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29 December 2024 1:58 am

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ये कैसा तीन तलाक़….पति को बचाने कभी देवर से हलाला तो कभी बहनोई से…

29 पाठकों ने अब तक पढा

दिप्ती मिश्र की रिपोर्ट 

कई महिलाओं का हाल आधी विधवाओं की तरह हो गया है। ना वे पति के साथ रह सकती हैं, ना ही उन्हें कोई मेंटेनेंस मिल रहा। तीन तलाक कानून बने तीन साल हो गए, लेकिन इस तरह के तलाक खत्म नहीं हो रहे। पति को जेल जाने से बचाने के लिए महिलाओं को कभी देवर से हलाला करना पड़ रहा, तो कभी बहनोई से। इसके बाद भी उनका शौहर उन्हें रखने को तैयार नहीं है।

‘’18 साल की थी जब मेरा निकाह हुआ। दो-तीन महीने बाद ही शौहर गाली-गलौज और मारपीट करने लगा। सब्जी में नमक कम हुआ तो पिटाई, मिर्च ज्यादा हो गया तो पिटाई। ना मुझे मायके जाने दिया जाता, ना मेरे घर वालों को यहां आने देते। ऐसा लग रहा था जैसे मारपीट ही नाश्ता हो, मारपीट ही खाना हो। फिर भी मैं सहती रही।

इस तरह 18 महीने गुजर गए। एक दिन शौहर ने तलाक, तलाक, तलाक बोलकर घर से निकाल दिया। तब बेटी सिर्फ 7 महीने की थी। मैं रोई-गिड़गिड़ाई तो कहा कि अब तुम्हारा हलाला होगा, तभी मेरे साथ रह सकती हो।

रिश्ता बचाने के लिए मैं हलाला के लिए राजी हो गई। शौहर ने देवर को बुलाया और कहा कि इससे तुम हलाला करो।

जिस रात देवर ने मुझसे संबंध बनाए, मैं बहुत रोई। बहुत ​गंदा महसूस हुआ। खुद से घिन आने लगी। ना किसी से बात करती, ना खाना खा पाती, लेकिन क्या करती। रिश्ता बचाने का यही एक रास्ता था। तीन महीने तक देवर का जुल्म सहती रही।

मार्च, 2017 में शौहर से दोबारा निकाह हुआ। मैं खुश थी कि अब सब ठीक हो जाएगा, लेकिन वे और ज्यादा मारपीट करने लगे। सास से शिकायत करती तो वे कहतीं कि कोई बात नहीं, मर्द तो पीटते ही हैं। इधर बेटी भी बड़ी हो रही थी। उसके लिए मैं हर दिन मार-पीट झेलती रही।

दो साल बाद वे मुझ पर दहेज के लिए दबाव बनाने लगे। उन्होंने कहा कि अपने अब्बू से पैसे मांगो। मैंने पहले समझाया कि वे पहले से कर्ज में दबे हैं। पैसे नहीं दे पाएंगे। इस पर एक दिन शौहर ने फिर से तलाक दे दिया।

मैंने मायके जाने की कोशिश की तो जाने नहीं दिया। उन्हें लगा कहीं वहां जाकर पुलिस से शिकायत ना कर दे। शौहर ने कहा कि फिर से छोटे भाई के साथ हलाला करो। तब मैं तुम्हें रखूंगा। मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं था। देवर तीन महीने तक मेरे साथ संबंध बनाता रहा। इसके बाद शौहर से निकाह तो हुआ, लेकिन मुझे तत्काल मायके भेज दिया गया।

कुछ दिन मायके में रहने के बाद पति के पास जाना चाहा तो मना कर दिया। मैं रोज-रोज आने की बात कहने लगी तो एक दिन फोन पर तलाक, तलाक, तलाक बोल दिया। मैं तो सन्न रह गई। मेरे हाथ से फोन गिर गया। रोते हुए दोबारा फोन किया तो अपने बहनोई के साथ हलाला करने को बोलने लगे।

मैं चिढ़ गई, मैंने झल्लाते हुए कहा कि बार-बार मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हो। इस पर उन्होंने कहा तुम हो ही इसी लायक, तुम्हें रहना है तो ऐसे ही रहना होगा मेरे साथ। मैं तुम्हें बीवी नहीं मानता।’’

ये कहानी है UP के रायबरेली की रहने वाली रजिया बानो की। बार-बार पति के तलाक से परेशान होकर 26 साल की रजिया ने पति के खिलाफ केस किया।

