मन्नू भाई गुजराती और सुरेन्द्र प्रताप सिंह की रिपोर्ट
जयपुर/अहमदाबाद। भारत के कुछ इलाकों की तुलना अफगानिस्तान, सीरिया-ईराक (Afghanistan, Syria-Iraq) से अगर करें तो हम गलत नहीं होंगे। दरअसल राजस्थान के कुछ इलाकों में गरीबी, भुखमरी, अशिक्षा और बेरोजगारी के चलते यहां के बेबस और मजबूर आदिवासी परिवार की लड़कियां तस्करों (girls smugglers) के जरिए बाजार में बिक रही हैं या यूं कहे कि सरेआम नीलाम हो रही है। राजस्थान के उदयपुर, डूंगरपुर और बांसवाड़ा के आदिवासी बाहुल्य गांवों से परिवारों के साथ काम के लिए जाने वाली लड़कियां दलालों ( selling minor daughters) के हत्थे चढ़ जाती है और फिर तीन से चार गुना उम्र के लोगों के साथ उनकी जबरिया शादी करा दी जाती है। फर्जी परिचय पत्र और मैरिज सर्टिफिकेट बनाकर प्राइवेट गाड़ियों से दूसरे राज्यों तक इन्हें पहुंचा दिया जाता है। जहां लाखों रुपये में इनका सौंदा कर दिया जाता है।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यहां शिक्षा की दर महज 12 फीसदी है। गुजरात से सटे राजस्थान के ये गांव भुखमरी और बेरोजगारी के चलते पलायन कर जाते हैं। कई परिवार गुजरात में कारखानों या अन्य मजदूरी के लिए या खेती के लिए चले जाते हैं. और यहीं से शुरू हो जाता है। तस्करी के गोरखधंधे का काला खेल। आज हम आपको उन परिवारों के बारें में बताएंगे, जहां सालों से गायब हुई बेटियों की खोजबीन परिजन कर रहे हैं। इन परिवारों का रो-रोकर बुरा हाल है। किसी की बेटी बेच दी गई तो किसी की पत्नी, कोई तस्करों के चंगुल से छूटकर अपने गांव लौट आई तो कुछ लोग अपने ही करीबियों के जाल में फंसे हुए हैं।
टिफिन देने गई बेटी घर नहीं लौटी
उदयपुर जिले की कोटड़ा तहसील का यह है छोटा सा गांव बिलवन। यहां एक बेबस मां की बेटी बीते तीन सालों से लापता है। वह अपने खेत से मां को टिफिन देकर लौट रही थी, लेकिन अब तक घर नहीं पहुंची। घरवालों ने उसकी तलाश में कई गांव-शहर छान डाले लेकिन उसका कहीं सुराग नहीं मिला। थाने से लगाकर एसपी तक हर जगह गुहार लगाईं लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई. परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। सीमा की मां अब भी सरकार से गुहार लगा रही है कि क्या सरकार इतनी गूंगी और बहरी हो चुकी है कि उसकी लापता बेटी को खोज तक नहीं पा रही है।
20 साल की बेटी लापता
डूंगरीयां गांव की विमला बीते 12 महीनों से लापता है. 20 साल की विमला कारखाने में काम करने के लिए गई थी लेकिन वापस लौटकर नहीं आई। पिता गुजरा उसकी तस्वीर दिखाकर कर रहे हैं। यहां वहां बेटी को ढूंढ रहे हैं, लेकिन उसकी कोई खोज-खबर नहीं है।
बाजार गई बेटी फिर नहीं लौटी
मोहद गांव का एक दंपत्ति अपनी बेटी की तस्वीर हाथ में लिए उसके घर आने का इंतजार कर रहा हैं। 15 साल की बेटी कविता (बदला हुआ नाम) मजदूरी के बाद हिम्मत नगर के बाजार में 21 नवंबर को खरीदारी करने गई थी। रात तक जब कविता लौटकर नहीं आई तो उसकी खोजबीन शुरू की गई। लाख कोशिशों के बाद भी उसका कोई सुराग हाथ नहीं लगा। अचानक कुछ दिनों पहले पिता के फ़ोन पर उसने कॉल किया और कहां कि उसे कुछ लोग जबरदस्ती उठाकर ले गए हैं और एक लाख बीस हजार रूपए में उसका सौदा कर किसी अनजान आदमी से उसकी शादी करा दी।
