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20 January 2025 1:03 am

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लो जी, सांसद निरहुआ की जुबान फिसली या उन्होंने खुद फिसल जाने दी !

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जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट 

आजमगढ़ : आजमगढ़ जिले के सांसद दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ आए दिन कुछ ना कुछ ऐसे बयान देते रहते है। जिससे बवाल मच जाता है। अभी पिछले महीने ही चंदौली में अपने स्वागत समारोह में अखिलेश यादव पर बयान देते हुए कहा था कि असली यादव देश के बाकी सब अखिलेश के और अब शनिवार को जिले में एक सभा को संबोधित करते हुए ऐसा बयान दे दिया कि पूरे जिले में हल्ला मच गया। लोगों ने उनके बयान के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।    

मनबढ़ लोगों के कारण नहीं हुआ जिले का विकास

सांसद दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ के एक बयान ने जिले में हलचल मचा दिया है। जिले के मुबारकपुर विधानसभा स्थित रासेपुर गांव में जनसभा को संबोधित करते हुए सांसद ने जिले के लोगों को मनबढ़ बता दिया है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि मनबढ़ों की दवाई या तो जेल है या सीधा उपर। इसके साथ ही ज्यादा मनबढ़ई पर उन्होंने घुटना तोड़ देने की बात कही है। इस बयान के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही कई संगठन विरोध में उतर आए। कुछ संगठनों के लोगों ने एसपी को पत्रक सौंप सांसद के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई किए जाने की मांग की है।

रिहाई मंच ने लगाया अशांति फैलाने का आरोप

रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने कहा कि आजमगढ़ के सांसद दिनेश लाल निरहुआ की एक बयान वायरल हो रहा। जिसमें वह आजमगढ़ के लोगों को मनबढ़ बोल रहे है। हम भी आजमगढ़ के रहने वाले है। ऐसे में उनके इस बोल ने हमारी भावनाओं को आहत किया है। भाजपा सांसद का बयान पहचान, सम्मान व अस्मिता के साथ ही जिले की गरिमा पर हमला है। सांसद का यह बयान संसदीय गरिमा के विरुद्ध है। जिसमें वह कानून व्यवस्था को धता बताते हुए हत्या और हिंसा की धमकी देते हुए उकसा रहे हैं। इस बयान से आजमगढ़ के लोगों में अशांति का माहौल है और सरकार के लोग इस बयान से प्रेरित होकर हिंसा कर सकते हैं। अब हम आज़मगढ़ की धरती पर निरहुआ की नई फिल्म ईटिंग मीटिंग की शूटिंग नहीं होने देंगे।

विवाद पर निरहुआ ने दी सफाई

अपने दिए बयान के बाद उपजे विवाद पर सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ ने सफाई देते हुए कहा कि मैंने ऐसा इसलिए कहा कि तीन माह से मै देख रहा हूं। यहां के लोग कानून के बजाए स्वयं ही हर समस्या का हल निकालने में जुट जाते है। अपनो से मारपीट कर लेते है। बाद में कानून की मदद लेने जाते है। लोगों को तो चाहिए कि वह अपनो से लड़ने के बजाए मिल बैठ कर समस्या का समाधान कर लें। अगर उससे हल नहीं होता है तो लोग या को अधिकारियों के पास जाए या मेरे पास आया। खुद निर्णय लेना ही मनबढ़ई है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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