दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ (Aligarh) जेल में कैदियों के लिए जेल अधिकारियों ने एक अनोखी पहल शुरु की है। जहां पर उनके पढ़ने-लिखने के लिए जेल के अंदर ही स्कूल (School) खोला गया है। जिस स्कूल में बड़े से बड़ा गुनहगार क्लास रूम (Class Room) में पहुंचकर पढ़ाई करने से बिल्कुल भी गुरेज नहीं कर रहा है। यूं तो गुनाह करने के बाद बड़े से बड़ा गुनहगार जेल की सलाखों के पीछे पहुंच जाता है। लेकिन जेल (Prison) में पहुंचने के बाद अगर गुनहगार पढ़ाई में रुचि लेने लगे तो ये अपने आप में बहुत बड़ा सवाल है। क्योंकि ऐसा ही एक नजारा अलीगढ़ जेल में देखने को मिला है। जहां जेल में पिछले 7 साल से बंद एक कैदी (Prisoner) में पढ़ाई करते देख जेल में बंद अन्य कैदियों में भी पढ़ाई करने का अलख जाग गई ओर कैदियों ने बैरक में पढ़ाई करने वाले उस कैदी से कॉपी-पेंसिल (Copy-Pencil)की डिमांड कर डाली।
9:00 से 11:00 तक चलती हैं कैदियों क्लास
कैदियों में पढ़ाई की प्रति रूचि को देख कैदी ने इस बात को जेल प्रशासन के कानों तक पहुंचाया। कैदी की इस बात पर जेल प्रशासन ने गंभीरता से अमल करते हुए कारावास के भीतर सुचारू रूप से पढ़ाई के लिए एक स्कूल खोल दिया। जिसके बाद कैदियों में पढ़ाई करने की जाग्रत हुई इच्छा को देख जेल में बंद एक कैदी ने कैदियों की पढ़ाई का जिम्मा अपने कंधों पर ले लिया और कैदियों का शिक्षक बन बैठा। कैदी शिक्षक द्वारा 9:00 से 11:00 तक कारावास में बंद 26 कैदियों को जेल के भीतर खोले गए उस स्कूल में क्लास लगाते हुए शिक्षा दी जा रही है। जहां जेल अधिकारियों द्वारा कैदियों की पढ़ाई को लेकर कारावास में स्कूल खोलते हुए एक अनूठी पहल शुरू की गई है। वही जेल अधीक्षक का कहना है कि इग्नू की रेगुलर कक्षाएं जेल में चलाई जा रही है। इसमें इग्नू के लगभग 250 बच्चे ऐसे हैं जो विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों में प्रतिभाग कर रहे हैं। जबकि जेल में इग्नू की परीक्षाएं भी जारी हैं।
कैदी हरकेश को पढ़ाई करते देख बाकी कैदी भी हुए प्रेरित
वहीं, अलीगढ़ की जिला जेल में पिछले 7 साल से बंद कैदी हरकेश तेवतिया ने जानकारी देते हुए बताया कि वह पिछले 7 साल से जेल के अंदर बंद है।उसका कहना है कि जेल में आने से पहले उसके द्वारा बाहर भी बच्चों को पढ़ाया जाता था, लेकिन जेल के अंदर पहुंचने के बाद भी वह लगातार बैरक के अंदर पढ़ाई करता था। उसको पढ़ाई करते हुए देख बैरक के अंदर बंद और कैदी भी उसके पास आकर उसकी पढ़ाई को लेकर सवाल करते हुए अखबार पढ़ने लगे। जिसके बाद बैरक में बंद अन्य कैदियों में भी उसे पढ़ाई करते हुए देख पढ़ाई के प्रति धीरे- धीरे इच्छा जागृत होने लगी। जिसके बाद उससे अन्य कैदियों ने कॉपी पेंसिल की डिमांड करने लगे। कैदियों में पढ़ाई को लेकर जाग रही रूचि को देखते हुए इस बात को उसके द्वारा जेल अधिकारियों तक पहुचाया गया। लेकिन इसके बाद कारावास में बंद कैदी पढ़ाई में कुछ ज्यादा ही रूचि लेने लगे। जिसके बाद जेल अधिकारियों ने कैदियों की पढ़ाई को प्रॉपर तरीके से संचालित करने के लिए जेल में स्कूल खोल दिया।
‘अगर कैदी जेल में इसी तरह पढ़ते रहे तो बाहर निकल कर अच्छा मुकाम हासिल कर सकेंगे’
जेल के अंदर कैदियों को पढ़ाने को लेकर खोले गए स्कूल की जानकारी अन्य कैदियों को हुई तो और कैदियों में भी पढ़ाई को लेकर इच्छा जाग गई। इसके बाद सभी कैदी पढ़ाई के तय समय अनुसार पढ़ाई करने के लिए स्कूल में आने लग गए। जो जेल प्रशासन की कैदियों में पढ़ाई की रूचि को देखते हुए बहुत ही अच्छी पहल शुरू की गई। जबकि उसके द्वारा कारावास के भीतर खोले गए इस स्कूल में आने वाले 26 कैदियों को 9:00 से 11:00 तक शिक्षा दी जाती है। इसके साथ ही बताया कि जेल के अंदर इग्नू का एक सेंटर है और प्रौढ़ शिक्षा के तहत एक लैपटॉप और एक प्रोजेक्टर भी बच्चों की पढ़ाई के लिए दिया गया है। लैपटॉप और प्रोजेक्टर के जरिए उसके द्वारा बच्चों को पढ़ाया जाता है। वही कारावास में कैदी से शिक्षक बने इस कैदी का कहना है कि अगर इसी तरह से कारावास में बंद कैदी पढ़ाई करते रहे तो जेल में बंद ये कैदी बाहर निकल कर एक बहुत ही अच्छा मुकाम हासिल कर सकते हैं।
जानिए इस बारे में वरिष्ठ जेल अधीक्षक का क्या कहना हैं..
वहीं इस मामले में वरिष्ठ जेल अधीक्षक वीरेश सिंह यादव का कहना है कि अलीगढ़ जेल में प्रोड शिक्षा के तहत एक फाउंडेशन की तरफ से कैदियों को पढ़ाने के लिए कार्यक्रम चल रहा है। जबकि इग्नू की तरफ से भी जेल में रेगुलर कक्षाएं चलाई जा रही है। जिसमें करीब 250 बच्चे ऐसे हैं जो इग्नू से विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों में प्रतिभाग कर रहे हैं जबकि जेल के अंदर इग्नू की परीक्षाएं भी जारी हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."