मोबाइल नम्बर के आधार पर मां-बाप मध्यप्रदेश के ग्वालियर पहुंचे। यहां कविता को बाल कल्याण समिति ने रखा है, लेकिन मां-बाप को यह कहकर लौटा दिया कि वें पहले अपनी बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट लेकर आए तभी उन्हें बेटी सुपुर्द की जाएगी। अब यहां पुलिस उसकी FIR नहीं लिख रही है। ऐसे में उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि आखिर उसकी बेटी घर कैसे लौटेगी।
पत्नी के साथ रेप, और बेच डाला
मामेर गांव का रूपा सिंह सालों से बेबस और लाचार है। चचेरे भाई ने कुछ साल पहले उसकी पत्नी के साथ दुष्कर्म किया था। लोक-लाज के कारण उसने पत्नी को छोड़ दिया। उस वक़्त उसकी पत्नी के पेट में उसका बच्चा था। अब रूपा का आरोप है कि पत्नी के भाईयों ने ना सिर्फ उसकी पत्नी को बेच डाला बल्कि पेट में पल रही बेटी को भी बढ़ा होने के बाद सौदा कर दिया। रूपा ने थाने जाने के बजाय समाज की पंचायत बैठाई लेकिन मामले का कोई हल नहीं निकला। रूपा को उसके ससुराल वाले बुरी तरह डरा-धमका रहे है कि उसने इस बात की शिकायत पुलिस से की तो उसे भी जान से मार देंगे।
पत्नी को बेच दिया
क्यारा गांव के मनोहर पारगी ने कोटड़ा थाने में हाल ही में शिकायत की है कि बीते दिनों जब वह गंभीर बीमार था, तब उसकी पत्नी मायके गई थी लेकिन तभी से वह लौटकर नहीं आई। उसे आशंका है कि घर वालों ने ही उसे किसी और व्यक्ति को बेच डाला। इलाके के जनप्रतिनिधि और खुद कोटड़ा थाने के एसएचओ इस बात को स्वीकार करते हैं कि इस इलाके में किस तरह दलाल सक्रिय है और अशिक्षा व बेरोजगारी के चलते लड़कियों की खरीद-फरोख्त धड़ल्ले से की जा रही है। अहम बात यह है कि कई मामलों में खुद परिवार या परिवार के करीबी लोग ही बेटियों को बेचने का काम कर रहे हैं।
1 लाख रुपये में बेचा जाता है
राजस्थान के गुजरात सीमा से सटे गाँव में गरीबी के साथ बेरोजगारी भीषण त्रासदी है. हर दिन यहां से चलने वाली जीपों में लदकर हजारों परिवार गुजरात मजदूरी के लिए जाते हैं। कुछ हर दिन लौट आते हैं तो कुछ वहीं रह जाते हैं। दलाल लड़कियों पर नजर रखते हैं, शादी के नाम पर उन्हें 2 से 10 लाख रुपये में बेच दिया जाता है। परिवार वालों को 20 से 50 हजार रुपये देकर उनकी गरीबी का फायदा उठाया जाता है। हैरानी की बात यह है कि यहां लड़कियों के दाम भी उनकी खूबसूरती और देह को देखकर होती है।
गुजरात के सीमावर्ती इलाके में मानव तस्करी का घिनौना खेल
जंगलों में रहने वाले उस आदिवासी परिवार जिसकी कहानी सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। यहां एक नाबालिग बच्ची के साथ जो कुछ हुआ वह दिल-दहला देने वाला था। कोलदरा गांव की यह लड़की इसी साल अगस्त में रक्षाबंधन की खरीदी करने के लिए गुजरात के खेडब्रह्मा के बाजार गई थी। उसी के गांव के रहने वाले दलाल जगला, विजय और ढोला ने मासूम नाबालिग को किडनैप कर उसे बेच डाला। पीड़िता ने अपनी आपबीती सुनाई। उसने बताया कि उसके जिस व्यक्ति ने उसे ख़रीदा था, वह हर रात उसके साथ दुष्कर्म करता था। गांव वालों से सुराग मिला तो घर वाले पुलिस की मदद लेकर आरोपियों तक पहुंचे और अब तीनों आरोपी पुलिस की गिरफ्त में है। लेकिन पुलिस इस मामले में पिता को भी आरोपी बना रही है। पुलिस को सबूत मिले हैं कि इस खरीद-फरोख्त में पिता को भी पैसा दिया गया है। पीड़िता के भाई का कहना है कि आरोपी गांव के ही लोग है। आरोपियों को सजा दिलाने से नाराज गांव वाले परिवार से खफा है और सामाजिक तौर पर उन्हें गांव निकाला दे दिया गया है।