आठ दिन तक लगातार थाने जाती रही। तब जाकर पुलिस ने उनके पति को गिरफ्तार किया। पिछले 8 महीने से पति जेल में है। रजिया के पास कोई सोर्स ऑफ इनकम नहीं है। अपने पिता के साथ जैसे-तैसे गुजारा कर रही हैं।

बुलंदशहर। यहां मेरी मुलाकात शोएबा अंसारी से हुई। 38 साल की शोएबा अपनी 17 साल की बेटी के साथ रहती हैं।

18 साल पहले शोएबा का निकाह मेरठ के नासीर अंसारी से हुआ था। उनके पति ने फोन पर तलाक तलाक तलाक बोलकर दूसरी शादी कर ली। शोएबा पिछले आठ महीने से थाने का चक्कर काट रही हैं। ना पति पर कोई कार्रवाई हुई ना कोई केस दर्ज हुआ।

शोएबा कहती हैं, ‘ससुराल में तीन-चार महीने सब ठीक रहा। शौहर हिमाचल के धर्मशाला में रहते थे और मैं मेरठ। ना कभी वे यहां आते ना मुझे अपने पास बुलाते। 6-6 महीने फोन पर बात नहीं करते थे। एक बार जिद करके देवर के साथ मैं धर्मशाला गई तो मुझसे लड़ाई-झगड़ा करने लगे।

बेटी को इतना गंदा-गंदा बोला कि मैडम मैं आपको बता भी नहीं सकती। 9वें दिन मां-बेटी को एक नदी किनारे छोड़कर चले गए।

अभी कुछ दिन पहले की बात है। बेटी ने उनके वॉट्सऐप पर नई औरत के साथ डीपी देखी। उसने स्क्रीनशॉट लेकर मुझे भी दिखाया। पहले तो मुझे भरोसा नहीं हुआ। काफी देर तक सोचती रही, रोती रही। फिर उन्हें कॉल किया। मेरी आवाज सुनते ही उधर से तलाक तलाक तलाक बोल दिया।

आप ही बताइए इस उम्र में सयानी बेटी लेकर मैं कहां जाऊं। बड़ी बहन के पति ने भी तलाक देकर छोड़ दिया। छोटी बहन का पति मर गया। अब तो लोग भी मुझे गलत नजरों से देखते हैं। ताने देते हैं। पुलिस के पास गई, लेकिन 8 महीने से कोई कार्रवाई तो दूर, एक बार भी पति से पूछताछ तक नहीं हुई। बताइए किससे मदद मांगूं?’’

हिमाचल में रहने वाले शोएबा के पति से बात करनी चाही, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी।

इसके बाद मैं बुलंदशहर की एएसपी आकृति शर्मा से मिली। उन्होंने कहा कि मैं केस की स्टडी करने के बाद आपको फोन पर बता दूंगी। अगले दिन जब मैंने फोन किया तो उन्होंने कहा कि थोड़ी देर से मैं आपको अपडेट कर रही हूं। इसके बाद मैंने उन्हें कई बार फोन किया, लेकिन उन्होंने कोई रिप्लाई नहीं दिया।

मेरी अगली मुलाकात उत्तर प्रदेश के मेरठ की रहने वाली आशफिया से हुई। आशफिया का निकाह दो साल पहले हुआ था। उनका शौहर कानून के डर से खुद तलाक नहीं दे रहा। वह आशफिया के साथ बर्बर व्यवहार करता है, ताकि वो तलाक दे दे।

आशफिया कहती हैं, ‘शौहर ने कई बार मुझसे कहा तलाक दे दो। शुरुआत में मैंने उनकी बातों को हल्के में लिया। बाद में वे पिटाई करने लगे। इसके बाद भी जब मैं तलाक देने पर राजी नहीं हुई, तो हाथ-पैर बांधकर पीटा। मुंह में कपड़ा ठूंस दिया। गले में फंदा डालकर मारने की भी कोशिश की। इसके बाद मरा समझकर छोड़ गए।

मैंने पंचायत बुलाई। जिसमें पति ने मेरे घरवालों से माफी मांगी और कहा कि वे अच्छे से रहेंगे। कुछ दिन बाद वे घर से गायब रहने लगे। कभी आते भी तो कुछ देर बाद कोई बहाना बनाकर निकल जाते थे।

