साथ गलत काम किया। बेटी इस अनचाहे गर्भ के लायक नहीं है। 25 जनवरी को हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने CMHO मनीष शर्मा को तीन दिन में मेडिकल बोर्ड का गठन कर रिपोर्ट देने के लिए कहा है। सोमवार को बोर्ड को कोर्ट में रिपोर्ट पेश करनी है। वर्तमान में लड़की बाल कल्याण कमेटी के वन स्टॉप सेंटर में है।
बेटी के दर्द की कहानी, एक मां की जुबानी
‘मैं डबरा की रहने वाली हूं। मेरी बेटी नौवीं में पढ़ती है। 17 साल उम्र है। 2 दिसंबर की बात है। बेटी स्कूल जा रही थी, तभी मोहल्ले के रहने वाले लड़के गिर्राज गोली (22) ने उसे जबरदस्ती पकड़ा और भगा ले गया। वो उसे लखनऊ लेकर गया। वहां एक लेडी के घर पर रखा। बोला- जे हमारी दीदी है। उसे दीदी बना लिया। लड़की के साथ मारपीट की। बेल्ट से पीटा। उसे बेचने की भी कोशिश की। उसके साथ गलत काम किया। मैंने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। मोबाइल के आधार पर पुलिस को उसकी लोकेशन लखनऊ में मिली।
पुलिस के साथ मैं भी लखनऊ उसे खोजने के लिए गई। 4 जनवरी 2023 को यहां गिर्राज गोली पकड़ा गया। उसे जेल भी भेजा गया। बाद में जमानत पर छूट भी गया। हालांकि बेटी ने कभी नहीं बताया कि मोहल्ले का लड़का परेशान करता है। अब कह रहा है- मैं तुम्हारी बेटी से शादी करूंगा। उसका दादा भी आज हमारे पास आया था। कह रहा था कि हम शादी करेंगे। मोड़ी को ले आओ ग्वालियर से।
मैंने मना कर दिया है। कह रहा था मंदिर में माला डाल लेंगे। शादी कर लेंगे। हम कछु नहीं कर पाएंगे। बेटी की सफाई करानी है। कोई भी मदद नहीं कर रहा। कोर्ट में आवेदन दिया है। मैडम ने बुलाया नहीं है। कहा था – जब फोन करूंगी, तब आना। फोन ही नहीं लगाओ हमारे पास। गिर्राज को सजा होनी चाहिए।
पुलिस ने आरोपी लड़के को जमानत पर रिहा कर दिया। कैसे हुआ, हमें नहीं पता। वह धमकी भी दे रहा है कि तुम कुछ भी नहीं कर पाए। धमकी दे रहा था। मेरी चार बेटियां और एक बेटा है। जब से बेटी के साथ गलत हुआ है, तब से वह गुमसुम सी रहती है। देखने पर रोने लगती है। अभी बेटी के अबॉर्शन की परमिशन नहीं मिली है।’
डर के मारे लड़की नहीं जाना चाहती थी घर
पीड़िता के वकील राजेंद्र यादव ने बताया कि डर की वजह से लड़की ने परिजन के पास जाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उसे वन स्टॉप सेंटर में रखा गया। 11 जनवरी को उसका मेडिकल कराया, जिसमें उसके 6 सप्ताह 7 दिन की गर्भवती होने का पता लगा। पूछताछ में पता चला कि गिर्राज ने उसका लगातार शारीरिक शोषण किया है। इसके बाद वन स्टॉप सेंटर ने केस की जानकारी बाल कल्याण समिति को दी। बाल कल्याण समिति की सूचना पर कोर्ट में बच्ची को लीगल सहायता मुहैया कराने याचिका लगाई थी।
इसलिए जरूरी है मेडिकल बोर्ड
वकील राजेंद्र यादव ने बताया कि दुष्कर्म पीड़िता के पेट में जो गर्भ पल रहा है, वह इस केस में अहम साक्ष्य भी है। अबॉर्शन की इजाजत मिलने के बाद भ्रूण का DNA कराया जाएगा। आरोपी से उसका मिलान किया जाएगा। आरोपी को सजा दिलाने में यह अहम भूमिका निभाएगा।
इसलिए मांगी अबॉर्शन की अनुमति
एडवाेकेट यादव का कहना है कि पीड़िता नाबालिग है। यह गर्भ उसके लिए उपयुक्त नहीं है। इस कारण कोर्ट से अबॉर्शन की अनुमति मांगी है। कोर्ट ने CMHO ग्वालियर मनीष शर्मा को पांच सदस्यीय मेडिकल बोर्ड गठित कर 30 जनवरी को कोर्ट में पक्ष रखने के लिए कहा है। साथ ही, इसी दिन डबरा पुलिस से केस डायरी कोर्ट में लाने के लिए कहा है।
वन स्टॉप सेंटर में गुमसुम है छात्रा
वर्तमान में छात्रा ग्वालियर के वन स्टॉप सेंटर में है। वह यहां गुमसुम रहती है। किसी से ज्यादा बातचीत भी नहीं कर रही। वह सिर्फ दोपहर और रात में खाना खाने के समय ही अन्य लड़कियों के साथ बैठती है। चूंकि वह 6 सप्ताह से ज्यादा समय की गर्भवती है, इसलिए हर हफ्ते उसका चेकअप भी किया जा रहा है।
अबॉर्शन कानून में ये है प्रावधान
एडवोकेट यादव के मुताबिक पहले भारत में कुछ मामलों में 20 हफ्ते तक गर्भ गिराने की मंजूरी थी, लेकिन साल 2021 में कानून में संशोधन किया गया। यह समय सीमा बढ़ाकर 24 हफ्ते तक कर दी गई। वहीं, कुछ मामलों 24 हफ्ते के बाद भी गर्भपात की अनुमति ली जा सकती है। क्योंकि 18 हफ्ते के बाद ही गर्भ की शारीरिक और मानसिक स्थिति का पता चलता है।
Author: samachar
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