मजदूरी के लिए गई, दलाल ने 4 लाख में बेचा
अब आपको बताते हैं मोहद गांव की कहानी. यहां की नाबालिग बेटी गुजरात के डीशा में मजदूरी करने के लिए गई थी। दलालों ने उसे बाड़मेर के श्याम सिंह को चार लाख रूपए में बेच दिया। जिन दलालों ने उसे बेचा उनका नाम मानू, रावजी और नगजी है। इन दलालों ने बाड़मेर जिले रोसेरा में एक मारवाड़ी परिवार के श्याम सिंह को बेचा था। दलालों ने श्याम सिंह से चार लाख रुपये लिए थे। किसी तरह पीड़िता ने अपने पिता को फोन कर बताया कि वह इस गांव में है। दलालों ने बाकायदा पीड़िता को धमकाकर फर्जी पहचान पत्र बनवाए थे और कोर्ट मैरिज भी करवाई थी। जब परिवार को हकीकत पता चली तो जमीन जायदाद गिरवी रखकर बमुश्किल 50-60 हजार रूपए जुटाए और खरीददार को यह रकम देकर अपनी बच्ची को छुड़ा कर लाए। 2 दिन पहले ही पीड़िता अपने घर लौटी है।
आदिवासी समाज ने छेड़ा आंदोलन
इस मामले को लेकर इलाके में आदिवासी संघर्ष समिति ने मोर्चा संभाल लिया है। समिति का मानना है कि गुजरात काम पर जाने वाली लड़कियों को दलाल 10 से 12 लाख रुपए में बेच देते है। परिवार वालों को 40-50 हजार रुपए देकर शांत कर दिया जाता है। बच्चियों की घर वापसी को लेकर आदिवासी संघर्ष समिति ने एक खास अभियान छेड़ रखा है।
राजस्थान नंबर 1 पर बना हुआ है
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरों (NCRB) की रिपोर्ट के आंकड़े राजस्थान के लिए बहुत डराने वाले हैं। महिलाओं और बेटियों के साथ होने वाले अपराधों को लेकर ये आंकड़े चौकाने वाले हैं। साल 2021 में महिलाओं से बलात्कार के मामलों में राजस्थान पहले नंबर पर था। महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल मामलों में राजस्थान, उत्तरप्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर है। बलात्कार के मामलों में राजस्थान तीन सालों से नंबर वन पर बना हुआ है। गैर-सरकारी संगठन CRY के अनुसार राजस्थान में हर दिन 12 लड़कियां और 2 लड़के यानी कुल 14 बच्चे गायब हो रहे हैं। मानव तस्करी में मध्यप्रदेश के बाद राजस्थान दूसरे नम्बर पर है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक राजस्थान में पिछले पांच साल में 18 वर्ष से कम आयु के 21095 बच्चे लापता है। इनमें बड़ी तादाद आदिवासी इलाकों के बच्चों की है।
नेता के रुप में दलाल भी सक्रिय
गौरतलब है कि इस इलाके में सफेदपौश नेता के भेष में भी दलाल सक्रिय है। राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा के करीबी और झालौर विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले सोहनलाल परमार को भी लड़कियों की तस्करी करने वाले दलालों से सांठगांठ के मामले में कोटड़ा पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। प्रशासन आदिवासियों के रोजगार, आजीविका, शिक्षा और फ्लैगशिप योजनाओं को लेकर बड़े-बड़े दावें कर रहा है। हैरानी की बात यह है कि प्रशासन की नाक के नीचे सब कुछ चल रहा है लेकिन प्रशासन का दावा है कि यहां मानव तस्करी जैसा कोई मामला है ही नहीं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."