किरण सोनी की रिपोर्ट
भोपाल। सोमवार काे दीपावली के मौके पर हर घर-आंगन रोशनी से जगमग है। हर ओर चहल-पहल और खुशहाली फैली है। हम और आप हर साल ऐसी जगमग देखते हैं, लेकिन शहर में दो महिलाएं ऐसी भी हैं, जिनकी दुनिया पहली बार रोशन होने जा रही है।
सुखद संयोग… अब सोमवार को डॉक्टर खोलेंगे आंखों की पट्टी
एम्स के आई डिपार्टमेंट में किए गए इनके कॉर्निया ट्रांसप्लांट के बाद अब सोमवार से वे भी दुनिया देख सकेंगी। शनिवार को किए गए इन दोनों महिलाओं के सफल ट्रांसप्लांट के बाद सोमवार को डॉक्टर इनकी आंखों की पट्टी खोली जाएंगी। यह भी सुखद संयोग ही है कि रोशनी के त्योहार दीपावली के दिन इन दोनों महिलाओं की आंखों को रोशनी मिलेगी।
हादसे ने छीनी रोशनी, 20 साल से नहीं देखी दुनिया
छत्तीसगढ़ के महुआ से आकर भोपाल में ही बस गईं 28 वर्षीय महिला की आंखों की रोशनी 20 साल पहले एक हादसे में चली गई थी। पिछले दिनों परिजनों ने उनको एम्स में दिखा। यहां बताया कि कॉर्निया ट्रांसप्लांट से रोशनी लौट सकती है। 4 दिन पहले कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया। सोमवार को इनकी आंखों की पट्टी खोली जानी है। सबकुछ ठीक रहा तो अब इनकी आंखों की रोशनी लौट आएगी।
मोतियाबिंद के ऑपरेशन में गई थी आंखों की रोशनी
टीकमगढ़ की रहने वाली 24 वर्षीय महिला को मोतियाबिंद की परेशानी थी। परिजनों ने सर्जरी कराई तो पुतली ही खराब हो गई। ऐसे में महिला को दिखना बंद हो गया था। हाल ही में परिजन महिला को लेकर एम्स आए। जांचों के बाद बताया कि कॉर्निया ट्रांसप्लांट से रोशनी लौट सकती है। शनिवार को पार्सल कॉर्नियल ट्रांसप्लांट किया। इनकी एक झिल्ली बदली है। ट्रांसप्लांट सफल रहा है।
एक लाख कॉर्निया की जरूरत
एम्स के जानकारों की मानें तो देश में करीब 6.5 लाख कॉर्नियल ब्लाइंड हैं। ऐसे में हर साल एक लाख कॉर्निया डोनेशन की जरूरत होती है। लेकिन 50 हजार कॉर्निया डोनेशन हो पाते हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."