एक दिन रात में मैंने इसकी वजह पूछी तो दो-तीन थप्पड़ जड़ दिए। मैं कुछ समझ पाती उससे पहले मेरा सिर अलमारी पर दे मारा। मैं लड़खड़ा कर गिर गई। वह लात-घूंसे बरसाने लगे। मैं जोर-जोर से चीखने लगी तो उन्होंने मेरे मुंह में कपड़ा ठूंस दिया। हाथ-पैर बांधकर पूरे कमरे में घसीटा। गला दबाया।

मैं दो हफ्ते अस्पताल में भर्ती रही। सास-ससुर कोई हाल पूछने नहीं आया। पुलिस से भी मदद नहीं मिली।’

पुलिस के सामने या तो मुकर जाते हैं या समझौता कर लेते हैं

सुप्रीम कोर्ट में ट्रिपल तलाक का केस लड़ने वाली वकील अर्चना पाठक कहती हैं, ‘कानून बनने के बाद ​तीन तलाक के मामले घटे हैं, लेकिन बंद नहीं हुए हैं। मुस्लिम महिलाएं जागरूकता की कमी के चलते कानून का इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं।

अगर महिलाएं FIR करवा देती हैं, तो पुरुष भाग जाते हैं। पुलिस भी उन्हें ढूंढने के लिए तुरंत एक्शन नहीं लेती है। तलाक के बाद जब आरोपी को पुलिस पकड़ लेती है तो वे मुकर जाते हैं या फिर थाने में समझौता कर लेते हैं।’

रात में तलाक और जेल से बचने को सुबह करा देते हैं हलाला: वुमन एक्टिविस्ट

मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली डॉ. समीना बेगम भी तीन तलाक पीड़िता हैं। उन्होंने दो बार निकाह किया। पहले पति ने दो साल और दूसरे पति ने 6 महीने बाद तलाक दे दिया। समीना ने 2012 में तीन तलाक और हलाला के खिलाफ आंदोलन शुरू किया। तब से वे मुस्लिम महिलाओं के लिए काम कर रही हैं।

वे कहती हैं, ‘ट्रिपल तलाक के केस लगातार आ रहे हैं। पहले पुरुष तलाक देते हैं और फिर जेल नहीं जाना पड़े इसलिए जबरन हलाला कराते हैं। अपनी इज्जत और बच्चों के लिए महिलाएं चुप रह जाती हैं। सौ में से एक महिला ही हलाला के खिलाफ बोल पाती है। महिलाओं का हाल आधी विधवा की तरह हो गया है। ना तो उनका कानूनन तलाक हो रहा, ना ही उन्हें पति से कोई मेंटेनेंस मिल रहा।’

जेल जाने से बचने के लिए बिन तलाक दिए ही पत्नी को छोड़ देते हैं पति

एक साल पहले केंद्र सरकार ने कहा था कि तीन तलाक कानून बनने के बाद तीन तलाक के मामलों में 80 फीसदी की कमी हुई है। हालांकि मुस्लिम एक्टिविस्ट इससे सहमत नहीं हैं।

हैदराबाद में शाहीन विमेंस रिसोर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन चलाने वाली जमीला एक मीडिया रिपोर्ट में कहती हैं, ‘नए कानून के डर से मर्द बिना तलाक दिए ही महिलाओं को छोड़ दे रहे हैं ताकि उन्हें जेल नहीं जाना पड़े।

हमने हैदराबाद में 2106 घरों का सर्वे किया, उनमें 683 घरों में शौहरों ने महिलाओं को बिना तलाक के छोड़ दिया था। ज्यादातर मामलों में पति का कुछ पता ही नहीं है कि वह कहां हैं।’

क्या है तीन तलाक कानून?

लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों से पास होने के बाद अगस्त 2019 में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक कानून बन गया। इसके तहत प्रमुख प्रावधान किए गए हैं-

तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को रद्द और गैर कानूनी घोषित किया गया।

आरोपी को पुलिस बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है।

तीन साल तक की सजा का प्रावधान।

मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है, लेकिन जमानत तभी दी जाएगी, जब पीड़ित महिला का पक्ष सुना जाएगा।

पीड़ित महिला पति से गुज़ारा भत्ते का दावा कर सकती है

इसकी रकम मजिस्ट्रेट तय करेगा।

पीड़ित महिला नाबालिग बच्चों को अपने पास रख सकती है। (साभार)

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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